हिडमा से कम खूंखार नहीं था नक्सल कमांडर गणेश उईके, 23 टीमों ने जंगल में घेरकर किया एनकाउंटर

ओडिशा के कंधमाल में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. हिडमा जैसा खूंखार नक्सल कमांडर गणेश उईके एनकाउंटर में मारा गया. उईके कितना खतरनाक था, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके एनकाउंटर में सुरक्षाबलों की 23 टीमें शामिल थीं.

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उईके पर एक करोड़ से ज्यादा का इनाम था (फोटो-ITG) उईके पर एक करोड़ से ज्यादा का इनाम था (फोटो-ITG)

aajtak.in

  • कंधमाल/नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:00 PM IST

Ganesh Uike Encounter: ओडिशा के कंधमाल जिले में सुरक्षाबलों को नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. जंगल में चले लंबे और सुनियोजित ऑपरेशन के दौरान शीर्ष माओवादी नेता गणेश उईके समेत छह नक्सली मारे गए. यह कार्रवाई नक्सल नेटवर्क के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है. गणेश उईके पर कुल 1.1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. उसकी मौत से ओडिशा में माओवादियों की कमर टूटती नजर आ रही है.

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हिडमा जैसा खूंखार था गणेश उईके
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक गणेश उईके की क्रूरता और रणनीतिक क्षमता कुख्यात नक्सली हिडमा से कम नहीं थी. वह कई बड़े हमलों की साजिशों में शामिल रहा था. उईके जमीन पर लड़ाई लड़ने के साथ संगठन विस्तार में भी माहिर माना जाता था. नक्सली संगठन में उसका कद काफी ऊंचा था. यही वजह है कि उसकी मौत को ऐतिहासिक सफलता माना जा रहा है.

CPI (माओवादी) से जुड़ा था उईके
गणेश उईके CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सदस्य था. दिसंबर 2024 से वह ओडिशा में प्रतिबंधित माओवादी संगठन की कमान संभाल रहा था. एडीजी स्तर के अधिकारी संजीब पांडा के मुताबिक उईके संगठन का मुख्य रणनीतिकार था. उसकी मौजूदगी से ओडिशा में नक्सली गतिविधियां तेज हुई थीं. ऐसे में उसका अंत सुरक्षाबलों के लिए बड़ी उपलब्धि है.

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जंगल में कई घंटे चला ऑपरेशन
यह एनकाउंटर बेलघर थाना क्षेत्र के गुम्मा जंगल और चकापाड़ा इलाके में हुआ. बुधवार रात से शुरू हुई मुठभेड़ गुरुवार सुबह तक चली. अलग-अलग इलाकों में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच गोलीबारी हुई. पहले दो नक्सली मारे गए, फिर गुरुवार को चार अन्य ढेर कर दिए गए. ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा था.

23 टीमों की संयुक्त कार्रवाई
इस बड़े ऑपरेशन में कुल 23 टीमें शामिल थीं. इनमें ओडिशा पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की 20 टीमें थीं. इसके अलावा CRPF की दो और BSF की एक टीम को भी तैनात किया गया था. विशेष खुफिया इनपुट के आधार पर यह कार्रवाई की गई. टीमों के बीच बेहतरीन तालमेल इस सफलता की बड़ी वजह बना.

दो महिला नक्सली भी ढेर
गुरुवार को हुई मुठभेड़ में मारे गए चार नक्सलियों में दो महिलाएं भी शामिल थीं. पुलिस के मुताबिक सभी नक्सली सक्रिय लड़ाके थे. उनके पास से हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया. मारे गए नक्सलियों की पहचान राजानी, सीमा और उमेश के रूप में हुई है. इन तीनों पर 1.65 लाख रुपये का इनाम घोषित था.

कई नामों से जाना जाता था उईके
69 वर्षीय गणेश उईके कई नामों से संगठन में सक्रिय था. वह पक्का हनुमंतु, राजेश तिवारी, चम्रू और रूपा जैसे कोड नेम का इस्तेमाल करता था. उसका मूल निवास तेलंगाना के नलगोंडा जिले के पुल्लेमाला गांव में था. लंबे समय से वह अलग-अलग राज्यों में नक्सली नेटवर्क खड़ा कर रहा था. उसकी पहचान बदल-बदल कर काम करने की आदत उसे खतरनाक बनाती थी.

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बुधवार रात भी दो नक्सली ढेर
बुधवार रात हुई मुठभेड़ में छत्तीसगढ़ के दो नक्सली मारे गए थे. इनकी पहचान एरिया कमेटी मेंबर बारी उर्फ राकेश और दलम सदस्य अमृत के रूप में हुई. दोनों पर कुल 23.65 लाख रुपये का इनाम था. ये नक्सली गुम्मा जंगल में सक्रिय थे. इनके मारे जाने के बाद ऑपरेशन और तेज किया गया.

हथियारों का जखीरा बरामद
एनकाउंटर के बाद मौके से दो INSAS राइफल और एक .303 राइफल बरामद की गई. इसके अलावा भारी मात्रा में गोलियां भी मिलीं हैं. पुलिस का कहना है कि यह हथियार किसी बड़ी वारदात के लिए जमा किए गए थे. बरामदगी से नक्सलियों की तैयारी और मंशा साफ होती है. सुरक्षा एजेंसियां अब इलाके की सघन तलाशी में जुटी हैं.

अमित शाह ने बताया बड़ी उपलब्धि
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन को “मेजर ब्रेकथ्रू” बताया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि कंधमाल में हुए ऑपरेशन में केंद्रीय समिति सदस्य गणेश उईके समेत छह नक्सली मारे गए हैं. शाह ने कहा कि ओडिशा नक्सलवाद से मुक्त होने की दहलीज पर खड़ा है. उन्होंने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने के संकल्प को दोहराया.

जवानों की सराहना
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस सफलता को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने पुलिस और सुरक्षाबलों के साहस, पेशेवर रवैये और समन्वय की तारीफ की. माझी ने कहा कि यह नक्सल मुक्त भारत के अभियान में बड़ी उपलब्धि है. राज्य सरकार शांति और विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है. उन्होंने जवानों को बधाई दी.

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डीजीपी ने कहा- ऑपरेशन जारी है
राज्य के डीजीपी वाई बी खुरानिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केंद्रीय समिति सदस्य की मौत माओवादियों की रीढ़ तोड़ने जैसी है. उन्होंने इसे हाल के वर्षों का सबसे बड़ा ऑपरेशन बताया. डीजीपी के मुताबिक कंधमाल-गंजाम सीमा पर अभी भी ऑपरेशन जारी है. आने वाले दिनों में और सफलताओं की उम्मीद है.

सुरक्षाबलों को कोई नुकसान नहीं
डीजीपी ने स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को कोई नुकसान नहीं हुआ है. किसी भी जवान के हताहत होने की सूचना नहीं है. यह ऑपरेशन पूरी तरह नियंत्रित और रणनीतिक तरीके से अंजाम दिया गया. इससे सुरक्षा बलों का मनोबल और बढ़ा है. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई और तेज होगी.

ओडिशा में पहली बार बड़ी कामयाबी
हाल के वर्षों में यह पहली बार है जब ओडिशा में केंद्रीय समिति स्तर का नक्सली मारा गया है. इससे पहले ऐसे बड़े नेताओं को मार गिराना आसान नहीं था. इस सफलता से नक्सली संगठन में डर का माहौल है. माना जा रहा है कि कई कैडर आत्मसमर्पण की ओर बढ़ सकते हैं. यह ऑपरेशन गेम चेंजर साबित हो सकता है.

आत्मसमर्पण से जुड़ा कनेक्शन
यह मुठभेड़ उस वक्त हुई जब मलकानगिरी जिले में 22 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. पुलिस का मानना है कि संगठन पर बढ़ते दबाव का यह नतीजा है. लगातार ऑपरेशन और विकास योजनाओं से नक्सली कमजोर पड़ रहे हैं. आत्मसमर्पण की संख्या बढ़ना इसका सबूत है. सरकार इस नीति को और मजबूत कर रही है.

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मुख्यधारा में लौटने की अपील
मुख्यमंत्री और डीजीपी ने एक बार फिर नक्सलियों से हिंसा छोड़ने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ओडिशा की सरेंडर और पुनर्वास नीति देश में सबसे बेहतर है. सरकार चाहती है कि युवा गुमराह होकर हिंसा का रास्ता न चुनें. मुख्यधारा में लौटने वालों को सम्मान और सुरक्षा दी जाएगी. यह नीति सकारात्मक बदलाव ला रही है.

सरेंडर करने पर करोड़ों की मदद
ओडिशा सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 1.20 करोड़ रुपये तक की आर्थिक सहायता देती है. हथियारों के साथ सरेंडर करने पर अतिरिक्त 4.95 लाख रुपये मिलते हैं. इसके अलावा घर, शादी के लिए 25 हजार रुपये, स्किल ट्रेनिंग और 10 हजार रुपये मासिक स्टाइपेंड दिया जाता है. स्वास्थ्य कार्ड और खाद्य सुरक्षा भी शामिल है. यह पैकेज नक्सलियों को नई जिंदगी की राह दिखाता है.

अंत की ओर नक्सलवाद
गणेश उईके का एनकाउंटर ओडिशा में नक्सलवाद के अंत की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. सरकार और सुरक्षाबल पूरी ताकत से इस लड़ाई में जुटे हैं. लगातार सफल ऑपरेशन नक्सल नेटवर्क को कमजोर कर रहे हैं. आने वाला समय शांति और विकास का संदेश लेकर आएगा. ओडिशा अब नक्सल मुक्त भविष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है.

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