Organized Crime Database Network (OCND) भारत सरकार की ओर से संगठित अपराध, गैंगस्टर और आतंकियों के खिलाफ शुरू की गई अब तक की सबसे बड़ी डिजिटल मुहिम है. यह पहल नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के नेतृत्व में तैयार की गई है. इसका मकसद देश और विदेश में सक्रिय आपराधिक नेटवर्क को एक ही मंच पर चिन्हित कर खत्म करना है. OCND एक देशव्यापी सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस है, जो अब पूरी तरह काम करना शुरू कर चुका है, इससे अपराधियों की पहचान और निगरानी पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गई है.
पूरे देश का डेटा एक जगह
OCND को NIA की अगुवाई में विकसित किया गया है, ताकि संगठित अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में किसी भी तरह की ढिलाई न रहे. इस डेटाबेस से देशभर के सभी राज्यों की पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियां जुड़ी हुई हैं. अब अलग-अलग राज्यों में बिखरी जानकारी एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है. इससे अपराधियों के नेटवर्क, उनके लिंक और गतिविधियों को समझना आसान हुआ है. यह सिस्टम जांच एजेंसियों के बीच तालमेल को भी मजबूत करता है.
गैंगस्टर और खालिस्तानी नेटवर्क पर वार
OCND को खास तौर पर संगठित गिरोहों, गैंगस्टरों और खालिस्तानी नेटवर्क के खिलाफ तैयार किया गया है. यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है, जिसमें देश विरोधी तत्वों को सीधे निशाने पर लिया गया है. खालिस्तानी अलगाववादी आतंकी और उनके सरगनाओं की पूरी प्रोफाइल इसमें दर्ज की जा रही है. इससे उनके नेटवर्क को जड़ से खत्म करने में मदद मिलेगी. सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर देख रही है.
एक क्लिक में पूरी जानकारी
इस सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस की सबसे बड़ी ताकत है “वन क्लिक एक्सेस”. अब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी अपराधी की पूरी जानकारी एक क्लिक में मिल जाएगी. पहले जहां अलग-अलग राज्यों से जानकारी जुटाने में समय लगता था, अब वह काम मिनटों में होगा. इससे जांच की रफ्तार तेज होगी और अपराधियों को बच निकलने का मौका नहीं मिलेगा. रियल टाइम डेटा शेयरिंग से ऑपरेशन और भी सटीक बनेंगे.
विदेश में बैठे अपराधियों पर भी शिकंजा
OCND सिर्फ देश के भीतर सक्रिय अपराधियों तक सीमित नहीं है. विदेशों में बैठकर भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले गैंगस्टर और खालिस्तानी आतंकी भी इसके दायरे में हैं. यह डेटाबेस उनके ट्रैवल रूट, फंडिंग और संपर्कों को ट्रैक करेगा. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कार्रवाई को मजबूती मिलेगी. सरकार का मानना है कि यह कदम देश विरोधी ताकतों के लिए बड़ा झटका है.
बिश्नोई गैंग से पन्नू तक सबका काला चिट्ठा
लारेंस बिश्नोई गैंग, गोल्डी बरार गैंग, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और सिख फॉर जस्टिस जैसे संगठनों के नाम OCND में दर्ज किए जा रहे हैं. गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे विदेशों से सक्रिय देश विरोधी तत्वों की पूरी गतिविधियां इसमें शामिल होंगी. इन सभी का 'काला चिट्ठा' इस डेटाबेस में सुरक्षित रहेगा. इससे इनके नेटवर्क और फंडिंग चैनल को उजागर किया जा सकेगा. जांच एजेंसियों को अब ठोस डिजिटल सबूत मिलेंगे.
अपराधियों की पूरी डिजिटल कुंडली
OCND में संगठित अपराधियों की बेहद विस्तृत जानकारी दर्ज होगी. इसमें अपराधियों की तस्वीरें, फिंगरप्रिंट और फेसियल रिकग्निशन डेटा शामिल है. इसके अलावा उनके इस्तेमाल किए गए ट्रैवल रूट, फर्जी पहचान पत्र और बैंक अकाउंट की ट्रांजेक्शन डिटेल भी दर्ज होगी. फॉरेंसिक प्रोफाइल और डिजिटल मैपिंग से उनकी गतिविधियों को ट्रैक किया जाएगा. यानी अपराधी की पूरी डिजिटल कुंडली एक जगह मौजूद रहेगी.
राज्यों की पुलिस के लिए गेमचेंजर
देशभर की राज्य पुलिस और जांच एजेंसियां लगातार इस डेटाबेस में नई जानकारी अपडेट करती रहेंगी. जैसे-जैसे डेटा बढ़ेगा, OCND और ज्यादा मजबूत होता जाएगा. अलग-अलग राज्यों की पुलिस इस साझा डेटा का इस्तेमाल अपने मामलों में कर सकेगी. इससे अपराधियों के लिए राज्य बदलकर बचना मुश्किल हो जाएगा. कुल मिलाकर OCND भारत में संगठित अपराध के खिलाफ एक गेमचेंजर साबित होने वाला है.
जितेंद्र बहादुर सिंह