कैदी की साजिश और लाखों की ठगी... ऐसे नप गए आजमगढ़ के जिला जेल अधीक्षक

आजमगढ़ में दहेज हत्या के दोषी ने जमानत पर बाहर आने के बाद जेल अधीक्षक के जाली हस्ताक्षर से सरकारी खाते से लाखों रुपए निकाल लिए. इस घोटाले के खुलासे के बाद जेल अधीक्षक तक को निलंबित कर दिया गया है. उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी गई है.

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यूपी के आजमगढ़ में कैदी और अफसरों की जुगलबंदी से हुआ बड़ा खेल. (Photo: Representational) यूपी के आजमगढ़ में कैदी और अफसरों की जुगलबंदी से हुआ बड़ा खेल. (Photo: Representational)

aajtak.in

  • आजमगढ़,
  • 14 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:06 PM IST

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की जिला जेल इन दिनों विवादों में है. यहां के जेल अधीक्षक आदित्य कुमार को वित्तीय अनियमितताओं और अपने कर्तव्यों के निर्वहन में विफलता के आरोप में निलंबित कर दिया गया है. कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग ने सोमवार देर रात इस कार्रवाई की पुष्टि की है.

एक अधिकारी ने बताया कि जेल अधीक्षक आदित्य कुमार के खिलाफ यह कार्रवाई तत्काल प्रभाव से की गई है. इस मामले में की गई जांच में पाया गया कि जनवरी 2024 से 10 अक्टूबर 2025 के बीच आजमगढ़ जेल के केनरा बैंक खाते से विभिन्न चेकों के माध्यम से अवैध रूप से धनराशि निकाली गई थी.

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अपर महानिरीक्षक कारागार धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि इन वित्तीय अनियमितताओं के लिए प्रथम दृष्टया अधीक्षक आदित्य कुमार जिम्मेदार पाए गए हैं. उन्होंने बताया कि गंभीरता को देखते हुए उनको लखनऊ स्थित कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग के मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है.

पुलिस के मुताबिक, इस पूरे घोटाले का असली मास्टरमाइंड एक ऐसा व्यक्ति है, जो कभी खुद उसी जेल की सलाखों के पीछे था. आरोपी का नाम रामजीत यादव है. वो दहेज हत्या के एक मामले में सजा काट चुका है. उसने जेल में रहते हुए चेक और दस्तावेजों के प्रबंधन की प्रक्रिया सीख ली थी.

जेल अधीक्षक ने बताया कि रामजीत यादव सहित चार लोगों पूर्व जेल बंदी शिवशंकर उर्फ गोरख, वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद और प्रहरी अवधेश कुमार पांडे के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में कोतवाली पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराया गया है. इस मामले का मुख्य साजिशकर्ता रामजीत है.

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मई 2024 में जमानत पर रिहा होने के बाद उसने जेल लेखाकार के कार्यालय से एक चेकबुक चुरा ली थी. इसके बाद उसने जेल अधीक्षक के जाली हस्ताक्षर बनाकर सरकारी खाते से लाखों रुपए निकाल लिए. इस तरह सितंबर 2025 के बीच आरोपी रामजीत 18 महीने तक बिना किसी की नजर में आए ठगी करता रहा. 

बैंक रिकॉर्ड्स के मुताबिक, वो बार-बार जेल अधीक्षक के जाली हस्ताक्षर करके रकम ट्रांसफर करता रहा. यह ठगी तब खुली जब 22 सितंबर को 2.6 लाख रुपए की संदिग्ध निकासी के बाद बैंक स्टेटमेंट की जांच की गई. संदेह बढ़ने पर बैंक अधिकारियों ने विस्तृत स्टेटमेंट मांगा, जिसके बाद पूरा खेल उजागर हो गया.

पुलिस अधीक्षक (नगर) मधुवन कुमार सिंह ने बताया कि जांच में पता चला कि आरोपी ने 2.4 लाख रुपए अपनी एक महिला रिश्तेदार, 3 लाख रुपए अपनी मां सुदामी देवी और शेष रकम अन्य अज्ञात खातों में ट्रांसफर की थी. पुलिस ने चारों आरोपियों को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया है. रामजीत यादव का आपराधिक इतिहास रहा है. 

साल 2011 में उसे अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में दहेज हत्या के तहत जेल भेजा गया था. लेकिन इस बार उसका अपराध अलग है. उसने जेल की दीवारों के भीतर से सिस्टम को ही ठग लिया. जेल अधीक्षक पर हुई इस कार्रवाई ने पूरे कारागार विभाग में हलचल मचा दी है. यह घटना जेल प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करती है.

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