Exclusive: मोनिंदर सिंह पंढेर ने बताया निठारी कांड का काला सच, सुरेंद्र कोली के बारे में कही ये बात...

निठारी कांड में रिहा हुए मोनिंदर सिंह पंढेर का पहला एक्सक्लूसिव इंटरव्यू. साल 2006 में डी-5 कोठी के पीछे मिले कंकालों, सुरेंद्र कोली, पुलिस जांच, मीडिया दबाव और पायल केस पर पंढेर ने बताया पूरा सच. पढ़ें निठारी कांड से जुड़ी ये अनसुनी कहानी.

Advertisement
मोनिंदर सिंह ने जांच को लेकर सवाल भी उठाए (फोटो-ITG) मोनिंदर सिंह ने जांच को लेकर सवाल भी उठाए (फोटो-ITG)

शम्स ताहिर खान

  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:28 AM IST

Moninder Singh Pandher: नोएडा के निठारी कांड की कहानी आज भी लोगों का दिल दहला देती है. निठारी में मौजूद कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे 29 दिसंबर 2006 को एक नाले से कई बच्चों के कंकाल मिले थे. और यहीं से शुरू हुई इस खौफनाक कांड की कहानी. निठारी कांड में बच्चों और लड़कियों को शिकार बनाया गया था. साल 2005 से 2006 के बीच निठारी में रहने वाले दर्जनों बच्चे और लड़कियां लापता हो गए थे. जिनमें से अधिकतर के कंकाल और अवशेष उसी नाले और आसपास के इलाकों से बरामद हुए थे.

Advertisement

इस मामले के दो मुख्य आरोपी थे. कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उनका नौकर सुरेंद्र कोली. मोनिंदर इस केस में पहले बरी हो चुके हैं और उनका नौकर भी हाल ही में रिहा हो गया. जिसे कभी 'नरभक्षी' तक कहा गया था.

इस मामले में रिहा होने वाले निठारी की कोठी नंबर डी-5 के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर ने आजतक से खास बातचीत की. ये रिहा होने के बाद उनका एक्सक्लूसिव इंटरव्यू है. जिसमें उन्होंने इस पूरे कांड का सच बयां करने की कोशिश की है.

सवाल- निठारी का सच क्या था?

जवाब- यह प्रश्न विवेचकों से पूछना चाहिए. इस मामले में जो जांच हुई उसमें मेरे खिलाफ कोई आरोप पत्र सीबीआई ने दाखिल नहीं किया था. जहां तक मर्डर और रेप का ताल्लुक था. मेरे को आरोपी किसी एजेंसी ने नहीं बनाया था. मेरे को कोर्ट ने लोगों के प्रेशर और बयानों के आधार पर और उस समय के माहौल को देखते हुए मुझे आरोपी बनाया गया था. इसमें जिम्मेवार कौन है? क्या पुलिस जिम्मेवार है? क्या मैं जिम्मेवार हूं? क्या कोई और जिम्मेवार है नहीं. इसके लिए बहुत लोग जिम्मेवार हैं. अगर सही जांच होती तो सच सामने आ जाता. कोई भी होता. मैं ये नहीं कहता कि सत्य में क्या निकलता. उस विषय में मैं किसी के बारे में कह नहीं सकता. पर मैं जो बात कह सकता हूं आसानी से, कि अगर उसमें दखल ना दिया जाता, ये हाइप ना क्रिएट किया होता, ये फ्रेंजी ना बनती. तो डैफेनेटली जांच सही रास्ते पर चलती. जो आज कमियां नजर आ रही हैं. जो आप प्रश्न एक दूसरे पूछ रहे हैं. सबसे पहले वो प्रश्न आप अपने आप से पूछो. क्या इस केस में दखल वाजिब था? क्या पब्लिक और मीडिया के पास ये अधिकार है कि वह समांतर जांच चला सके? टोटली इनवेस्टिगेशन को मिस लीड कर दे. उसको पब्लिक और मीडिया ने जाने नहीं दिया.

Advertisement

सवाल - आपको लगता है कि ये सब मीडिया के दबाव की वजह से हुआ?

जवाब - एक सौ 10 फीसदी. जो सवाल मुझसे पूछे जाते थे. वो वही होते थे जो सुबह मीडिया निकलता था पेपर्स में.  

सवाल- जब आपको पहली बार कोर्ट में पेश किया गया था, लोअर कोर्ट में. तो हमेशा हमारे यहां कोर्ट में एक दस्तूर है, के गीता, कुरआन या जिस धर्म के मानने वाले लोग हैं. जो उसके धर्म के ग्रंथ हैं, उस पर हाथ रखकर कसम खिलाते हैं कि आप जो कहेंगे सच कहेंगे. तो अब देश की सबसे बड़ी अदालत भी आपको बरी कर चुकी है. वाकई निठारी के अंदर उस कोठी में क्या हुआ? आप उससे बिल्कुल अंजान थे?

जवाब - बिल्कुल.

सवाल - आपने कुछ नहीं किया?

जवाब- कुछ नहीं.

सवाल- उस कोठी (डी5) के मालिक आप थे. दो सालों तक उस बस्ती के बहुत सारे बच्चे गायब हुए. बल्कि एक तो ये है कि 16-19 की बात हो रही है. बल्कि एक जगह पर कोली ने कहा था, 40 बच्चों तक का नाम लिया था. तो बहुत सारे बच्चे गायब हुए और उसी कोठी के पास आकर तार जुड़े थे कि जो भी बच्चे गायब होते हैं, जो भी विटनेस थे, उन्होंने कहा कि आखिरी बार उन्हें डी5 कोठी के बाहर देखा गया. आपके कानों तक कभी ये बात नहीं आई. और आई तो आपने फिर कुछ कदम उठाए?

Advertisement

जवाब- सबसे पहले मैं ये प्रश्न आप पे डालूंगा. ये आपके पास कहां से कहानी आई कि सारे बच्चे डी5 के सामने गायब होते थे. कब आई. बोलो. बोलो ना. (जनवरी 2007) ये जब केस खुलने के बाद आई. केस खुलने के बाद ये दृश्य हुआ. उस टाइम तो सबको पता था. वाजिब है मेरे को भी पता था. जो बात आप पूछ रहे हो. दूसरी बात ये है, ये बात आपकी ठीक है कि क्योंकि एक केस जो हमारे खिलाफ रजिस्टर्ड हुआ था और उसकी इनवेस्टिगेशन उसी टीम को दी गई थी, जो बच्चों की इनवेस्टिगेशन कर रही थी. गायब बच्चों की. उस टाइम मर्डर वगैरह या रेप की कोई कहानी नहीं थी. वो जो गायब बच्चों की इनवेस्टिगेशन टीम थी, क्योंकि वो हमारा केस इनवेस्टिगेट कर रही थी. उनसे ये बातें पता लगती थी कि ये जो हिस्सा है कोठी नंबर डी1 से एक डी6 तक और किसी हद तक निठारी की पुलिया पार करके ज्यादा बच्चों का वहां से गायब होना सुना जाता है. बिल्कुल क्लियर कट नहीं था इन चार कोठियों के सामने. 

मैं कहूंगा कि बच्चे अपने घर से निकले हैं, पर ये कहने का आखिरी बार उन्हें यहां देखा गया वहां देखा गया. पर यस मोस्ट केसज़ में उस टाइम ये पता लग गया था. और आपको मैं एक और बात बता दूं कि क्योंकि मैं ज्यादातर यहां पर नहीं रहता था. मोस्टली मैं अपने टूर या जो मेरा परिवारिक बिजनेस या खेती बाड़ी जो भी है, उसके कारण मैं काफी टाइम बाहर गुजारता था. हफ्ते में महज एक दो दिन या एक दो रात मैं यहां पर रहता था. एवरेज. कभी कभी दस दस 15 - 15 दिन भी नहीं आता था मैं. तो उस टाइम जब हमारी केस में जो इनवेस्टिगेशन चली तो एक दरोगा था, वाजिब नहीं समझता कि किसी का नाम लूं. उन्होंने मेरे से ये रिक्वेस्ट भी की थी कि हम आपका जो गैराज है, उसमें पुलिसवाले बैठाना चाहते हैं. क्योंकि हमें मालूम हुआ है. 

Advertisement

सवाल - पुलिस चौकी खोलना चाहते थे?

जवाब- नहीं पुलिस चौकी शब्द तो मैं नहीं बोलूंगा. हालांकि मुझे जो पता लगा बाद में उन्होंने वहां बाहर पुलिस की पिकेट भी लगाई थी बाद में. जब बच्चे गायब हो रहे थे. हमारे केस खुलने से कुछ महीने पहले. और वो जो पुलिस कर्मचारी थे, जो वहां तैनात थे. आप जानते हो कैसे बुजुर्ग लोग तैनात करते हैं. ये भी मैं पुलिस प्रशासन की गलती कहूंगा कि बीट अफसर जो हैं वो तंदरुस्त होने चाहिएं, लड़के होने चाहिएं. ऐसे आदमी नहीं होने चाहिए, जो चाय की दुकान पर बैठे हैं, रिक्शावालों के साथ बैठे हैं. अपना चार पैसे इकठ्ठा करें ना करें. वो हरेक आदमी के लिए नहीं कह सकता.पर उन बेचारों की इमेज ये बनी हुई है.

सवाल- आप डी5 कोठी में कब आए थे?

जवाब- मैं 2004 में आया था.

सवाल- सुरेंद्र कोली से कैसे मुलाकात हुई?

जवाब- जो हमारे प्रॉपर्टी डीलर थे, जिन्होंने ये कोठी हमारे को दिलाई थी. ये उनके पास काम करता था. 

सवाल- 2004 में ही सुरेंद्र कोली को आपने अपने घर पर रखा?

मोनिंदर सिंह पंढेर - जी हां

सवाल- 2004 से 2006 अगले दो सालों में कभी आपने सुरेंद्र कोली के बिहेव्यिर में उसके बर्ताव के बारे में कोई अजीब चीज देखी कभी?

Advertisement

जवाब- बिल्कुल नहीं. ये काफी गलत फहमी है कि इस घर में केवल मोनिंदर सिंह नहीं था. प्लीज. प्लीज. आज तक ये विषय कहीं नहीं उठा. पता सबको था. किसी ने उठाया नहीं. और उसका कारण आप जानते हो. और उसी चीज के लिए मैं कह रहा हूं बार बार. ये सब इनवेस्टिगेशन को एक तरीके से गुमराह किया गया.

अगले सवाल पर पंढेर ने कहा, खाना बनाने वाला कोली था. सफाई वाली माया थी. कपड़े धोने वाली एक और औरत थी. एक माली था. 24 घंटे मेरे साथ एक ड्राइवर था. मेरे पास दो ड्राइवर रहे हैं. पहले कुछ महीने वो मेरे को दफ्तर लेकर जाते थे. दिन में पूरा टाइम मेरे साथ रहते थे.

सवाल- आप जब डी5 में रहा करते थे, तो अक्सर आप अकेले होते थे. फैमली आपकी चंडीगढ़ में थी. यहां पर रात में अकेले कोली रहा करता था. आपके पीछे. एक आपने खुद स्वीकार किया है कि अक्सर रात में आप जब कभी आया करते थे तो आप अपनी इस कोठी में पार्टी किया करते थे. और आप एस्कॉर्ट बुलाया करते थे. क्या ये सच है? 

जवाब- एस्कॉर्ट वाली कहानी सच है. और वो जो और जो आप कहते हो पार्टी, वो गलत है. सिर्फ एक ही पार्टी इस घर में हुई है और वो मैं नहीं था. मेरा जन्मदिन था. This was not a totally a sexual relation. मेरे साथ दे वर फ्रेंडली ऑलसो. एक 2 लड़कियां जो मेरे काफी करीब थी और यह चीजें सारी बातें उन्होंने कोर्ट में बयान में बताई हैं और दूसरी बात लोगों के इंप्रेशन में आएगा. पेड़ सेक्स वाज नेवर अ इश्यू. आप पूछोगे फिर क्यों? क्या वजह थी? 

Advertisement

सवाल- क्या वजह थी?

जवाब- उनको मेरे घर में एक तो सुकून मिलता था. सबसे पहली बात घर खाली है. खाना उनको मिलता था. खाना बनाने के लिए नौकर था. वे अपनी मर्जी से उठती बैठती थीं. ड्रिंक भी करती थी. मैं तो खुद नहीं पीता था और बाद में मैंने बीयर लेना शुरू किया. वे ड्रिंक भी करती थीं. वे हंसती खेलती थीं, डांस भी करती थीं और कभी-कभी उनके पति भी उनके साथ आते थे. जो आप पार्टी वाली बात कह रहे हो, वो कोर्ट के बयान में भी है.

सवाल- जब आप ये एस्कॉर्ट बुलाते थे. कोठी के अंदर होते थे. जाहिर सी बात है रात का वक्त होता था और सुरेंद्र कोली भी कोठी के अंदर होता था. इन सारी बातों की जानकारी सुरेंद्र कोली को पक्का होगी. और उसने आपको इन लड़कियों और एस्कॉर्ट के साथ भी देखा होगा. तो इसी निठारी बस्ती की भी एक लड़की वहां थी.

जवाब- निठारी की नहीं थी.

सवाल- आपकी कोठी पर एक लड़की आती थी. बड़ी पायल कोर्ट में उसका नाम है. और वो अक्सर आया करती थी. तो क्या वो निठारी बस्ती की नहीं थी?

जवाब- नहीं. बाहर की थी.

सवाल- निठारी की बस्ती की कोई ऐसी एस्कॉर्ट लड़की थी, जो कोठी में आया करती थी?

Advertisement

जवाब-  बिल्कुल नहीं.

सवाल- तो जो भी एस्कॉर्ट आप बुलाते थे, सुरेंद्र कोली इन सब की जानकारी रखता था. वो देखता था. कहा गया कि जब उसने ये देखना शुरू किया, तब उसके अंदर भी कुछ अरमान जागे. एक शैतानियत जागी. उसका बहुत असर पड़ा. आपके इस एक्ट से. ये कितना सच है?

जवाब- ये बात का जवाब वही दे सकता है. मैं किसी के दिमाग के बारे में क्या बोलूं. इंसान डूबता क्या नहीं कहता. जब उसका नाम किसी मामले में आ रहा है. उस पर उंगली उठ रही है. तो वो कुछ ना कुछ कह भी सकता है. हो सकता है उसने कहा भी हो. पर उसने कभी ये चीज़ मेरे से जाहिर नहीं की.  

सवाल- इन सारी चीजों के बावजूद कभी आपने ये महसूस किया कि सुरेंद्र कोली किस तरह का इंसान है. क्योंकि आपने उसे रखा था काम पर?

जवाब- मुझे तो बहुत बढ़िया इंसान लगा. अच्छा ना होता तो मैं रखता ही ना. सीधी सी बात है.

सवाल- दिसंबर 2006 में जब पहली बार ये मामला उठा. और उसके बाद डी5 डी6 के पीछे के नाले से सारी चीज़े बरामद हुईं. और फिर कोठी तक बात आई. आप तक और सुरेंद्र कोली तक. तब तक आपको ये अंदाजा था कि इतने सारे बच्चे गायब होकर कहां जा रहे हैं? हमारी कोठी तक ये मामला क्यों आया.

जवाब- बिल्कुल नहीं, सबसे ज्यादा हैरान मैं था. इसमें कोई शक नहीं है. पब्लिक को मेरे से पहले पता लगा कि डी5 में ये सारा कुछ हुआ है. मैं तो उस वक्त पुलिस कस्टडी में था. जब बात खुली थी कि मेरी कोठी शामिल है.

सवाल- जब आप कस्टडी में नहीं थे. जब ये मामला चल रहा था. तब एक इल्जाम ये भी लगा था कि जो निठारी पुलिस चौकी है और जो इलाके के लोकल पुलिसवाले हैं. उनका आपके घर आना जाना था. उनके साथ उठना बैठना था. और इसीलिए इल्जाम था कि पंढेर साहब को ज्यादा रियायत दी जा रही है और सारी चीजें सुरेंद्र कोली पर डाली जा रही हैं?

जवाब- सबसे पहली बात इनवेस्टिगेशन करने के लिए मेरे घर कोई आएगा नहीं? उसके अलावा कोई रस्ता हो तो आप सजेस्ट करें. मेरे को बताएं. पब्लिक को भी पता होना चाहिए. इसके अलावा भी कोई रास्ता होता है. मेरे से आकर इनवेस्टिगेशन करेंगे, पूछताछ करेंगे. मेरे घर के अंदर आएंगे. सोचने वाली बात है. आपको मैं यहां तक बताता हूं. मैंने कभी सतविंदर को. थाने से कभी मैं उसको वापस लेकर नहीं आया. जब भी उसको बुलाया गया पूछताछ के लिए मैंनें कभी दखल नहीं दिया. सिर्फ पायल वाला मामला चल रहा था उस वक्त. मैंने सहयोग दिया हमेशा. प्लीज बी क्लीयर.

सवाल- पहली बार पायल का केस आया था. तब ये खुलासा नहीं हुआ था. और पायल गायब थी. तब ये था कि पायल के साथ आपका बहुत करीबी रिश्ता था. जब पुलिस पायल की गुमशुदगी को लेकर आपके पास पहुंची थी. तब आपने पायल को तलाश करने के लिए जासूसों को हायर किया था?

जवाब-  यस. मैंने बातचीत कर ली थी. पैसे तो मुझे अभी पहुंचाने थे. हायर शब्द तो आप तब इस्तेमाल करते, जब मैं पैसा दे देता. पर वहां तक नौबत पहुंची नहीं. उससे पहले ही केस खुल गया था. मैं मिला था. मुझे उस टाइम डर होने लगा था. कहीं मैं ब्लैकमेलिंग के चक्कर में ना फंस जाऊं. जो लड़की का बाप है, वो एक अलग स्टोरी सुना रहा था. वो कह रहा था मेरी लड़की इस घर में बुलवाई गई है. मेरे पास उसको बुलवाने का कोई रिकॉर्ड नहीं था. और ना मैं शहर में था उस टाइम. ये सारा पुलिस को मालूम था.

सवाल- जब दिसंबर 2006 में लास्ट वीक पहली बार आपकी और पड़ोसियों की कोठी के पीछे नाले से कंकाल मिलना शुरू हुए तो आपको अंदाजा था कि इसकी आंच आप और कोली दोनों तक जाएगी? 

जवाब- जब मुझे पता लगा. उस टाइम तक तो सारी बात खुल चुकी थी. उस टाइम तो केस सारा खुल ही चुका था कि ये कोई सीरियल किलिंग का मामला है. तब जाकर मेरे कानों पड़ी.

सवाल- पहली बार आपको क्या पता चला सुरेंद्र कोली के बारे में?

जवाब- पहले तो लिंक उसका पायल के साथ बनाया गया था. बच्चों वाली तो कोई कहानी थी नहीं. बच्चों वाली कहानी तो 29 तारीख को जेहन में आया. 

सवाल- पायल का जब फोन मिला था तो कहते हैं उसमें सिम सुरेंद्र कोली का था.

जवाब- यस.

सवाल- जिस पायल के साथ आपका रिश्ता था. उसी पायल की गुमशुदगी और उसका सिम वहां मिलना. तब तक आपको अंदाजा नहीं था कि सुरेंद्र कोली ऐसा कर सकता है?

जवाब- मैं ही हूं जो उसको गांव से लेकर आया था. जब इनवेस्टिगेशन हुई है तो मैंने खुद बोला कि ये लड़की हर हालत में रिकवर होनी चाहिए. पहले वो बोलता रहा कि चाचा हूं. फिर बाद में पता चला कि वो उसका पिता है. उसने मुझे कहा कि मैंने पुलिस को बताया था कि वो लड़की आपके घर नौकरी के लिए आती थी. मैंने ये नहीं बताया कि वो कॉल गर्ल थी. तो मैंने भी ये बात छुपाकर रखी. मैं झूठ नहीं बोलूंगा. उसमें मेरी इज्जत का भी सवाल था और उनकी इज्जत का तो था ही. लेकिन जब पानी सिर से ऊपर निकल गया तब पुलिस को बताया.

जुर्म की ये दास्तान अभी जारी है...

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement