शादी या बैचलर? 'बेवफा' सोनम केस के बाद छिड़ी बहस, एक्सपर्ट से जानें अकेले रहना कितना सही

सोशल मीड‍िया में कई लड़के अब कह रहे हैं कि ऐसे रिश्तों का डर दिखे तो बैचलर लाइफ ही बेहतर है. सवाल यह है कि क्या अकेले रहकर सचमुच खुशी मिल सकती है? क्या बैचलर लाइफ वाकई इतनी आसान और सुखद है? आइए, मनोवैज्ञानिकों, शोध और बीबीसी की हालिया रिपोर्ट के आधार पर इस सवाल का जवाब तलाशते हैं. 

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Marriage Vs Bachelor LIfe (Image by Meta AI) Marriage Vs Bachelor LIfe (Image by Meta AI)

मानसी मिश्रा

  • नई द‍िल्ली ,
  • 12 जून 2025,
  • अपडेटेड 7:26 PM IST

इंदौर के राजा रघुवंशी हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया जिसमें सोनम रघुवंशी ने अपने प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिलकर पति की हत्या कराई. इस घटना ने न केवल सामाजिक रिश्तों पर सवाल उठाए बल्कि युवाओं के बीच एक नई बहस छेड़ दी है. कई युवा, खासकर लड़के अब कह रहे हैं कि ऐसे रिश्तों का डर दिखे तो बैचलर लाइफ ही बेहतर है. सवाल यह है कि क्या अकेले रहकर सचमुच खुशी मिल सकती है? क्या बैचलर लाइफ वाकई इतनी आसान और सुखद है? आइए, मनोवैज्ञानिकों, शोध और बीबीसी की हालिया रिपोर्ट के आधार पर इस सवाल का जवाब तलाशते हैं. 

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एक नजर सोनम रघुवंशी केस पर 

इंदौर के राजा रघुवंशी की शादी को महज 11 दिन हुए थे, जब उनकी पत्नी सोनम ने प्रेमी राज कुशवाहा और तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर उनकी हत्या कर दी. मेघालय के शिलांग में हनीमून के दौरान 23 मई 2025 को राजा की 'दाओ' (माचेट) से हत्या कर शव को खाई में फेंक दिया गया. सोनम ने 20 लाख रुपये की सुपारी दी थी. पुलिस जांच में सामने आया कि सोनम ने अपनी मां को राज कुशवाहा से प्यार की बात बताई थी लेकिन परिवार ने उसे अपनी कम्यून‍िटी में शादी के लिए मजबूर किया. हत्या के बाद सोनम गाजीपुर पहुंची जहां वह रोती हुई एक ढाबे पर मिली. 

प्यार या विश्वासघात से बेहतर है बैचलर लाइफ 

इस घटना ने युवाओं को शादी और रिश्तों पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया. कानपुर के इनफ्लूएंसर और एक्टर सुधांशु शर्मा कहते हैं कि जब ऐसी खबरें सुनता हूं तो लगता है कि शादी का रिस्क क्यों ही लूं? अकेले रहकर अपनी जिंदगी जीना ज्यादा सुरक्षित है. वहीं सोशल मीडिया पर भी बैचलर लाइफ टॉपिक पर काफी चर्चा चली. इसमें लोग अकेले रहने की खुशियां बता रहे हैं. लेकिन क्या अकेलापन वाकई इकलौता सही रास्ता है. 

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पहले अकेलापन और एकाकीपन में फर्क समझना जरूरी 

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अकेलापन और एकाकीपन में बड़ा अंतर है. भोपाल के सीनियर साइकेट्र‍िस्ट डॉ. सत्यकांत त्र‍िवेदी कहते हैं कि एकाकीपन तब होता है जब आप सामाजिक जुड़ाव चाहते हैं लेकिन वह मिल नहीं पाता. अकेले रहना आपकी मजबूरी होती है. वहीं अकेलापन एक तरह की ख्वाहिश होती है जिसे आप अपनी मर्जी से चुनते हैं. यह सेल्फ-सर्च और क्र‍िएट‍िव‍िटी को डेवलेप करने के लिहाज से आपने स्वीकार किया है. बीबीसी की एक हालिया रिपोर्ट में फ्लोरा त्सापोव्स्की लिखती हैं कि अकेलापन न केवल मानसिक शांति देता है बल्कि रचनात्मकता और आत्म-जागरूकता को भी बढ़ाता है. 

2010 में डंडी विश्वविद्यालय के शोध में पाया गया कि अकेले समय बिताने वाले लोग ज्यादा रचनात्मक और आत्मनिर्भर होते हैं. वहीं, सोलो: बिल्डिंग अ रिमार्केबल लाइफ ऑफ योर ओन के लेखक और कोलोराडो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर मैकग्रा ने कहा है कि रोमांटिक रिश्तों की जरूरत का मिथक डेटा से साबित नहीं होता. शादी के बाद खुशी बढ़ती है, लेकिन यह स्थायी नहीं रहती. 

सोनम केस से बना सबक, क्यों रिश्तों में भावनात्मक स्थिरता जरूरी

सोनम और राजा का मामला दिखाता है कि जब रिश्ते दबाव या सामाजिक अपेक्षाओं पर टिके होते हैं तो वे विनाशकारी हो सकते हैं. सोनम ने राज कुशवाहा से प्यार किया लेकिन परिवार और समाज के दबाव में राजा से शादी की. पुलिस को मिले मैसेज में सोनम ने राज को बताया कि वह राजा के साथ अंतरंग होने में असहज थी और उसे खत्म करना चाहती थी. मनोवैज्ञानिक और डीयू में श‍िक्षक डॉ. चंद्र प्रकाश कहते हैं कि सोनम जैसी स्थिति में लोग भावनात्मक अस्थिरता का शिकार हो जाते हैं. अगर वो अकेले समय बिताकर अपनी भावनाओं को समझती तो शायद यह त्रासदी टल सकती थी. अस्वस्थ रिश्तों में फंसने से बेहतर है कि व्यक्ति अकेले समय बिताए और खुद को समझे. 

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बैचलर लाइफ क्या वाकई खुशी का नया रास्ता है? 
ग्लोबल लेवल पर आ रहे लेटेस्ट ट्रेंड अब बदलाव की ओर इशारा करते हैं. कई सर्वे में सामने आया है कि ब्रिटेन में अकेले रहने वालों की संख्या बढ़ रही है.2023 के एक अमेरिकी सर्वे में 40% Gen-Z और मिलेन‍ियल्स ने शादी को पुराना रिवाज बताया. भारत में भी युवा अब शादी की जल्दबाजी से बच रहे हैं. गुरुग्राम में रहने वाले 29 साल के कॉर्पोरेट कर्मी न‍िख‍िल तिवारी कहते हैं कि मैं अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी रहा हूं. ट्रैवल करता हूं, दोस्तों के साथ समय बिताता हूं. शादी का प्रेशर लेने की जरूरत नहीं. 

देखा जाए तो आजकल लगातार सुर्ख‍ियों में आ रहे सोनम और मुस्कान जैसे मामलों ने युवाओं को रिश्तों पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर किया है. कानपुर के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीन‍ियर यश शुक्ला ककहते हैं कि ऐसी खबरें सुनकर लगता है कि रिश्तों में अब विश्वास करना मुश्किल है. बैचलर रहकर अपनी जिंदगी बनाना ज्यादा आसान है. इस पर मनोवैज्ञान‍िक डॉ. व‍िध‍ि एम प‍िलन‍िया का मानना है कि अकेलापन तभी फायदेमंद है, जब आप इसे सकारात्मक तरीके से अपनाएं. अगर आप अकेलेपन को सजा की तरह देखेंगे, तो यह एकाकीपन में बदल सकता है.

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