Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अपराध और सजा (Crime and Punishment) के साथ अपराधी (Offender) के बारे में भी कई तरह के प्रावधान (Provision) मौजूद हैं. इसी प्रकार आईपीसी की धारा 205 (IPC Section 205) में वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपण करना बताया गया है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 205 इस विषय में क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 205 (Indian Penal Code Section 205)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 205 (Section 205) के अधीन वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपण करना परिभाषित किया गया है. आईपीसी की धारा 205 के अनुसार, जो कोई किसी दूसरे का मिथ्या प्रतिरूपण (False personation) करेगा और ऐसे धरे हुए रूप में किसी वाद या आपराधिक अभियोजन (Suit or criminal prosecution) में कोई स्वीकृति या कथन (Acceptance or statement) करेगा, या दावे की संस्वीकृति (Acceptance of claim) करेगा, या कोई आदेशिका निकलवायेगा या जमानतदार या प्रतिभू (Surety) बनेगा या कोई भी अन्य कार्य करेगा, वह अपराधी (offender) माना जाएगा.
सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसा करने वाले दोषी को किसी भांति के कारावास से दंडित (Punished with imprisonment) किया जाएगा. जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानतीय (Bailable) और गैर-संज्ञेय अपराध (Non-cognizable offenses) है. जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी (First class) के मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जा सकती है. यह अपराध समझौता योग्य नहीं (Not negotiable) है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.
परवेज़ सागर