दिल्ली धमाके में विदेशी साजिश के स्पष्ट साबूत मिले हैं. लाल किले बम धमाके में शामिल आरोपियों को एनक्रिप्टेड ऐप्लिकेशन के ज़रिए विदेशों से सुसाइड बॉम्बिंग के वीडियो भेजे गए हैं. दिल्ली बम धमाकों की जांच कर रही एजेंसियों ने ख़ुलासा करते हुए कहा है कि साइड बॉम्बिंग वीडियो जैश के डॉक्टर माड्यूल से शेयर किए जा रहे थे.
ऐसे करीब 3 दर्जन से ज़्यादा वीडियो इस मॉड्यूल के विदेशी हैंडलरों ने डॉक्टरों से शेयर किया था. ये डॉक्टर ब्लास्ट में शामिल थे और जांच एजेंसियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है.
इनमें से एक डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनी है जिसे एजेंसियों ने गिरफ्तार किया है. इस डॉक्टर ने पूछताछ के दौरान पूरी कार्यप्रणाली जांच एजेंसियों को बताया है. डॉक्टर मुजम्मिल अहमद गनी ने जांच एजेंसियों से कहा है कि इन वीडियो में बारीकी से इस बात का ज़िक्र होता था कि सुसाइड बॉम्बर का मकसद क्या होता है, और किस तरीके से उनके भीतर ऐसी प्रवृत्ति आ रही है.
जांच एजेंसियों के मुताबिक ऐसे वीडियो का दुनिया के दूसरे आतंकी संगठन भी इस्तेमाल करते हैं.
जांच एजेंसियां अब इस बात की तफ़्तीश कर रही है कि मुजम्मिल के अलावा और किस किस को लाल किले बम धमाके के मॉड्यूल को हैंडलरों ने इस तरह का वीडियो भेजा है.
इन वीडियो के जरिये ये आतंकी अपने पैसे से बम बना रहे थे. और इसके लिए खुद खरीदारी कर रहे थे. इससे पता चलता है कि ये आतंकी किस कदर रेडिक्लाइज हो गए थे. जानकारी के मुताबिक इन आतंकियों ने 26 लाख रुपये खुद इकट्ठा किए थे और 4 गाड़ियों को जमा किया था. इन वीडियो से डॉ मुजम्मिल और डॉ उमर पूरी तरह से ब्रेनव़श हो चुके थे. डॉ उमर ने ही लाल किले के बाहर अपनी कार से ब्लास्ट किया था. इस धमाके में आतंकी उमर के चिथड़े उड़ गए थे.
जांच एजेंसियां अब इन हैंडलरों का पता लगाने में जुटी हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली केस में तीन हैंडलरों की पहचान 'हनजु्ल्लाह', 'निसार' और 'उकासा' के रूप में हुई है. लेकिन ये इनका कोड नेम हो सकता है.
इस रिपोर्ट के अनुसार जो शख्स 'हनजु्ल्लाह' नाम इस्तेमाल कर रहा था उसने लगभग 40 वीडियो मुजम्मिल अहमद गनी को भेजे. गनी ही वो शख्स था जिसने धमाके में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक को इकट्ठा किया था.
दिल्ली ब्लास्ट में जांच एजेंसियों ने अबतक 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. और कई लोगों से पूछताछ कर रही है.
वीडियो भेजने के लिए एनक्रिप्टेड ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
अगर सेंडर नहीं चाहता है कि भेजे जाने वाले वीडियो को दुनिया देखे तो वह End-to-End Encrypted ऐप का इस्तेमाल करता है. सामान्य मैसेजिंग ऐप्स जैसे SMS, Facebook Messenger का डिफ़ॉल्ट मोड, Instagram DM आदि में भेजा गया वीडियो प्लेनटेक्स्ट में होता है, यानी सर्वर पर या नेटवर्क में कोई भी उसे आसानी से देख सकता है.
एनक्रिप्टेड ऐप में End-to-End Encryption होता है. मतलब वीडियो को सिर्फ भेजने वाला और प्राप्त करने वाला ही डिक्रिप्ट करके देख सकता है, बीच में कोई नहीं न ऐप कंपनी, न सरकार, न हैकर.
जितेंद्र बहादुर सिंह