गाजा पर कब्जा करने की इजरायली योजना ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भूचाल ला दिया है. संयुक्त राष्ट्र में इस पर आपात बैठक बुलाई गई, जहां फिलिस्तीन और इजरायल के राजदूत आमने-सामने भिड़ गए. इजरायल और अमेरिका को छोड़कर लगभग सभी देशों ने इस कदम की कड़ी निंदा की है. इसी बीच ऑस्ट्रेलिया ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए फिलिस्तीन को आधिकारिक तौर पर देश की मान्यता देने का ऐलान कर दिया.
रविवार को हुई बैठक में गाजा में युद्ध खत्म करने और मौजूदा मानवीय संकट के समाधान पर चर्चा हुई. फिलिस्तीनी स्थायी पर्यवेक्षक रियाद मंसूर ने कहा, "हम आपके शब्दों और सहानुभूति की कद्र करते हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. आपको कार्रवाई करनी होगी, इसे रोकना होगा, वरना यह विश्लेषण और विवरण बेकार है." वहीं, इजरायली राजदूत जोनाथन मिलर ने गाजा में इजरायल को आक्रामक बताने का विरोध किया.
उन्होंने कहा कि उनका मकसद गाजा को क्रूक आतंकवादी शासन से मुक्त कराना है. अमेरिका ने भी इस मौके पर इजरायल का समर्थन किया. चीन, यूरोपीय संघ, यूके, जर्मनी, फ्रांस समेत कई देशों ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की योजना की कड़ी निंदा की है. इन देशों ने चेताया कि गाजा पहले से अकाल जैसी स्थिति झेल रहा है, ऐसे में कब्जे की योजना हालात को और भयावह बना देगी.
नेतन्याहू ने कहा- कब्जा मकसद नहीं है
इसके जवाब में नेतन्याहू ने कहा, "हमारा मकसद गाजा पर कब्जा नहीं, बल्कि उसको हमास से आजाद कराना है. तभी यह जंग खत्म होगी." गाजा में इजरायली हमलों से कोई जगह सुरक्षित नहीं है. रविवार को इजरायली सेना के हमले में कतर के न्यूज चैनल अल-जजीरा के चार पत्रकारों समेत सात लोगों की मौत हो गई. मृतकों में अनस अल-शरीफ, मोहम्मद कुरैके, इब्राहिम जहीर और मोहम्मद नौफाल शामिल हैं.
पत्रकार संगठनों ने की हमले की निंदा
ये सभी अस्पताल के मुख्य गेट पर पत्रकारों के लिए बने टेंट में मौजूद थे. फिलिस्तीनी पत्रकार संगठनों ने इस हमले की कड़ी निंदा की. दो हफ्ते पहले अल-जजीरा ने भी आरोप लगाया था कि इजरायली रक्षा बल उसके पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं. इजरायल का दावा है कि अनस अल-शरीफ हमास के एक गुट का प्रमुख था, जो इजरायली नागरिकों और आईडीएफ सैनिकों पर रॉकेट हमलों में शामिल था.
गाजा में मौत और भूख का आलम
गाजा में मरने वालों का आंकड़ा अब 61430 से ज्यादा हो गया है. लगातार बमबारी, तबाही और नाकाबंदी के बीच लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा. भूख, बीमारी और हिंसा ने मानवीय संकट को चरम पर पहुंचा दिया है. दुनिया भर में भारी आलोचनाओं के बावजूद इजरायल अपने स्टैंड पर कायम है. सितंबर में होने वाली समिट से पहले ऑस्ट्रेलिया का फिलिस्तीन को मान्यता देना इस मुद्दे को और गरमा देगा.
आजतक ब्यूरो