छत्तीसगढ में ईसाई और हिंदू समुदाय के बीच हिंसक झड़प, धर्मांतरण के शक में भड़का विवाद

छत्तीसगढ के बिलासपुर में धर्मांतरण को लेकर शुरू हुआ विवाद देखते ही देखते हिंसक झड़प में बदल गया. एक ओर प्रार्थना सभा में शामिल ईसाई समुदाय के लोग थे, तो दूसरी ओर हिंदू संगठन. इस हिंसा को काबू करने में पुलिस को अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ी.

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बिलासपुर जिले में आमने-सामने आए ईसाई और हिंदू समुदाय के लोग. (Photo: Representational) बिलासपुर जिले में आमने-सामने आए ईसाई और हिंदू समुदाय के लोग. (Photo: Representational)

aajtak.in

  • बिलासपुर,
  • 15 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST

छत्तीसगढ के बिलासपुर जिले में रविवार को धर्म परिवर्तन को लेकर दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए. सीपत इलाके में आयोजित एक प्रार्थना सभा में बाइबल और धार्मिक साहित्य के वितरण के बाद दोनों पक्ष में जबरदस्त टकराव हुआ. देखते ही देखते पथराव, मारपीट और झडप शुरू हो गई. इस हिंसा में कम से कम 13 लोग घायल हो गए हैं. पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

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थाना प्रभारी गोपाल सतपथी ने सोमवार को बताया कि ये पूरा घटनाक्रम सीपत क्षेत्र के माता-चौरा चौक के पास एक घर में हुआ. यहां ईसाई समुदाय के 150 से ज्यादा लोग एकत्र हुए थे. इनमें बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. प्रार्थना सभा के दौरान एक पादरी मौजूद था. बाइबल की प्रतियां और धार्मिक साहित्य बांटा जा रहा था. इसी बीच कुछ लोगों को शक हुआ कि प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण हो रहा है.

इसके बाद उन लोगों ने बजरंग दल और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों को सूचना दी और पुलिस से भी संपर्क किया. दक्षिणपंथी समूहों के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए. उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी और पादरी समेत आयोजकों को सभा स्थल खाली करने को कहा. दोनों पक्षों के बीच तनाव बढता गया और अचानक स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई. एक समूह ने सभा आयोजित करने वाले घर पर पथराव शुरू कर दिया.

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इसके जवाब में दूसरे पक्ष की ओर से भी पत्थर फेंके गए. देखते ही देखते दोनों समुदायों के बीच हिंसक झडप हो गई. इसके बाद पुलिस की टीम ने तत्काल हस्तक्षेप किया और बहुत मुश्किल से दोनों पक्षों को शांत कराया. इस झगड़े में ईसाई समुदाय के कम से कम 10 लोग और दक्षिणपंथी समूह के 3 कार्यकर्ता घायल हो गए. इस मामले में ईसाई समुदाय के 7 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिन्हें बाद में छोड दिया गया.

इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से क्रॉस-एफआईआर दर्ज की गई हैं. पहली शिकायत में दक्षिणपंथी समूहों के 12 से अधिक सदस्यों पर दंगा करने, धमकी देने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और अन्य गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.

वहीं, दूसरी शिकायत में ईसाई समुदाय के सात लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 132 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला), धारा 192 (दंगा भडकाने के इरादे से जानबूझकर उकसाना) और धारा 299 (धार्मिक विश्वासों का अपमान करना) समेत छत्तीसगढ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है.

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