केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के हिंसा प्रभावित लेह शहर में मंगलवार सुबह 10 बजे से 7 घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई है. इसके बाद बाजार धीरे-धीरे खुल गए. हफ्त भर से लगे प्रतिबंधों से जूझ रहे लोगों को राहत मिली है. इससे पहले सोमवार शाम 4 बजे से 2 घंटे के लिए प्रतिबंधों में ढील दी गई थी. 24 सितंबर को हुई हिंसा में चार लोगों की मौत और उनके अंतिम संस्कार के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया था.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले बुधवार को हुई हिंसा को छोड़कर कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है. पुलिस और अर्धसैनिक बल संवेदनशील इलाकों में बड़ी संख्या में तैनात हैं. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी निगरानी रख रहे हैं कर्फ्यू में शुरुआत में मंगलवार सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक ढील दी गई थी. इसके बाद में इसे 12 बजे तक बढ़ा दिया गया था.
लेह के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट गुलाम मोहम्मद ने छूट की अवधि के दौरान सभी किराना, जरूरी सेवाओं, हार्डवेयर और सब्जियों की दुकानें खोलने का आदेश दिया है. इससे पहले शनिवार को अलग-अलग इलाकों में दोपहर 1 बजे और 3.30 बजे से 2-2 घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई थी. लेह शहर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अभी भी निलंबित हैं. लोगों को एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाने वाली निषेधाज्ञा लागू है.
इसके तहत कारगिल सहित प्रमुख हिस्सों में पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध है. उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता लगभग हर रोज उच्च-स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठकों की अध्यक्षता कर रहे हैं. सोमवार को उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए इसे विकास की आधारशिला बताया. उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में संयम और प्रतिबद्धता दिखाने के लिए लोगों की सराहना की है.
उपराज्यपाल ने कहा, "मैं समाज के सभी वर्गों से एकता और सद्भाव बनाए रखने की अपील करता हूं. असामाजिक और राष्ट्र-विरोधी तत्वों के साजिशों का शिकार न होने का आग्रह करता हूं. प्रशासन लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है. उनकी सुरक्षा, सम्मान और प्रगति सुनिश्चित करेगा." उन्होंने बातचीत और लोकतांत्रिक माध्यमों से स्थानीय लोगों के हर जायज मुद्दे का समाधान करने का वादा किया है.
उपराज्यपाल ने प्रशासन और नागरिकों के बीच विश्वास मजबूत करने के लिए खुफिया जानकारी जुटाने, नियमित सामुदायिक सहभागिता और जन शिकायतों के त्वरित निवारण के स्पष्ट निर्देश भी जारी किए. लेह सर्वोच्च निकाय (एलएबी) के एक घटक द्वारा राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग के लिए बुलाए गए बंद के दौरान हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद लेह शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था.
इस हिंसा के बाद 2 पार्षदों समेत 60 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया था. इनमें कार्यकर्ता सोनम वांगचुक भी शामिल थे. उन्हें 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया और बाद में राजस्थान की जोधपुर जेल में भेज दिया गया. इस बीच लद्दाख भाजपा ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए न्याय सुनिश्चित करने के लिए घटना की गहन जांच की मांग की है.
भाजपा ने एक बयान में कहा, "हम मामूली अपराधों के आरोपी लोगों की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं. लद्दाख अपनी सुंदरता और लोगों के लचीलेपन के लिए जाना जाता है. हम लद्दाख में सभी से शांति और सद्भाव बनाए रखने का आग्रह करते हैं. यह जरूरी है कि हम कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में न लें या गलत सूचनाओं का शिकार न हों. आइए, हम शांति सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें."
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