दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 16 साल पुराने एक क्रूरतम हत्याकांड में आरोपी को गुजरात के सूरत से गिरफ्तार कर लिया है. उसने साल 2009 में एक शख्स का सिर काटकर उसकी लाश लोहे के बक्से में डाल दी थी. आरोपी की पहचान आशिक अली के रूप में हुई है. उसके सिर पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था. इंस्पेक्टर मनमीत मलिक के नेतृत्व बनी टीम ने इस गिरफ्तारी को अंजाम दिया है.
5 जनवरी 2009 को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के बिंदापुर इलाके में तब सनसनी मच गई, जब एक लोहे के बक्से में एक बिना सिर वाली लाश मिली. पुलिस ने इस मामले में PS बिंदापुर में FIR नंबर 06/2009 दर्ज की थी. इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 201 के लगाई गई थी. पुलिस की जांच में मृतक की पहचान हरीश चंद उर्फ बबलू के रूप में हुई. उसका अपने रिश्तेदार बनारसी लाल से पैसों का विवाद था.
पुलिस जांच में पता चला कि बनारसी लाल ने अपने सहयोगी आशिक अली के साथ मिलकर बबलू की हत्या की साजिश रची थी. दोनों ने न केवल उसकी जान ली बल्कि सबूत मिटाने के लिए उसका सिर काटकर अलग जगह पर फेंक दिया. इसके बाद उसके शव को एक लोहे के बक्से में बंद करके बिंदापुर इलाके में फेंक दिया. हत्या के बाद आशिक अली ने सबूत छिपाने और पीड़ित के कपड़े हटाने में भी मदद की थी.
इसके बाद वो दिल्ली से फरार हो गया और लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा. साल 2011 में अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया. वहीं मुख्य आरोपी बनारसी लाल को गिरफ्तार कर लिया गया. उसे अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई. इस केस की फाइल लंबे समय से खुली थी, लेकिन 4 नवंबर 2025 को SI रितेश कुमार को एक इनपुट मिला कि आशिक अली गुजरात के सूरत में छिपा हुआ है.
इसके बाद इंस्पेक्टर मनमीत मलिक के नेतृत्व में SI जय कुमार, SI राजीव और ASI कृष्ण पाल की टीम बनाई गई. यह टीम ACP रमेश चंद्र, ISC क्राइम ब्रांच के मार्गदर्शन में सूरत रवाना हुई. 5 नवंबर 2025 को तकनीकी इनपुट और मैनुअल इंटेलिजेंस के संयोजन से पुलिस ने सूरत के भैया नगर इलाके से आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. आशिक अली नकली नाम से रह रहा था और दर्जी का काम कर रहा था.
पुलिस की पूछताछ में आशिक अली ने बताया कि वो बनारसी लाल का करीबी था. मृतक हरीश उर्फ बबलू, बनारसी लाल के साले का बेटा था. दोनों के बीच पैसों का लेनदेन को लेकर झगड़ा हुआ, जो धीरे-धीरे खूनी रंजिश में बदल गया. बनारसी लाल ने गुस्से में आकर बबलू की हत्या कर दी और उसका सिर काट दिया. आशिक अली ने इस पूरे वारदात में उसका साथ दिया. सबूत मिटाने में मदद की थी.
55 वर्षीय आशिक अली उत्तर प्रदेश के कुशीनगर का रहने वाला है. वारदात के बाद वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ लगातार ठिकाने बदलता रहा. पिछले चार साल से वह सूरत के भैया नगर इलाके में रह रहा था. पुलिस ने बताया कि आरोपी गिरफ्तारी से बचने के लिए पूरी तरह नई पहचान के साथ रह रहा था. वह किसी से पुराना संपर्क नहीं रखता था और अक्सर किराए का घर बदल देता था.
aajtak.in