ललित मोदी-विजय माल्या का लंदन से प्रत्यर्पण का केस कहां तक पहुंचा? ये है दोनों के घोटालों की पूरी कहानी

भारत में वॉन्टेड ललित मोदी और विजय माल्या के लंदन से प्रत्यर्पण की कोशिशें लगातार जारी हैं. लेकिन मामला वहां की अदालत में अटका हुआ है. जानें, क्या है इन भगोड़ों के केस का हाल? और साथ में IPL और किंगफिशर एयरलाइंस घोटालों की पूरी कहानी.

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भारत के ये दोनों भगोड़े लंदन में शरण लिए बैठे हैं (फोटो-ITG) भारत के ये दोनों भगोड़े लंदन में शरण लिए बैठे हैं (फोटो-ITG)

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:24 PM IST

ललित मोदी और विजय माल्या भारत के दो प्रमुख आर्थिक अपराधी हैं, जिन पर करोड़ों रुपये के घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं. ललित मोदी को आईपीएल (IPL) से जुड़ी फाइनेंशियल अनियमितताओं के लिए, जबकि विजय माल्या को किंगफिशर एयरलाइंस के लोन डिफॉल्ट के लिए जाना जाता है. दिसंबर 2025 तक, उनके प्रत्यर्पण का मामला आगे तो बढ़ा है, लेकिन अभी तक इसमें कामयाबी नहीं मिली. हाल ही में दोनों का एक वीडियो चर्चाओं में है, जिसमें दोनों ने खुद को 'भारत के सबसे बड़े फ्यूजिटिव' कहा है. चलिए जान लेते हैं भारत के इन दोनों भगोड़ों की पूरी कहानी.

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ललित मोदी की कहानी
ललित मोदी आईपीएल के संस्थापक और पहले कमिश्नर थे, जिन्होंने 2008 में इस लीग को शुरू किया था. IPL ने क्रिकेट को व्यावसायिक रूप दिया और अरबों रुपये का कारोबार किया. लेकिन 2010 में IPL के तीसरे सीजन के बाद उन पर गंभीर आरोप लगे. BCCI ने उन्हें मिसकंडक्ट, अनुशासनहीनता और फाइनेंशियल अनियमितताओं के लिए सस्पेंड कर दिया. मोदी पर IPL फ्रेंचाइजी बिडिंग में धांधली और फंड्स के दुरुपयोग का इल्जाम था. साल 2013 में BCCI ने उन पर लाइफटाइम बैन लगा दिया.

IPL घोटाला: मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप
साल 2010 में IPL के दौरान ललित मोदी पर मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स एवेजन के आरोप लगे. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच शुरू की, जिसमें पाया गया कि IPL फ्रेंचाइजी आवंटन में Rs 125 करोड़ से ज्यादा का फंड मोदी के पास पहुंचा. BCCI ने शिकायत की कि मोदी और अन्य ने Rs 468 करोड़ का दुरुपयोग किया है. मोदी पर बेटिंग, मैच फिक्सिंग और ब्लैक मनी जनरेशन के भी इल्जाम थे. टैक्स और फॉरेन एक्सचेंज जांचकर्ताओं ने उनके ठिकानों पर रेड की. मोदी ने इन आरोपों से साफ इनकार कर दिया, लेकिन जांच आगे बढ़ती रही.

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मोदी ने भारत से भाग कर लंदन में ली शरण
साल 2010 में जांच के दौरान ललित मोदी भारत छोड़कर लंदन भाग गया. उसने दावा किया कि उसे जान का खतरा है. भारत सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED के जरिए उनके खिलाफ केस दर्ज किया. इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस मांगा गया, लेकिन 2017 में इंटरपोल ने सबूत कमजोर बताकर रिजेक्ट कर दिया. हालांकि, ED की जांच जारी रही और सिंगापुर से जानकारी मांगी गई, लेकिन गलत डेटा के कारण एक साल देरी हुई. मोदी ने वानुअतु की सिटीजनशिप ली, जो प्रत्यर्पण से बचाव का तरीका था.

ललित मोदी प्रत्यर्पण केस के हालात
दिसंबर 2025 तक, ललित मोदी का प्रत्यर्पण केस लंदन कोर्ट में पेंडिंग है. भारत सरकार ED और CBI के जरिए प्रयास कर रही है. मोदी पर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के कई केस हैं. हाल ही में विजय माल्या के साथ एक पार्टी वीडियो वायरल हुआ, जहां दोनों ने खुद को फ्यूजिटिव कहा, जिससे उनकी आलोचना भी हुई. सरकार का कहना है कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया जारी है, लेकिन कोई अंतिम फैसला नहीं आया. मोदी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और आरोपों का खंडन करते रहते हैं.

मोदी के घोटाले का असर
ललित मोदी के IPL घोटाले ने भारतीय क्रिकेट पर गहरा असर डाला. BCCI की छवि खराब हुई और IPL में पारदर्शिता के सवाल उठे. करोड़ों रुपये के फंड्स का दुरुपयोग होने से निवेशकों का विश्वास डगमगाया. ED की जांच में पाया गया कि विदेशी कंपनियों के जरिए पैसे ट्रांसफर हुए. मोदी पर सरकारी मंत्रियों से सांठगांठ के भी आरोप लगे. इस घोटाले ने भारत में स्पोर्ट्स बिजनेस में सुधार की मांग बढ़ाई.

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केस में कानूनी चुनौतियां
हाल फिलहाल भी ललित मोदी के खिलाफ ED और CBI के केस जारी हैं. लंदन में प्रत्यर्पण सुनवाई में भारत को मजबूत सबूत देने हैं. मोदी ने कई बार कोर्ट में अपील की, लेकिन सफल नहीं हुए. 2025 में वीडियो विवाद के बाद सरकार ने प्रयास तेज किए. अगर प्रत्यर्पण हुआ तो मोदी को भारत में ट्रायल का सामना करना पड़ेगा. यह केस भारत-UK प्रत्यर्पण संधि का परीक्षण है.

विजय माल्या का किस्सा
विजय माल्या यूबी ग्रुप के चेयरमैन थे, जिन्होंने किंगफिशर एयरलाइंस 2005 में शुरू की. वह 'किंग ऑफ गुड टाइम्स' के नाम से मशहूर थे. एयरलाइंस ने लग्जरी सर्विस दी, लेकिन घाटे में चली. साल 2008-2012 में माल्या ने बैंकों से Rs 9000 करोड़ से ज्यादा लोन लिए. लेकिन कंपनी डूब गई और 2012 में ऑपरेशन बंद हो गया. माल्या पर लोन डायवर्जन और फ्रॉड के आरोप लगे.

लोन डिफॉल्ट की कहानी
किंगफिशर एयरलाइंस ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) समेत 17 बैंकों से लोन लिया, लेकिन चुकाया नहीं. CBI ने जांच में पाया कि विजय माल्या ने लोन का पैसा पर्सनल यूज में डायवर्ट किया. उन पर चीटिंग, क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे. 5 लाख से ज्यादा ट्रांजेक्शन की जांच हुई, जिसमें विदेशी खातों में मनी ट्रांसफर किया जाना दिखाई दिया. साल 2016 में CBI ने माल्या पर चीटिंग का चार्ज लगाया. घोटाले की रकम Rs 9000 करोड़ बताई जाती है.

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भारत से भागा विजय माल्या 
साल 2016 में जांच बढ़ने पर विजय माल्या भारत छोड़कर लंदन भाग गए. ED और CBI ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए. साल 2019 में स्पेशल कोर्ट ने उन्हें फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर घोषित किया. विजय माल्या ने दावा किया कि वह इच्छा से भागे नहीं, बल्कि सेटलमेंट चाहते हैं. लेकिन बैंकों ने इनकार कर दिया. उनके एसेट्स जब्त कर लिए गए, लेकिन रिकवरी पूरी नहीं हुई.

विजय माल्या प्रत्यर्पण केस के हालात
दिसंबर 2025 तक, विजय माल्या का प्रत्यर्पण केस आगे बढ़ रहा है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने विजय माल्या से कहा कि वह भारत लौटें, तब फ्यूजिटिव टैग के खिलाफ याचिका सुनी जाएगी. कोर्ट ने फरवरी 11 तक वापसी की तारीख बताने को कहा. लंदन कोर्ट ने 2019 में प्रत्यर्पण की मंजूरी दी, लेकिन अपीलें जारी हैं. हाल के वीडियो में माल्या और मोदी के साथ दिखने से विवाद बढ़ गया है. सरकार का कहना है कि जल्द ही उन दोनों का प्रत्यर्पण होगा.

माल्या के घोटाले के प्रभाव
विजय माल्या के घोटाले ने भारतीय बैंकिंग सिस्टम की कमजोरियां उजागर कीं. NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) बढ़े और बैंकों को भारी नुकसान हुआ. इसने कॉर्पोरेट लोन देने में सख्ती की मांग को हवा दी. FEO एक्ट 2018 इसी तरह के मामलों के लिए बनाया गया. माल्या केस ने अन्य फ्यूजिटिव जैसे नीरव मोदी के लिए उदाहरण सेट किया. इस मामले से देश की अर्थव्यवस्था पर करोड़ों का बोझ बढ़ गया.

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माल्या केस में कानूनी चुनौतियां
माल्या ने यूके में कई अपील दाखिल की, जिससे प्रत्यर्पण में देरी हुई. भारत ने सबूत दिए, लेकिन माल्या ने जेल कंडीशन पर सवाल उठाए. साल 2025 में बॉम्बे HC ने रिमोट सुनवाई से इनकार किया. ED ने उनके एसेट्स बेचकर कुछ रिकवरी की. अगर प्रत्यर्पण हुआ तो माल्या को CBI कोर्ट में ट्रायल के लिए जाना होगा. यह केस बैंक फ्रॉड रोकने के लिए महत्वपूर्ण है.

दोनों मामलों का भविष्य
ललित मोदी और विजय माल्या के केस भारत के लिए चुनौती हैं. दोनों लंदन में हैं और प्रत्यर्पण प्रक्रिया जारी है. मोदी का केस सबूतों पर अटका है, जबकि माल्या का उन्नत स्टेज में. हाल के वीडियो ने जनता का गुस्सा बढ़ाया. अगर प्रत्यर्पण सफल हुआ तो इंसाफ की जीत होगी. ये मामले आर्थिक अपराधों पर सख्ती की जरूरत बताते हैं.

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