भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) और कानून व्यवस्था (Law & Order) पर आधारित हमारी इस खास सीरीज में हम आज बात करेंगे आईपीसी की धारा 7 (Section 7) के बारे में और जानेंगे कि किस काम आती है IPC की ये धारा और इसमें क्या प्रावधान (Provisions) है.
क्या है भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 7
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 7 (Sction 7) का मतलब है कि अगर यहां हर वाक्य का अंश, जिसका भी स्पष्टीकरण इस संहिता के किसी भाग में कहीं पर भी किया गया है, तो ये पूरी दंड संहिता में इस संहिता के हर भाग में उस स्पष्टीकरण के अनुरूप ही प्रयोग किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के विख्यात अधिवक्ता असगर खान IPC की धारा 7 को समझाते हुए बताते हैं कि आम भाषा में कहें तो आईपीसी का सेक्शन 7 कहता है कि कानून सबके लिए बराबर है. कानून में किसी भी एक्ट में अगर कोई भी शब्द बार-बार दोहराया गया हो तो उसके मीनिंग को हम अपने जहन में उसके एक्सप्लेनेशन के तौर पर रखते हुए उसके अर्थ को इस्तेमाल करेंगे.
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क्या है भारतीय दंड संहिता (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
1862 में लागू हुई थी आईपीसी
ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव भी किए गए.
परवेज़ सागर