छूट जाएंगे अखलाक हत्याकांड के आरोपी? यूपी सरकार वापस ले रही केस, पीड़ितों को कोर्ट से आस

ग्रेटर नोएडा के चर्चित अखलाक हत्याकांड में यूपी सरकार ने सभी आरोपियों के खिलाफ चल रहे मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. शासनादेश, कोर्ट में प्रस्तुत अर्जी, गवाहों के बयान, फॉरेंसिक रिपोर्ट और मामले की वर्तमान स्थिति पर पढ़ें यह रिपोर्ट.

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अखलाक की हत्या के सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं (फोटो-ITG) अखलाक की हत्या के सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं (फोटो-ITG)

अरुण त्यागी / समर्थ श्रीवास्तव

  • ग्रेटर नोएडा/लखनऊ,
  • 18 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST

Akhlaq lynching & Murder case: ठीक दस साल पहले देशभर को दहला कर रख देने वाले अखलाक हत्याकांड में यूपी सरकार अब आरोपियों से केस वापस लेना चाहती है. राजधानी दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा दादरी के बिसहाड़ा गांव में गोहत्या के संदेह के चलते अखलाक की हत्या हुई थी. इस घटना ने उस समय ना सिर्फ यूपी बल्कि केंद्र की सियासत में भी भूचाल ला दिया था. देशभर में मॉब लिंचिंग की ये अपनी तरह की पहली वारदात बताई गई जिसका जिक्र आज भी ऐसी घटनाओं के संदर्भ के तौर पर होता रहता है.

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अभियोजन वापसी की मंजूरी
अखलाक हत्याकांड में अब यूपी सरकार ने सभी आरोपियों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सूबे के विशेष सचिव मुकेश कुमार सिंह–II ने गौतमबुद्धनगर के डीएम को पत्र भेजकर अभियोजन वापसी की मंजूरी दी है. इस पत्र में साफ तौर पर उल्लेख है कि शासन को मिली रिपोर्ट और कानूनी तर्कों पर विचार करने के बाद यह फैसला लिया गया है. अतिरिक्त जिला सरकारी वकील भाग सिंह भाटी ने भी इसकी पुष्टि की है. सरकार की मंजूरी के बाद अब केस बंद होने का रास्ता औपचारिक रूप से खुल गया है.
 
CRPC की धारा 321 के तहत आवेदन
शासन द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि डीएम की संस्तुति और न्यायालय में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के आधार पर अभियोजन समाप्त करने की अनुमति दी जाती है. साथ ही निर्देश दिया गया है कि डीएम सीआरपीसी की धारा 321 के तहत मुकदमा वापसी की कानूनी प्रक्रिया पूरी कराएं. इसके बाद सरकारी वकील कोर्ट में औपचारिक आवेदन पेश करेंगे, जिसके बाद अदालत मामले की आगे की कार्यवाही तय करेगी. यह कदम इस बहुचर्चित केस के न्यायिक भविष्य को सीधे प्रभावित करेगा.
 
अफवाह, हमला और अखलाक की हत्या
28 सितंबर 2015 की रात बिसहाड़ा गांव में लाउडस्पीकर से घोषणा हुई कि अखलाक ने गो हत्या कर उसका मांस घर में रखा है. इसके बाद भीड़ ने उनके घर पर हमला कर दिया. इस हमले में अखलाक की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई जबकि उनका बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हो गया. अखलाक की पत्नी इकरामन ने उसी रात जारचा थाने में 10 नामजद और 4–5 अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी. यह घटना देश में मॉब लिंचिंग की बहस का बड़ा केंद्र बन गई थी.
 
गवाहों के बयानों में बदलाव और चार्जशीट
जांच के दौरान पुलिस ने अखलाक की पत्नी इकरामन, मां असगरी, बेटी शाहिस्ता और बेटे दानिश के बयान दर्ज किए. शुरुआत में 10 लोगों के नाम आए, लेकिन बाद में गवाहों ने 16 और नाम जोड़ दिए. विवेचक ने 22 दिसंबर 2015 को 18 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. इनमें दो नाबालिग भी शामिल थे. फिलहाल एक आरोपी की मौत हो चुकी है और शेष सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं. मामले में गवाहों के बयान बदलने का मुद्दा अब अभियोजन वापसी के तर्कों में शामिल किया गया है.
 
गवाहों के विरोधाभासी बयान
उस वक्त घटनास्थल से मिले मांस के नमूने को मथुरा की फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा गया था. 30 मार्च 2017 को आई रिपोर्ट में मांस को गोवंशीय बताया गया. वहीं न्यायालय में पेश दस्तावेजों में उल्लेख है कि चश्मदीद गवाहों असगरी, इकरामन, शाहिस्ता और दानिश के बयानों में आरोपियों की संख्या में बदलाव है. मामले में यह भी कहा गया कि दोनों पक्ष एक ही गांव के निवासी हैं और पहले से कोई रंजिश नहीं रही. इन तर्कों को भी अभियोजन वापसी के आधार में जोड़ा गया है.
 
सामाजिक सद्भाव का हवाला
गौतमबुद्धनगर की त्वरित न्यायालय (प्रथम) में सरकार की ओर से मुकदमा वापस लेने की अर्जी दाखिल की गई है. सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) ने कोर्ट को बताया कि सामाजिक सद्भाव की बहाली को देखते हुए सरकार अभियोजन समाप्त करना चाहती है. उन्होंने शासनादेश और संयुक्त निदेशक अभियोजन के पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल की ओर से भी अनुमति मिल चुकी है. अब अदालत तय करेगी कि आगे क्या कदम उठाया जाए.
 
पीड़ित परिवार के वकील का विरोध
अखलाक परिवार के वकील युसूफ सैफी ने 'आज तक' से बात करते हुए कहा कि सरकार धारा 321 में अर्जी डाल सकती है, लेकिन अंतिम फैसला कोर्ट का होगा. उन्होंने कहा कि यह मॉब लिंचिंग और हत्या का केस है, जिसमें गवाह, साक्ष्य और कोर्ट में जारी गवाही महत्वपूर्ण हैं. बेटी शाहिस्ता के बयान हो चुके हैं, दानिश चश्मदीद है और केस वर्तमान में साक्ष्य चरण में है. ऐसे में केस वापसी की कोशिश न्याय प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करती है.
 
सरकार क्यों लेना चाहती है केस वापस?
अतिरिक्त जिला सरकारी वकील भाग सिंह भाटी ने पहले बताया था कि सरकार ने रिपोर्टों और पेश हुए तर्कों को देखते हुए केस वापसी का फैसला लिया है. हालांकि अब वे इस विषय पर मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं. केस राजनीतिक, सामाजिक और संवैधानिक संवेदनशीलता से जुड़ा है, इसलिए मुकदमा वापसी की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. अब सबकी नजर कोर्ट पर है, जो तय करेगा कि अखलाक हत्याकांड पर मुकदमा चलेगा या नहीं?

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आरोपियों के नाम
अखलाक हत्याकांड मॉब लिंचिंग मामले में कुल 18 आरोपी थे. मुख्य आरोपियों में स्थानीय भाजपा नेता संजय राणा का बेटा विशाल राणा और उसका चचेरा भाई शिवम शामिल थे, जिन पर भीड़ को उकसाने और हमले का मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है. एक आरोपी, रवींद्र (राविंद) सिसौदिया की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी.
 
अन्य आरोपियों में रुपेंद्र, विवेक, सचिन, हरिओम, श्रीओम, संदीप, सौरभ और गौरव के नाम प्रमुख हैं. .ये सभी नाम एफआईआर में नामजद हैं. बाकी आरोपियों की सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, क्योंकि वे सभी गांव के निवासी थे और मामला मॉब लिंचिंग का था. जिसमें कई लोग शामिल थे.
 
आरोपियों के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज है केस

इस मामले में दर्ज FIR संख्या- 241 के तहत दिल दहला देने वाली घटना में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की निम्नलिखित धाराएं लगाई गई थीं- 

धारा 147: बलवा या दंगा करना (Rioting)
धारा 148: घातक हथियार से लैस होकर बलवा करना (Rioting, armed with deadly weapon)
धारा 149: गैरकानूनी सभा (Unlawful assembly)
धारा 307: हत्या का प्रयास (Attempt to murder)
धारा 323: स्वेच्छा से चोट पहुंचाना (Voluntarily causing hurt)
धारा 427: पचास रुपये या उससे अधिक की राशि की क्षति पहुंचाने के अपराध
धारा 458: रात में घर में घुसकर या घर तोड़कर अपराध करना (House-trespass or house-breaking by night)
धारा 504: शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना (Intentional insult with intent to provoke breach of the peace)
धारा 506: आपराधिक धमकी (Criminal intimidation)
और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 

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वर्तमान में, उत्तर प्रदेश सरकार ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लेने के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की है.
 

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