दिल्ली में कार चोरी रैकेट का भंडाफोड़, SUV समेत 2 कार बरामद, 2 आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने ऑटो-लिफ्टिंग नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई करते हुए इंटरस्टेट कार चोरी रैकेट के दो अपराधियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों में एक कुख्यात ऑटो-लिफ्टर और दूसरा वर्कशॉप संचालक है, जो चोरी की गाड़ियों को रिफर्बिश्ड करके दोबारा बेचता था.

Advertisement
दिल्ली-हरियाणा-राजस्थान में फैला रैकेट, पकड़े गए ऑटो-लिफ्टर और मैकेनिक. (Photo: Representational) दिल्ली-हरियाणा-राजस्थान में फैला रैकेट, पकड़े गए ऑटो-लिफ्टर और मैकेनिक. (Photo: Representational)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:08 PM IST

दिल्ली में लगातार बढ़ रही महंगी गाड़ियों की चोरी के बीच पुलिस ने इंटरस्टेट ऑटो-लिफ्टिंग गैंग के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर बड़ा खुलासा किया है. गिरफ्त में आए आरोपी कोई साधारण चोर नहीं, बल्कि वर्षों से सक्रिय एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिनका काम दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में चोरी की गाड़ियां उठाकर उन्हें फर्जी नंबरों और बदले हुए चेसिस मार्क के साथ दोबारा बेच देना था.

Advertisement

पुलिस के मुताबिक, कई जिलों में कार चोरी की घटनाएं अचानक बढ़ी हैं. इसी आधार पर पुलिस की एक टीम को ऑर्गनाइज्ड नेटवर्क की तलाश में लगाया गया. टेक्निकल सर्विलांस, CCTV फुटेज की डीप एनालिसिस और हाल ही में जेल से बाहर आए आदतन अपराधियों की मॉनिटरिंग से संदिग्धों की पहचान हो गई. 29 नवंबर को पुलिस को सूचना मिली कि हरियाणा का कुख्यात ऑटो-लिफ्टर आने वाला है.

उसका नाम सुनील उर्फ बंटी है, जो गुरुग्राम इलाके में चोरी की गाड़ियों का सौदा करने वाला है. सर्विलांस टीम ने बंटी को ट्रैक किया और मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उसने बेगमपुर से एक SUV और विकासपुरी से एक कार चोरी करने की बात कबूल कर ली. उसने आगे बताया कि चोरी की गाड़ियां वह सीधे शिव एन्क्लेव निवासी अनीस अहमद को देता था. अनीस एक वर्कशॉप चलाता है.

Advertisement

वो लंबे समय से चोरी की गाड़ियों को रिफर्बिश्ड कर उन्हें नए रूप में बेचने का काम करता था. उसकी दुकान पर छापेमारी हुई तो चोरी हुई SUV बरामद कर ली गई. पुलिस ने बताया कि SUV का ओरिजिनल रजिस्ट्रेशन नंबर हटाकर नकली नंबर लगाया गया था और चेसिस के निशान भी मिटा दिए गए थे. इसके अलावा विकासपुरी से चोरी की एक और कार भी जब्त की गई, जिस पर नकली नंबर प्लेट लगी थी.

पुलिस जांच में सामने आया कि यह गाड़ी भी एक दर्ज ई-FIR से जुड़ी थी. सुनील डुप्लीकेट चाबियों और लॉक-पिकिंग टूल्स की मदद से रिहायशी कॉलोनियों और पब्लिक पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को बेहद तेजी से टारगेट करता था. चोरी की कार कुछ ही दिनों में अनीस तक पहुंच जाती थी, जहां उसकी पहचान बदलकर उसे नई कीमत पर बेच दिया जाता था. SUV को 2 लाख और कार को 1 लाख में बेचा गया था.

सुनील का क्राइम रिकॉर्ड पुराना है. उसे साल 2022 में सोनीपत और साल 2025 में गुरुग्राम की CIA टीम भी गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं अनीस ने कबूला कि वह लंबे समय से अपनी वर्कशॉप के जरिए चोरी की गाड़ियों को रिफर्बिश्ड कर बेचने के इस धंधे में लगा था. पुलिस अब उस बड़े नेटवर्क की जांच में जुटी है, जहां से चोरी की गाड़ियों की पहचान बदल कर उनकी सप्लाई की जाती थी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement