दिल्ली के एक प्रतिष्ठित मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से जुड़ा स्वयंभू बाबा चैतन्यानंद सरस्वती केस एक बार फिर सुर्खियों में है. सोमवार को दिल्ली की एक कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जहां पुलिस ने अब तक हुई जांच की स्थिति पेश की है. पुलिस ने अदालत को बताया कि इस केस में पहचाने गए 16 पीड़ितों में से 9 की जांच पूरी कर ली गई है. पीड़ितों और आरोपी के मोबाइल फोन फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं.
एडिशनल सेशंस जज दीप्ति देवेश ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर तय की है. कोर्ट ने साथ ही प्रॉसिक्यूशन को निर्देश दिया कि वह स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे, जिसमें अब तक की जांच का ब्योरा और फोरेंसिक रिपोर्ट की प्रगति शामिल हो. सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने बताया कि बाकी पीड़ित इंस्टीट्यूट की छुट्टियों के चलते शहर से बाहर हैं. वे 4 नवंबर तक वापस आ जाएंगे.
उनके लौटने के बाद उनकी जांच और बयान दर्ज किए जाएंगे. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आरोपी चैतन्यानंद न केवल संस्थान का चेयरमैन था, बल्कि पूरे कैंपस पर उसका पूर्ण नियंत्रण था. वह खुद फैसले लेता था. स्टाफ या छात्रों को उसके निर्देशों का पालन करना पड़ता था. इससे यह संकेत मिलता है कि आरोपी अपने प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग कर छात्राओं को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था.
इस मामले की एफआईआर में चौंकाने वाले आरोप दर्ज हैं. इसके मुताबिक, 62 वर्षीय चैतन्यानंद सरस्वती छात्राओं को रात में अपने क्वार्टर में बुलाने के लिए मजबूर करता था. वह अनुचित समय पर आपत्तिजनक टेक्स्ट मैसेज भेजता था और अपने फोन से छात्राओं की गतिविधियों पर नजर रखता था. आरोपी ने कई छात्राओं को अपने पास बुलाया और मना करने पर धमकी दी कि उनके कोर्स या करियर पर असर पड़ेगा.
इससे पहले 13 अक्टूबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने साफ कहा था कि पीड़ितों की संख्या को देखते हुए अपराध की गंभीरता कई गुना बढ़ गई है. कोर्ट ने पुलिस से कहा था कि वह जांच तेजी से पूरी करे और सभी डिजिटल साक्ष्य सुरक्षित रखे. चैतन्यानंद सरस्वती को 28 सितंबर को आगरा से गिरफ्तार किया गया था, जब वह फरार चल रहा था. गिरफ्तारी के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया. तब से वो जेल में है.
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने अब तक आरोपी के कॉल रिकॉर्ड, इंस्टिट्यूट से जुड़े डिजिटल डेटा और सीसीटीवी फुटेज जब्त किए हैं. अब जांच की दिशा फोरेंसिक रिपोर्ट्स पर निर्भर करेगी. इन रिपोर्टों से यह साफ होगा कि आरोपी द्वारा भेजे गए टेक्स्ट मैसेज, चैट्स और कॉल लॉग्स किस हद तक अपराध को पुष्ट करते हैं. कोर्ट ने पुलिस को सभी उपलब्ध रिपोर्ट्स और गवाहों के बयान अदालत में पेश करने के लिए कहा है.
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