लॉकडाउन में शराब तस्करी पड़ेगी महंगी, आबकारी अधिनियम की इस धारा में होगी कार्रवाई

अगर कोई लॉकडाउन में शराब की तस्करी करे या उसे दूसरे राज्य से खरीदकार लाना चाहे तो नियम और कानून क्या कहता है. दरअसल, भारत के हर राज्य की अपनी आबकारी नीति है. उसी के अनुसार वहां कानून भी हैं.

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लॉकडाउन के तीसरे चरण में शराब की दुकानें खोलने की इजाजत (फोटो- PTI) लॉकडाउन के तीसरे चरण में शराब की दुकानें खोलने की इजाजत (फोटो- PTI)

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2020,
  • अपडेटेड 8:54 AM IST

  • सख्त है आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क)
  • दोषी को कड़ी सजा दिए जाने का है प्रावधान

कोरोना का कहर हर तरफ जारी है. भारत में भी अन्य देशों की तरह लॉक डाउन लागू है. इसी बीच सरकार ने ग्रीन और ऑरेंज जोन समेत रेड जोन के कुछ इलाकों में शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत दे दी है. नतीजा ये हुआ कि पहले ही दिन शराब की बिक्री ने रिकॉर्ड कायम कर दिया. देशभर में शराब की दुकानों पर लंबी लंबी कतारें देखने को मिली. यहां तक कि सोशल डिस्टेंसिंग की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गई.

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इस दौरान शराब के दीवानों को काबू करने के लिए हर जगह पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी. पहले दिन की जोरदार बिक्री को देखते हुए दिल्ली सरकार ने अचानक एक फैसला किया. उन्होंने राजधानी में शराब के खुद्रा मूल्य को 70 प्रतिशत बढ़ा दिया. और दूसरे दिन उस फैसले को लागू भी कर दिया. लेकिन इसका पीने वालों पर कोई खासा असर देखने को नहीं मिला. शराब दूसरे दिन भी जमकर बिकी. दिल्ली में शराब के दाम बढ़ जाने के बाद कुछ लोगों ने पड़ोसी राज्य यूपी से शराब लाने की नाकाम कोशिश की, लेकिन ऐसा हो ना सका. क्योंकि राज्यों के बॉर्डर सील हैं. वहां काफी सख्ती भी है.

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अब सवाल उठता है कि अगर कोई लॉकडाउन में शराब की तस्करी करे या उसे दूसरे राज्य से खरीदकार लाना चाहे तो नियम और कानून क्या कहता है. दरअसल, भारत के हर राज्य की अपनी आबकारी नीति है. उसी के अनुसार वहां कानून भी हैं. लेकिन आमतौर पर शराब तस्करी के मामलों में आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई होती है. जिसमें तस्करी से संबंधी मामलों में आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) के तहत मामला दर्ज किया जाता है.

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क्या है आबकारी अधिनियम की धारा

शराब की बिक्री अधिकांश राज्यों को सबसे ज्यादा राजस्व देती है. इसलिए आबकारी विभाग काफी अहम माना जाता है. हर राज्य में शराब के दाम वहां की आबकारी नीति के तहत निर्धारित किए जाते हैं. यही वजह है कि कई राज्यों में शराब सस्ती मिलती है तो कई राज्यों में महंगी. ऐसे में शराब की तस्करी के मामले अक्सर सामने आते हैं. ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के लिए आबकारी अधिनियम का इस्तेमाल होता है. यूपी आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यदि लॉक डाउन के दौरान कोई व्यक्ति अन्य राज्य से शराब लेकर आता है तो उसके खिलाफ इसी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. चाहे उसके पास एक बोतल ही क्यों ना हो.

आबकारी अधिकारी के अनुसार पहले आबकारी अधिनियम की धारा 60 के तहत आने वाले मामले जमानती अपराध की श्रेणी में आते थे. इसका सीधा फायदा शराब माफियाओं को मिलता था. इसी परेशानी को देखते हुए अधिनियम में संशोधन की ज़रूरत महसूस की गई. सरकार ने वर्ष 2018 में इस पर अहम फैसला किया और आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में बदल दिया गया. अब ऐसे मामलों में आबकारी अधिनियम की धारा के साथ-साथ आईपीसी की धारा 272 और 273 भी लगाती है.

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धारा 60 (क)

विभागीय जानकारी के मुताबिक मूल आबकारी अधिनियम में संशोधन के बाद नई धारा 60 (क) लागू की गई है, जिसके मुताबिक अगर कोई शख्स किसी मादक पदार्थ को किसी अन्य पदार्थ से मिलाता है या मिलाने देता है या ऐसी मादक वस्तु या किसी अन्य पदार्थ को किसी मादक वस्तु में इस्तेमाल करने के लिए बेचता है या उपलब्ध करवाता है, जिससे कोई इंसान विकलांगता या मृत्यु का शिकार हो जाए तो ऐसे में आरोपी के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाएगा.

ये है सजा का प्रावधान

पहले आबकारी अधिनियम में ज्यादा सख्ती नहीं थी. लेकिन साल 2018 में किए गए संशोधन के बाद धारा 60 (क) तहत पकड़े गए आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गई. अब तस्करी की शराब के साथ पकड़े जाने पर जमानत बड़ी मुश्किल है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. साथ ही दोषी पर अधिकतम दस लाख रुपये का जुर्माना भी किया जा सकता है.

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