7/11 Mumbai Train Blasts: साल 2006 में हुए सिलसिलेवार धमाकों ने न सिर्फ मुंबई की रफ्तार रोक दी थी, बल्कि पूरे देश को दहला दिया था. उन धमाकों में 189 लोग मारे गए थे, जबकि 800 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे. इस मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने 13 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें से 12 को कोर्ट ने 2015 में दोषी भी ठहराया. लेकिन अब, 21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी और गवाहों की कमजोरियों का हवाला देकर उन सभी को बरी कर दिया है.
इतने वर्षों की जांच, सुनवाई और सज़ा के बाद इस एक फैसले ने पूरे केस की नींव पर सवाल खड़े कर दिए हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या 7/11 धमाकों के असली गुनहगार आज भी आज़ाद हैं? और अगर ऐसा है, तो वो कौन हैं?
साल 2006 में गिरफ्तारी
सिलसिलेवार धमाकों के बाद महाराष्ट्र ATS (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने 7/11 मुंबई ट्रेन धमाकों के लिए जिम्मेदार बताकर 13 लोगों को गिरफ्तार किया था. ATS के तत्कालीन प्रमुख के.पी. रघुवंशी ने दावा किया था कि उन लोगों ने ट्रेनों में प्रेशर कुकर बम रखे थे.
पाकिस्तानी साजिश का दावा
उस वक्त आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने कहा था कि इस साजिश में कुछ पाकिस्तानी भी शामिल थे, जो देश छोड़कर भाग गए.
ट्रायल कोर्ट का फैसला
साल 2015 में, विशेष MCOCA कोर्ट ने 13 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराया और एक को बरी कर दिया था. 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा मिली थी.
साल 2008 में IM सदस्यों की गिरफ्तारी
इसी दौरान साल 2008 में मुंबई क्राइम ब्रांच ने इंडियन मुजाहिदीन (IM) नामक आतंकी संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जो देश भर में कई धमाकों में शामिल थे. उनकी गिरफ्तारी के बाद कहानी में दिलचस्प मोड आया.
IM के आरोपी का दावा
इंडियन मुजाहिदीन (IM) से जुड़े एक आरोपी ने दावा किया कि 7/11 धमाके ATS द्वारा पकड़े गए लोगों ने नहीं, बल्कि उनकी अपनी टीम ने किए थे. उसका बयान मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के तहत दर्ज किया गया.
ATS प्रमुख का बदलाव
साल 2008 में, ATS प्रमुख हेमंत करकरे मुंबई हमलों में शहीद हो गए थे. इसके बाद के.पी. रघुवंशी फिर से मुंबई ATS प्रमुख बना दिए गए थे.
IM आरोपी का बदला बयान
ATS ने इंडियन मुजाहिदीन (IM) के उसी आरोपी को हिरासत में लिया, जिसने पहले 7/11 धमाकों का दावा किया था. अब उसने नया बयान (धारा 164) दिया, जिसमें उसने कहा कि उसका पुराना बयान गलत था.
ATS की जांच पर सवाल
कई लोगों ने ATS की जांच पर सवाल उठाए और कोर्ट में याचिका दायर की.
हाईकोर्ट का फैसला (21 जुलाई 2025)
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी और गवाही में खामियों का हवाला देकर सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया. सभी 12 ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी.
सरकार की चुप्पी
गृह मंत्री को इस मामले में बार-बार बदलते बयानों और जांच की खामियों के बारे में बताया गया, लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया. अब हाईकोर्ट के इस फैसले ने कई सवाल खड़े किए हैं कि 7/11 धमाकों के असली गुनहगार अब भी पकड़े गए हैं या नहीं?
साहिल जोशी