Delhi Blast & Pulwama Terror Network: दिल्ली धमाका सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि कई परतों वाली ऐसी साजिश है, जिसके तार सीधे पाकिस्तान में मौजूद आतंकी सरगना मौलाना मसूद के नेटवर्क से जुड़ते दिखाई दे रहे हैं. इस नेटवर्क को मजबूत बनाने में मौलाना इमरान के गुप्त मैसेज और अल-फलाह अस्पताल के डॉक्टरों का खास रोल रहा है. जांच एजेंसियों को शक है कि यह कोई अकेला वुल्फ अटैक नहीं, बल्कि पुलवामा जैसा संगठित मॉड्यूल है, जिसे दिल्ली की भीड़भाड़ और रणनीतिक जगहों को निशाना बनाने के लिए तैयार किया गया था. इस नेटवर्क में एक नहीं कई लोग शामिल थे, जिनमें से कई पकड़े जा चुके हैं और कई एजेंसियों के रडार पर हैं.
दिल्ली धमाका, एक खौफनाक साजिश
10 नवंबर 2025 को दिल्ली के लाल किले के पास एक कार में हुए धमाके ने पूरे देश को हिला दिया. इस विस्फोट में कम से कम 13 लोग मारे गए और 20 से ज्यादा घायल हो गए. जांच एजेंसियों के मुताबिक, यह जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल था. पुलवामा के रैडिकल नेटवर्क से जुड़े डॉक्टरों ने इसकी साजिश रची थी. देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी NIA ने यह केस अपने हाथ में ले लिया है. धमाके वाली कार Hyundai i20 थी, जो IED से लदी हुई थी. यह धमाका पुलवामा स्टाइल अटैक का हिस्सा था. जिसके बाद पूरे देश में अलर्ट जारी किया गया.
साजिश का मास्टरमाइंड मौलाना मसूद अजहर
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का सरगना मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान में बैठकर इस मॉड्यूल को चला रहा था. उसी के इशारे पर दिल्ली में ब्लास्ट की प्लानिंग हुई. मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में उसके परिवार के सदस्य मारे गए थे, जिसका बदला लेने की कोशिश थी दिल्ली ब्लास्ट. अजहर ने ही क्रिप्टोकरेंसी और टेलीग्राम चैनलों के ज़रिए धमाके के लिए फंडिंग की. उसके भाई मौलाना अम्मार अल्वी ने ही हमलावरों को फिदायीन ट्रेनिंग दी थी. उसकी बहन सादिया अजहर ने महिला आतंकियों का विंग तैयार किया और उसे चलाया. इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि इस धमाके के पीछे अजहर का सीधा मैसेज था. यह आतंकी नेटवर्क कश्मीर से दिल्ली तक फैला है.
मौलावी इमरान का मैसेज और रैडिकलाइजेशन
पुलवामा के एक मौलवी मौलाना इमरान अहमद ने एन्क्रिप्टेड ऐप्स पर मैसेज भेजकर डॉक्टरों को रैडिक्लाइज़ किया था. उसके मैसेज में 'जिहाद का फर्ज' और 'दिल्ली पर हमले' का प्रोपगैंडा था. इमरान ने अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों को टारगेट किया. वह JeM का ओवरग्राउंड वर्कर था. जांच में उसकी डायरी से कोड वर्ड्स मिले हैं. मौलवी इमरान तुर्कीए और अफगानिस्तान में मौजूद हैंडलर्स के संपर्क में था. उसी के मैसेज ने युवा डॉक्टरों का ब्रेनवॉश किया था. NIA ने उसे गिरफ्तार कर लिया और लगातार उससे पूछताछ की जा रही है. पता चला है कि यह मैसेज चेन साल 2024 से चल रही थी.
डॉक्टरों का टेरर हब बना एक अस्पताल
फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी और अस्पताल टेरर मॉड्यूल का सेंटर बन गया था. जहां कश्मीरी डॉक्टरों को भर्ती किया गया. वहीं काम करने वाले डॉक्टरों में से एक की निशानदेही पर 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट और हथियार बरामद हुए थे. यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने कश्मीरियों को काम पर रखने में प्राथमिकता दी थी. अब यूनिवर्सिटी के HR डिपार्टमेंट पर भी छापे पड़े हैं. दो FIR चीटिंग और फॉर्जरी के लिए दर्ज की गईं हैं. NAAC ने यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है. जांच में पता चला है कि यूनिवर्सिटी की एक इमारत के रूम नंबर 13 में डॉक्टर मीटिंग करते थे. यह जगह विस्फोटक बनाने के लिए भी इस्तेमाल की गई थी. इस आतंकी खुलासे के बाद यूनिवर्सिटी की वेबसाइट डाउन हो गई थी.।
डॉक्टर उमर मोहम्मद: फिदायीन हमलावर
पुलवामा का रहने वाला 36 वर्षीय डॉक्टर उमर मोहम्मद नबी दिल्ली में धमाका करने वाली कार चला रहा था. 1989 में जन्मे उमर ने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से MBBS किया था. हाल फिलहाल वो अल फलाह यूनिवर्सिटी में फैकल्टी था. रैडिकलाइजेशन के बाद उसने जैश जॉइन किया था. पुलवामा में मौजूद उसके घर पर बुलडोजर चला दिया गया है. DNA टेस्ट से उसकी लाश की पुष्टि की गई थी. डॉ. उमर ने ही दिल्ली ब्लास्ट को अंजाम दिया क्योंकि उसके साथी पहले ही गिरफ्तार हो गए थे. बाद में उसके भाई और मां को पुलिस ने हिरासत में लिया था. साथ ही उसके लैपटॉप से मैसेज भी मिले थे. जांच में पता चला कि वह ट्रेनिंग के लिए तुर्की गया था.
डॉक्टर मुजम्मिल शकील: विस्फोटकों का स्टोरेज मैन
35 वर्षीय डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई भी पुलवामा का रहने वाला है. वह अल फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था. उसी ने 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट स्टोर किया था. दरअसल वो इस साजिश में इमरजेंसी विंग मैनेज करता था. उसकी गिरफ्तारी 9 नवंबर को हुई थी. उसके कमरे से एक डायरी मिली थी. जिससे कई खुलासे हुए. मुजम्मिल ने ही डॉ. उमर को रिक्रूट किया था. वह जैश-ए-मोहम्मद के लिए IED बनाता था. जांच एजेंसियों ने उसके दोस्तों से AK-47 बरामद की है. उसने पूछताछ में तुर्की कनेक्शन का खुलासा किया. मुजम्मिल ने यूपी में भी अपना नेटवर्क फैलाया था. वह व्हाइट कॉलर टेरर का सिंबल था.
डॉक्टर शाहीन शाहिद: महिला विंग की कमांडर
लखनऊ की 40 वर्षीय डॉ. शाहीन शाहिद भी अल फलाह यूनिवर्सिटी में काम करती थी. वह जैश की महिला विंग जमात-उल-मोमिनात की इंडिया हेड थी. वह मौलाना मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर के निर्देश पर महिलाओं को रिक्रूट करती थी. उसकी कार से AK-47 मिली थी. शाहीन ने ऑनलाइन कोर्स के ज़रिए डॉक्टरों का ब्रेनवॉश किया. वह मुजम्मिल की गर्लफ्रेंड थी. जिसे 8 नवंबर को गिरफ्तार किया गया. उसके फोन से पाकिस्तान के मोबाइल नंबर्स मिले हैं. डॉ. शाहीन ने पुलवामा के डॉक्टरों को आतंकी साजिश से जोड़ा था. वह GSVM में प्रोफेसर रह चुकी है. NIA ने उसके नेटवर्क को तबाह कर दिया है.
पुलवामा का रैडिकल ग्रुप
कुलगाम के रहने वाले डॉ. आदिल अहमद राथर को यूपी के सहारनपुर में एक अस्पताल से गिरफ्तार किया गया. वह अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा था. उसने पूछताछ में पुलवामा के डॉ. सज्जाद अहमद मलिक का नाम लिया. जम्मू के रहने वाले डॉ. फारूक को हरियाणा के नूंह से अरेस्ट किया गया. ये सभी पुलवामा नेटवर्क से जुड़े लोग थे. इन सभी ने विस्फोटक जुटाए थे. इस पूरी साजिश में कुल मिलाकर 6 डॉक्टर गिरफ्तार किए गए हैं. इन सभी का बैकग्राउंड मेडिकल कॉलेज से है. इस सभी को सोशल मीडिया के ज़रिए रैडिक्लाइज किया गया. NIA ने इस मामले में अब तक 250 लोगों से पूछताछ की है. जांच में पता चला है कि यह ग्रुप IED एक्सपर्ट था.
मौलवी इश्तियाक: लोकल सपोर्टर का रोल
अल फलाह मस्जिद के इमाम मौलवी हफीज मोहम्मद इश्तियाक ने इस साजिश में लॉजिस्टिक्स अरेंज की थी. एजेंसी ने छापा मारकर उसके घर से 360 किलो विस्फोटक बरामद किया था. इश्तियाक ने ही आरोपी डॉक्टरों को शेल्टर दिया था. वह जैश का प्रोपगैंडिस्ट था. उसकी गिरफ्तारी हरियाणा के फरीदाबाद से की गई. उसके किराए के कमरे से छापे के दौरान हथियार बरामद हुए थे. इश्तियाक का कनेक्शन भी पुलवामा से था. NIA ने उसके बैंक अकाउंट चेक किए हैं. वह क्रिप्टो के ज़रिए फंड ट्रांसफर करता था. उसने मीटिंग्स के लिए मस्जिद का इस्तेमाल किया था. इस तरह इस साजिश में कुल मिलाकर 2 मौलवी अरेस्ट किए गए हैं.
गिरफ्तारियां और जांच का दायरा
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 18 गिरफ्तारियां कीं हैं. जिनमें पुलवामा, फरीदाबाद, लखनऊ, सहारनपुर में छापेमारी कर आरोपियों और संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इस मामले में अब एजेंसियां 250 लोगों से पूछताछ कर चुकी हैं. इस साजिश के तार पाकिस्तान के अलावा तुर्की और अफगानिस्तान से भी जुड़े हैं. जांच के दौरान पता चला है कि यह साजिश 32 कारों से सीरियल ब्लास्ट करने की थी. यह धमाके 6 दिसंबर को बाबरी की बरसी पर किए जाने थे. अब एजेंसियां अमोनियम नाइट्रेट सोर्स चेक कर रही हैं. साथ यूनिवर्सिटी का रिकॉर्ड भी जब्त कर लिया गया है. इस केस में DNA और CCTV कैमरों की फुटेज से सबूत मिले हैं. हालांकि अभी तक इस मामले में 8 संदिग्ध फरार हैं. जिनकी तलाश की जा रही है.
व्हाइट कॉलर टेरर: नई चुनौती
यह आतंकी मॉड्यूल पारंपरिक टेरर से अलग पढ़े-लिखे डॉक्टरों पर आधारित था. दरअसल, इस बार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने एजुकेटेड प्रोफेशनल्स को टारगेट किया. साथ ही उसने आतंकी साजिश में महिलाओं का रोल बढ़ा दिया. सोशल मीडिया के ज़रिए रिक्रूटमेंट किया गया. इस मामले में क्रिप्टो के जरिए फंडिंग की गई. कश्मीर से दिल्ली तक NIA ने स्लीपर सेल्स की कमर तोड़ दी है. यह 2019 पुलवामा अटैक का अपग्रेड वर्जन था. जिसका बेस ग्लोबल टेरर नेटवर्क था.
भविष्य की साजिशें और सबक
एजेंसियों की जांच में महाराष्ट्र और यूपी में और आतंकी प्लान्स के बारे में जानकारी मिली है. क्योंकि आतंकियों का फोकस 6 दिसंबर पर था. अब सरकार ने अलर्ट बढ़ा दिया है. अल फलाह यूनिवर्सिटी में फॉरेंसिक ऑडिट चल रहा है. भारत ने पाक को दोषी ठहराते हुए इंटरनेशनल कोऑपरेशन मांगा है. यह घटना टेरर के नए रूप को दिखाती है. जिसके चलते सिक्योरिटी सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करने की ज़रूरत है.
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