यूपी के देवरिया में सीएमओ कार्यालय में अटैच एक निलंबित डॉक्टर का फर्जी हस्ताक्षर का मामला सामने आया है. यही नहीं, डॉक्टर व्यापम घोटाले का आरोपी भी है. डेढ़ माह से आफिस न आने के बाद भी रजिस्टर में डॉक्टर की मौजूदगी दर्ज है. मामला सामने आने पर स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है. सीएमओ डॉ आलोक पांडे ने स्वयं इस मामले को पकड़ा है. इसकी जांच कराने की भी बात कही है.
सीएमओ ने ऑफिस में नोटिस चस्पा कर जिसने फर्जी हस्ताक्षर बनाया उसको भी व्यक्तिगत रूप से पेश होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है. ऐसा न करने पर व्यक्ति की जानकारी मिलने पर उस पर विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा है.
दरअसल, मध्यप्रदेश के चर्चित व्यापम घोटाले में जिले के भलुअनी पीएचसी पर तैनात डॉक्टर गौरव शाही का नाम भी सामने आया था. सीबीआई ने इस मामले को लेकर गौरव शाही से पूछताछ भी की थी. घोटाले में नाम आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2016 में डॉक्टर शाही को निलंबित कर सीएमओ कार्यालय से अटैच कर दिया. बीते नवंबर माह से डॉक्टर शाही सीएमओ कार्यालय से भी अनुपस्थित चल रहे हैं. मगर सीएमओ कार्यालय के हाजिरी रजिस्टर में उनकी उपस्थिति दर्ज है.
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इस बात का खुलासा होने पर विभाग में हड़कंप मच गया है. विभागीय अधिकारी अब इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हैं. सीएमओ डॉक्टर आलोक पांडेय ने बताया कि मामले की जांच का आदेश दे दिया गया है. जांच के बाद दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
सीएमओ डॉक्टर आलोक पांडेय का कहना है कि डॉक्टर गौरव शाही साल 2016 से निलंबित हैं. वह भलुवनी में पोस्टेड थे. डॉक्टर को निलंबित करके शासन ने यहां सीएमओ ऑफिस में अटैच किया हुआ है. इधर कुछ दिनों से पता चला है कि वह आए नहीं हैं लेकिन डॉक्टर की हाजिरी किसी ने लगा दी है. इस मामले को मैंने पकड़ा है. साथ ही नया रजिस्टर बनवा दिया गया है. इस मामले को लेकर एक इंक्वायरी टीम गठित कर दी गई है.
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राम प्रताप सिंह