संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के बहुचर्चित मामले में आरोपी ललित झा की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की है. कोर्ट ने इस दौरान दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी. आरोपी ललित झा ने अपनी जमानत अर्जी में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है.
इसमें 28 अप्रैल को उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी. याचिका में ललित झा ने कहा है कि उसने 15 दिसंबर 2023 को खुद आत्मसमर्पण किया था और तब से अब तक करीब 1.8 साल से न्यायिक हिरासत में है. उसका यह भी तर्क है कि मामले की मौजूदा स्थिति केवल आरोप तय करने और सीआरपीसी की धारा 207 के अनुपालन पर बहस की है.
अभियोजन पक्ष द्वारा दाखिल मुख्य आरोपपत्र में 133 गवाहों का जिक्र किया गया है, लेकिन उनमें से किसी भी सांसद का नाम शामिल नहीं है. आरोपी का कहना है कि इस घटना में किसी सांसद को चोट नहीं लगी और न ही संसद की संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचा. ऐसे में निचली अदालत ने जमानत खारिज करते समय तथ्यों और परिस्थितियों को पर्याप्त महत्व नहीं दिया.
संसद में शून्यकाल के दौरान गैलरी से कूदे दो आरोपी
उसकी मांग है कि हाईकोर्ट को इन पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. ये घटना 13 दिसंबर 2023 को हुई थी, जब संसद हमले (2001) की बरसी थी. संसद में शून्यकाल चल रहा था, तभी आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी. पब्लिक गैलरी से छलांग लगाकर लोकसभा कक्ष में पहुंचे और कनस्तरों से पीली गैस छोड़ते हुए नारेबाजी करने लगे. कुछ सांसदों ने तत्काल उन्हें काबू कर लिया.
संसद परिसर में लगाया नारा- तानाशाही नहीं चलेगी
इसी दौरान संसद भवन परिसर के बाहर आरोपी अमोल शिंदे और नीलम आजाद भी सक्रिय थे. उन्होंने 'तानाशाही नहीं चलेगी' के नारे लगाते हुए रंगीन गैस से भरे कनस्तरों का छिड़काव किया. यह घटनाक्रम संसद की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर गया. पुलिस ने चार आरोपियों को तुरंत हिरासत में ले लिया. वहीं, ललित झा और महेश कुमावत बाद में गिरफ्तार हुए.
ललित झा ने निभाई थी साजिश में सक्रिय भूमिका
अभियोजन पक्ष का आरोप है कि ललित झा ने पहचान और पैसे के लालच में इस साजिश में सक्रिय भूमिका निभाई. पुलिस ने दावा किया था कि वो संसद भवन के गेट नंबर 2 और 3 के बाहर खड़ा था. इस दौरान उनसे अपने मोबाइल से वीडियो रिकॉर्ड किया, ताकि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक पहुंचाया जा सके. सभी आरोपी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकी के बारे में जानते थे.
8 अक्टूबर को इस मामले में होगी अगली सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट जुलाई में इस केस के सह-आरोपी नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत दे चुका है. अब ललित झा की दलील है कि जिस आधार पर सह-आरोपियों को रिहाई मिली, उसी पर उसे भी जमानत मिलनी चाहिए. हाईकोर्ट ने उसकी दलीलों पर फिलहाल कोई अंतिम राय नहीं दी है, बल्कि दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है. इसके बाद 8 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी.
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