एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) की मुंबई जोनल ऑफिस ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) 2002 के तहत मुंबई में नौ जगहों पर छापेमारी की. ये छापेमारी फैसल जावेद शेख और अल्फिया फैसल शेख के जड़ें जमा चुके ड्रग तस्करी नेटवर्क से मिले ड्रग बिक्री के पैसे का पता लगाने के लिए की गई.
छापेमारी में क्या मिला
इस दौरान करीब 42 लाख रुपये नकद, तीन पुरानी लग्जरी गाड़ियां जब्त की गईं जिनमें दो बीएमडब्ल्यू शामिल हैं. इसके अलावा यहां से कई संदिग्ध दस्तावेज जैसे प्रॉपर्टी की डिटेल्स, डिजिटल डिवाइस वगैरह जब्त किए गए. इसके अलावा एक बैंक लॉकर और कई बैंक अकाउंट्स भी मिले जिनमें अपराध से कमाए पैसे होने का शक था. ईडी ने इन सबको फ्रीज कर दिया है.
कैसे शुरू हुई जांच
ईडी ने पीएमएलए के तहत जांच शुरू की जो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की मुंबई जोनल यूनिट द्वारा दर्ज किए गए एक केस से जुड़ी है. इसमें आशिक वारिस अली, नासिर खान, फैसल जावेद शेख, अल्फिया फैसल शेख, इरफान यूसुफ फारुकी, अजीम अबू सलीम खान उर्फ अजीम भाऊ, फैजान मोहम्मद शफी शेख, मोहम्मद शाहिद फरीदुद्दीन चौधरी उर्फ बाबूस और अन्य लोग मुंबई में ड्रग सिंडिकेट चलाने में शामिल पाए गए.
कैसे काम करता था नेक्सस
फैसल शेख सलीम डोला से एमडी ड्रग खरीदता था जो एक कुख्यात ड्रग किंगपिन है. सलीम डोला दाऊद इब्राहिम गैंग से जुड़ा बताया जाता है. डोला से ड्रग लेने वाले कई तस्कर छोटा शकील के साथी भी थे. डोला को नारकोटिक्स तस्करी और अवैध ड्रग नेटवर्क को फंडिंग करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियां ढूंढ रही हैं.
एनसीबी ने उसकी गिरफ्तारी की जानकारी देने पर इनाम घोषित किया है. एनसीबी के इस केस में जमानत मिलने के बाद आदतन अपराधी फैसल शेख को पीआईटी-एनडीपीएस के तहत निवारक हिरासत में रखा गया.
ED की जांच में और क्या सामने आया
ईडी की जांच से पता चला है कि फैसल शेख और अल्फिया शेख ने सलीम डोला से ली गई एमडी ड्रग की बिक्री के लिए एक वेल प्लांड और अर्गनाइज्ड नेटवर्क बनाया था. एनसीबी के आरोपी लोगों के अलावा ईडी की छापेमारी में उन लोगों के ठिकानों को भी शामिल किया गया जो शेल कंपनियों से जुड़े थे जिनमें 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के पेपर ट्रांजैक्शन थे.
साथ ही ऐसी फर्मों को भी जो विदेश में पैसे भेजती थीं और आरोपियों से ट्रांजैक्शन करती थीं, ताकि इनकी भूमिका पता चले कि ये ड्रग बिक्री से कमाए अपराध के पैसे (पीओसी) को लेयरिंग करने और भारत से बाहर भेजने में कैसे शामिल थे.
ईडी की छापेमारी दोनों तरफ के लिंक ट्रेस करने के लिए जरूरी थी. इस जांच में फॉरवर्ड लिंकेज यानी ड्रग्स बिक्री से पैसे की मूवमेंट और बैकवर्ड लिंकेज यानी पैसे के स्रोत, लाभार्थी और रास्तों का पता लगाया जा रहा है. इससे ये पता चलेगा कि क्या ड्रग तस्करी से कमाए पैसे हवाला, शेल कंपनियों या ट्रेड में गलत इनवॉइसिंग के जरिए विदेश भेजे गए. जब्त/फ्रीज किए गए एसेट्स जैसे नकद, बैंक अकाउंट्स, लॉकर, गाड़ियां, प्रॉपर्टी दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस वगैरह की मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से भी जांच की जा रही है.
दिव्येश सिंह