इज़रायल और हमास के बीच युद्ध को करीब 6 महीने होने वाले हैं. लेकिन इसके थमने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. सोमवार को भी इजरायली सेना ने मध्य गाजा के दीर अल-बलाह शहर में हमला किया. इसमें वर्ल्ड सेंट्रल किचन चैरिटी के चार अंतरराष्ट्रीय सहायता कर्मियों की दर्दनाक मौत हो गई. मरने वालों में ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और पोलैंड के नागरिक शामिल हैं. इसमें एक मिजो महिला भी शामिल है, जिसके मां मिजोरम की रहने वाली हैं.
एक विदेशी कर्मचारी की शिनाख्त नहीं हो पाई है. मरने वालों में एक फिलिस्तीनी ड्राइवर भी है. वर्ल्ड सेंट्रल किचन चैरिटी एक अमेरिकी एनजीओ है. वो गाजा में जरूरतमंद लोगों के लिए खाद्य राहत और तैयार भोजन बांटता है. पिछले महीने तक इसने 175 दिनों में गाजा में 42 मिलियन से अधिक भोजन परोस चुका था. आईडीएफ ने टेलीग्राम के जरिए इस हादसे पर दुख जाहिर किया है, लेकिन जिम्मेदारी नहीं ली है. उच्च स्तरीय समीक्षा करने की बात कही है.
इजरायली हमले में मारी गई मिजो महिला का नाम लालजावमी फ्रैंककॉम है. वो वर्ल्ड सेंट्रल किचन (डब्ल्यूसीके) में वरिष्ठ प्रबंधक थी. उत्तरी गाजा के लोगों को राहत प्रदान करने के मिशन पर थीं. वो जब अपने काफिले के साथ यात्रा कर रही थीं, उसी वक्त आईडीएफ के हवाई हमले के दौरान आग की चपेट में आ गई. इसके बाद घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई. उनकी मौत की ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री ने निंदा की है. उन्होंने इसे पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है.
मृतिका के पिता ऑस्ट्रेलियाई और मां मिजोरम की रहने वाली हैं. उनकी मौत की सूचना मिलने पर उनके मां के घरवालों ने हैरान जताई है. लालज़ावमी के चचेरे भाई ने कहा, "इस खबर को सुनने के बाद हमारा दिल टूट गया है. वो दुनिया भर में लोगों के लिए उल्लेखनीय काम कर रही थी. हमें उस पर हमेशा बहुत गर्व रहेगा.'' इस इजरायली हवाई हमले में मिजो महिला के साथ वर्ल्ड सेंट्रल किचन से जुड़े चार अंतरराष्ट्रीय सहायता कर्मियों की मौत हो गई है.
दूसरी तरफ इजरायली सेना ने रफाह में भी जबरदस्त हमलाकर 6 लोगों को मौत की नींद सुला दिया. इसमें तीन बच्चे शामिल हैं. उनके परिजनों का भी रो-रोकर हाल बुरा है. वहीं सभी के शवों को अल नज्जर अस्पताल लाया गया. वहां उन्हें नमाजे जनाजा के बाद सुपर्द-ए-खाक कर दिया गया. इज़रायल के ट्रिपल अटैक का सिलसिला आगे भी जारी रहा. कतर के न्यूज चैनल अल-जजीरा पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. नेतन्याहू ने आधी रात को संसद बुलाई और फिर कानून पारित कर चैनल को आतंकी चैनल करार दिया. इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट कर रोक लगाने की बात कही.
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बताते चलें कि गाजा में राहत सामग्री आने से रोक रहे इजरायल को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने इजरायल को आदेश दिया है कि वो बिना किसी रुकावट के गाजा में राहत सामग्री और मेडिकल सहायता जाने दे. गाजा में खाद्य संकट को लेकर दक्षिण अफ्रीका ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद ये फैसला आया है, जो कि खाद्य संकट से जूझ रहे फिलिस्तीनियों के लिए राहत भरी खबर हैं.
संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने इजरायल को आदेश दिया है कि वो बिना किसी रुकावट के गाज़ा में राहत सामग्री और मेडिकल सहायता जाने दे. गाजा में कुछ हफ़्तों के भीतर अकाल पड़ने की चेतावनी के बाद ये आदेश आया है. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने गाजा में राहत सामग्री आने से रोकने जाने पर इजरायल की आलोचना भी की थी. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि रफाह क्रसिंग पर राहत समाग्री से भरे ट्रकों को जाने दिया जाए.
इधर इजराइल ने राहत रोके जाने के आरोपों को 'आधारहीन' बताया है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक गाजा में खाद्य संकट को लेकर दक्षिण अफ़्रीका ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद ये आदेश आया है. इससे पहले दक्षिण अफ़्रीका गाजा में फिलिस्तीनियों के नरसंहार को लेकर भी इजरायल को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस घसीट चुका है. पिछले साल अक्टूबर से ही इजरायल ने गाजा की घेराबंदी कर रखी है.
इसकी वजह से गाजा में खाद्य संकट पैदा हो गया है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक गाजा की 23 लाख की आबादी में से 80 फीसदी लोगों को दो वक्त का भोजन नहीं मिल पा रहा. यहां हालात इतने खराब है कि पर्याप्त मात्रा में भोजन और दवाईयां ना मिलने की वजह से बच्चे दम तोड़ रहे हैं. पिछले हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉ. टेड्रोस ने दावा किया था कि गाजा में पांच साल से कम उम्र के 60 फीसदी बच्चे कुपोषित हो गए हैं.
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