दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने ऑनलाइन ट्रेडिंग फ्रॉड स्कीम का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस जांच में सामने आया कि यह पूरा फर्जीवाड़ा एक चीनी नागरिक के इशारे पर चलाया जा रहा था, जो टेलीग्राम के जरिए अपने भारतीय सहयोगियों को निर्देश देता था. इस गिरोह ने लोगों से अब तक लाखों रुपए की ठगी की है. पुलिस हिरासत में तीनों ठगों से पूछताछ की जा रही है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों की पहचान साहिल यादव (25), आर्यन कुमार (22) और आशीष कुमार उर्फ जैक (36) के रूप में हुई है. इनमें साहिल और आर्यन बिहार के पटना के रहने वाले हैं, जबकि आशीष बेगूसराय का रहने वाला है. तीनों आरोपी नोएडा में बैठकर फर्जी ट्रेडिंग स्कीमों के जरिए लोगों को झांसे में लेते थे. इसके बाद उनको बंपर कमाई का लालच देकर लाखों रुपए ऐंठ लेते थे.
इस रैकेट के पीछे चीन में बैठा एक हैंडलर था, जिसकी पहचान टॉम के रूप में हुई है. आरोपी आशीष कुमार के जरिए यह हैंडलर ठगी के पूरे ऑपरेशन को नियंत्रित करता था. दिल्ली और नोएडा में बैठी टीम को वही यह तय करता था कि किसे टारगेट बनाना है, कौन-सा अकाउंट इस्तेमाल करना है और पैसा कहां भेजना है. इस गिरोह का खुलासा तब हुआ जब दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में दर्ज एक केस की जांच शुरू की गई.
एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने शिकायत दी थी कि एक फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग वेबसाइट के जरिए उसे 47.23 लाख रुपए का चूना लगाया गया है. उसने बताया कि उसे एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा गया था, जहां रोजाना स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट और आईपीओ में मुनाफे का लालच दिया जा रहा था. उस ग्रुप में मैसेज आते थे कि 'आज खरीदो, कल बेचो, रोज कमाओ लाखों'. इस झांसे में आकर पीड़ित ने पैसे ट्रांसफर कर दिए.
इसके बाद उसने जब रिटर्न मांगने की कोशिश की, तो आरोपियों ने न केवल धमकी दी, बल्कि और पैसे की मांग कर डाली. तब जाकर पीड़ित को समझ आया कि वह एक बड़े साइबर स्कैम का शिकार हो गया है. जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने पाया कि पीड़ित से ली गई रकम में से 31.45 लाख रुपए एक फर्म के करंट अकाउंट में जमा किए गए थे. वहीं से 23.80 लाख रुपए साहिल यादव के अकाउंट में ट्रांसफर हुए.
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इस अकाउंट पर रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर सह-आरोपी आर्यन का था. पुलिस ने जांच में पाया कि आरोपियों ने कम से कम सात बैंक करंट अकाउंट खोल रखे थे, ताकि ठगी की रकम को आसानी से घुमाया जा सके. टेक्निकल एनालिसिस में यह भी सामने आया कि इन फर्मों से जुड़ी 131 शिकायतें पहले से दर्ज थीं. यह नेटवर्क पहले से सक्रिय था और कई राज्यों में फैला हुआ था.
आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्हें दिसंबर 2024 में एक "चीनी हैंडलर" ने टेलीग्राम के जरिए भर्ती किया था. उसने कहा था कि यदि वे अपने बैंक अकाउंट स्कैम के लिए इस्तेमाल करने देंगे, तो हर 1 करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन पर 1 से 1.5 फीसदी कमीशन मिलेगा. उन्होंने पैसे रूट करने के लिए एक फर्जी फर्म बनाई और उसके जरिए रकम को ठिकाने लगाने लगे. इस नेटवर्क का प्रमुख कोऑर्डिनेटर आशीष था.
पुलिस जांच में यह भी पता चला कि आशीष कुमार के खिलाफ भोपाल में भारतीय न्याय संहिता और आईटी एक्ट के तहत एक दर्ज हो चुका है. पुलिस ने आरोपियों की तलाश में कई जगह छापे मारे. नोएडा में पहले भी रेड पड़ी थी, लेकिन आरोपी गिरफ्तारी से बचते रहे. आखिरकार टेक्निकल सर्विलांस और लोकेशन ट्रैकिंग के आधार पर टीम ने ग्रेटर नोएडा में ठिकाने का पता लगाकर पुलिस ने तीनों को धर दबोचा.
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