फिल्मी अंदाज में एक डकैती की वारदात को अंजाम दिया गया. एक सीसीटीवी कैमरे में आधी रात को कैद हुई डकैतों की धुंधली सी तस्वीर. डकैती के पैसों वो लोग ऐश कर रहे थे. इसी दौरान सोशल मीडिया पर उन्होंने एक रील भी शेयर की. जिसे देखकर पुलिस एक्शन में आई और एक नाले से नोटों की गड्डियां बरामद की. इसके बाद खुलासा हुआ कि उस डाकू हसीना का, जिसने इस वारदात को अंजाम दिया. लुधियाना पुलिस ने फिल्मी अंदाजा में ही उस हसीना को खुल्ला चैलेंज किया. इसके बाद पुलिस ने जो किया, वो किसी रोमांच से कम नहीं था.
चलिए आपको इस पूरी कहानी से वाकिफ कराते हैं. हाल के दौर में इसे सबसे बड़ी डकैती कहा जा रहा है. जिसमें हर वो एलिमेंट है, जो किसी क्राइम थिलर मूवी में होता है. मसलन जिंदगी के किसी मोड़ पर डकैतों का एक दूसरे से मिलना. मिलकर गैंग बनाना और फिर कई महीने की प्लानिंग के बाद रात के अंधेरे में अपने ठिकाने पर घात लगाना. वारदात को अंजाम देने के बाद ऊपरवाले के दरबार में हाजिरी लगाना. अपने गुनाहों की तौबा करना, लेकिन आखिरकार बचने की लाख कोशिशों के बावजूद उनका 100 घंटों के अंदर पकड़े जाना. लुधियाना में कैश ट्रांसपोर्ट करनेवाली कंपनी सीएमएस के दफ्तर में हुए 8 करोड़ 49 लाख रुपये की ये डकैती की कहानी तमाम हैरानकुन किस्सों से भरी हुई है.
10 जून 2023, रात 12 बजकर 10 मिनट
वो शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात थी. इस वारदात की शुरुआत उसी रात लुधियाना के राजगुरु नगर में मौजूद सीएमएस के दफ्तर से होती है. जहां आधी रात को डकैतों का एक गैंग धावा बोलकर दोनों हाथों से करोड़ों के नोट बटोर कर फरार हो जाता है. लेकिन जाते-जाते अपने पीछे छोड़ जाता है, सीसीटीवी की कुछ धुंधली तस्वीरें, जिनके सहारे पुलिस के सामने गुनहगारों तक पहुंचने की महा-चुनौती थी.
डकैतों को पकड़ने की चुनौती
वैसे तो ये वारदात आधी रात को होती है, लेकिन घबराए मुलाजिमों को पुलिस को इतिला देने के लिए हिम्मत जुटाने में भी 5 से 6 घंटे लग जाते हैं. सुबह जब 7 बजे पुलिस को पहली बार इस वारदात की खबर मिलती है, तो उनके भी हाथ-पांव फूल जाते हैं. वजह ये कि ये वारदात एक कैश ट्रांसपोर्ट करनेवाली कंपनी में हुई थी और ऐसी किसी जगह पर डकैती का मतलब ही करोड़ों रुपये की लूट था. ऐसे में पुलिस के लिए इस मामले को सुलझाना जितनी बड़ी चुनौती थी, डकैतों को गिरफ्तार कर सारा का सारा कैश रिकवर करना भी उसी चुनौती का हिस्सा था.
मौका-ए-वारदात पर मिली बड़ी लापरवाही
चूंकि मामला बेहद बड़ा था, खबर मिलते ही खुद लुधियाना के पुलिस कमिश्नर मंदीप सिंह सिद्धू मौका-ए-वारदात पर पहुंचे और उन्होंने पूरे क्राइम सीन का जायजा लिया. लेकिन हर रोज करोड़ों रुपये का कैश इधर-उधर करनेवाली सीएमएस कंपनी के इस दफ्तर में उन्हें सुरक्षा के लिहाज से जो लापरवाही नजर आई, उससे खुद कमिश्नर साहब भी हैरान रह गए.
शातिराना अंदाज में डकैती
शुरुआती छानबीन के दौरान पुलिस को ये पता चल गया कि तकरीबन 10 से 12 डकैतों का गैंग दो हिस्सों में बंट कर इस दफ्तर पर धावा बोलने पहुंचा था. कुछ लोग दफ्तर के पिछले हिस्से की दीवार फांद कर अंदर दाखिल हुए, जबकि कुछ सामने से आए. खास बात ये थी कि डकैती के लिए आने के दौरान बदमाशों ने पूरे दफ्तर में लगे तमाम सेंसर्स डिएक्टिवेट किए. सीसीटीवी कैमरों के तार काट डाले और जाते-जाते अपने साथ दफ्तर में लगे कैमरों का डीवीआर भी उठा ले गए. और तो और लूटपाट के बाद डकैत जिस कैश वैन के साथ भागे, उसके भी फ्लिकर्स ऑन थे और ऐसा तभी मुमकिन था, जब इस काम में कोई इनसाइडर हो यानी कोई ऐसा शख्स शामिल हो, जिसे सीएमएस की सुरक्षा व्यवस्था की पूरी जानकारी हो.
किसी डाकू ने इस्तेमाल नहीं किया था मोबाइल
अब पुलिस को इस मामले की छानबीन के लिए एक एंगल मिल चुका था. पुलिस ने तफ्तीश के लिए मौका-ए-वारदात पर एक्टिव सारे मोबाइल नंबरों का डंप डाटा कलेक्ट किया, लेकिन ये जान कर पुलिस हैरान रह गई कि सभी के सभी दस डकैतों में से एक ने भी वारदात के वक्त अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया और ये पुलिस के लिए एक और बड़ी चुनौती थी.
कैश वैन बरामद होने के बाद मिला सुराग
हालांकि कुछ घंटों की तलाशी और नाकेबंदी के बाद पुलिस लावारिस हालत में पड़ी उस कैश वैन तक पहुंचने में कामयाब हो गई, जिसमें बैठ कर डकैत कंपनी के दफ्तर से भागे थे. इसके बाद पुलिस ने कैश वैन के पास वाली जगह का डंप डाटा तो निकाला ही, साथ ही अपने मुखबिरों की भी मदद ली और तब एक-एक कर पुलिस इस वारदात में शामिल गुनहगारों तक पहुंचती गई.
मास्टरमाइंड तक पहुंची पुलिस
सबसे पहले पुलिस ने लुधियाना के पास के ही एक गांव से लूट के रुपयों के साथ तीन लड़कों को दबोचा. जिन्होंने नोटों से भरा एक बैग सड़क के किनारे बनी पानी निकलने की एक जाली में छुपा रखा था. इसके बाद इनकी निशानदेही पर एक-एक कर कई डकैतों की गिफ्तारी हुई. इसी कड़ी में पुलिस मनजिंदर उर्फ मनी नाम के उस डकैत तक भी पहुंचने में कामयाब हो गई, जो खुद सीएमएस में कैश लोड करने का काम करता था. यानी जो इस वारदात को अंजाम देनेवाले दो मास्टरमाइंड में से एक था.
नाले से निकली नोटों की गड्डियां
मनजिंदर उर्फ मनी ने लुधियाना की ही रहनेवाली मंदीप कौर नाम की एक लड़की के साथ मिलकर ये पूरी साजिश रची थी. पहले पुलिस ने उसके घर से एक करोड़ रुपये बरामद किए. मनजिंदर मनी ने उसके पास और रुपये होने की बात से इनकार करता रहा. उसे लग रहा था कि वो लूट के रुपयों में से 50 लाख रुपये हड़प कर जाएगा, लेकिन जब पुलिस ने उससे सख्ती की, तो जो तस्वीरें आईं, वो हैरान करनेवाली थी. उसने पुलिस से बचने के लिए नोटों की गड्डियां अपने घर के नाले में छुपा दी थीं. जिन्हें पुलिस ने धो-धो कर बरामद कर लिया.
मंदीप कौर उर्फ मोना निकली सरगना
अब बात इस केस की असली मास्टरमाइंड और उसकी पूरी साजिश की. पुलिस की मानें तो लुधिनाया के ही डेहलों की रहनेवाली एक लड़की मंदीप उर्फ मोना ने इस वारदात की साजिश रची. उसने एक लड़के के खिलाफ रेप का केस दर्ज करा रखा था, जिसके सिलसिले में वो कोर्ट आती जाती रहती थी. इसी दौरान उसकी मुलाकात केस के दूसरे मास्टराइंड मंजिंदर सिंह मनी से हुई, जो कोर्ट में लगी एटीएम में कैश डालने आता था. यहीं से दोनों में दोस्ती हुई और फिर दोनों ने सीएमएस के दफ्तर में डाका डालने की प्लानिंग कर ली. इसके बाद चार महीने तक प्लानिंग चलती रही. दोनों ने चार-चार पांच-पांच लड़कों को साथ लेकर अपनी-अपनी टीम बनाई, पूरी तैयारी की.
डकैती में शामिल था मोना का पति और भाई
अब प्लानिंग को अमलीजामा पहनने का वक्त आ चुका था. लिहाजा 9-10 जून की आधी रात को मंजिंदर सिंह उर्फ मनी ने मंदीप उर्फ मोना की टीम के साथ मिलकर सीएमएस के दफ्तर में धावा बोल दिया. डकैती की इस वारदात में मोना के साथ उसका पति जसविंदर सिंह जस्सा और उसका भाई भी शामिल था. मोना और जस्सा ने तय किया था कि वो डकैती में कामयाब हो जाने पर सबसे पहले हेमकुंड साहिब में जाकर मत्था टेकेगी और फिर हरिद्वार और अमरनाथ धाम होते हुए लूटे गए रुपयों से नई जिंदगी की शुरुआत करेगी.
पैदल गुरुद्वारे तक पहुंचे थे मोना और उसका पति
वारदात के बाद के इसी तय प्रोगाम के मुताबिक पति-पत्नी की ये शातिर जोड़ी हेमकुंड साहिब जा पहुंची. पुलिस को जब दोनों के हेमकुंड साहिब पहुंचने की खबर मिली, तो पुलिस भी पीछे-पीछे वहां जा पहुंची, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ में से उनकी पहचान कर उन्हें पकड़ना एक बड़ी चुनौती थी. पुलिस ने हेलीकॉप्टर सर्विस का भी पता किया, क्योंकि उसे लग रहा था कि लूट के रुपयों से वो आराम से हेलीकॉप्टर राइड करेंगे, लेकिन पता चला कि मोना और जस्सा पैदल ही 21 किलोमीटर का फासला तय कर गुरुद्वारे तक पहुंचे. हालांकि बारिश और ठंड के बीच दोनों ने अपने चेहरे ढंक रखे थे. मोना ने चेहरे पर नकाब बांध रखा था और उसके पति जस्सा ने चेहरे पर पगड़ी लपेट रखी थी.
ऐसे पकड़ में आई डाकू हसीना
पुलिस को इतने सारे लोगों के बीच जस्सा और मोना को पकड़ना काफी मुश्किल था. इसलिए पुलिस ने उन्हें पहचानने के लिए एक जाल बिछाया और इसी जाल में वो शातिर जोड़ी फंस गई. दरअसल, पुलिस ने गुरुद्वारे के रास्ते में फ्रूटी का लंगर लगाया. ताकि लंगर में दी जानेवाली फ्रूटी पीने के लिए जैसे ही वो अपने चेहरे से नकाब हटाएं, उनकी पहचान कर ली जाए. पुलिस की प्लानिंग काम कर गई. जैसे ही दोनों ने फ्रूटी पीने के लिए नकाब हटाया, पुलिस कन्फर्म हो गई कि ये वही दोनों हैं. इसके बाद पुलिस ने उन्हें गुरुद्वारे तक जाने दिया. लेकिन जैसे ही अरदास करने के बाद वो बाहर निकले, लुधियाना पुलिस की टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
6 करोड़ से ज्यादा की रकम बरामद
अब डाकू हसीना पुलिस की गिरफ्त में आ चुकी थी. उसके पकड़े जाने के बाद तो साजिश की सारी कड़ियां खुल गईं और लूटे गए 8 करोड़ 49 लाख रुपये की रकम में से 6 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम बरामद कर ली गई.
मोना के भाई ने रुपयों के साथ बनाई थी रील्स
अब बात इस महालूट को लेकर सामने आई कुछ चौंकानेवाली बातों की. मोना ने लूटपाट के बाद इस साजिश में शामिल अपने छोटे भाई को करोड़ों की रकम दे दी थी. नई उम्र का ये लड़का इतने रुपये मिलने के बाद खुद पर काबू नहीं रख सका और सोशल मीडिया पर रुपयों के साथ रील्स बना कर कर शेयर करने लगा. मास्टरमाइंड मोना पुलिस की रडार पर थी ही, लेकिन जब उसके भाई ने कैश के साथ रील्स शेयर किए, पुलिस का शक यकीन में बदल गया.
मोना ने शेयर की थी हेमकुंड साहिब की तस्वीरें
इसके बाद पुलिस मोना को ट्रेस करने की कोशिश करने लगी. वारदात के वक्त तो किसी ने भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया था, लेकिन एक बार अपने-अपने ठिकाने में पहुंचने के बाद सारे के सारे डाकू टेंशन फ्री हो गए थे और आराम से फोन पर बात कर रहे थे. इसी तरह से मोना ने हेमकुंड साहिब में माथा टेकते वक्त ना सिर्फ वहां की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थी, बल्कि वहीं से अपनी मां को भी फोन किया था.
चार महीने तक की थी प्लानिंग
पुलिस की मानें तो तीर्थ यात्रा पूरी करने के बाद मोना और उसका पति नेपाल के रास्ते भारत से बाहर भागने की तैयारी कर चुके थे. लेकिन इससे पहले ही वो धर लिए गए. वारदात को अंजाम देने के लिए मोना ने दूसरे मास्टरमाइंड मनजिंदर मनी के साथ मिलकर तकरीबन 4 महीने तक प्लानिंग की. और जान बूझकर शुक्रवार की रात को ही सीएमएस के दफ्तर पर धावा बोला, क्योंकि मनी को पता था कि शुक्रवार को सीएमएस के ऑफिस में कैश बहुत बड़ी तादाद में होता है.
पुलिस टीम को मिलेगा 10 लाख का इनाम
एक हैरान करनेवाली बात ये भी रही कि इस वारदात को अंजाम देनेवाले सभी के सभी 10 डकैतों में से किसी का भी कोई पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. इसके बावजूद इन्होंने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया. लेकिन यही बात पुलिस के लिए भी एक मुश्किल भरी बात है, क्योंकि फर्स्ट टाइमर क्रिमिनल्स को पकड़ना पुलिस के लिए ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि उनका कोई पुराना ट्रैक रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं होता. शायद यही वजह है कि सूबे के डीजीपी गौरव यादव ने सौ घंटे में पूरे मामले का खुलासा कर देने वाली पुलिस टीम को 10 लाख रुपये का इनाम देने का भी ऐलान किया है.
(लुधियाना से मुनीश अतरे का इनपुट)
सतेंदर चौहान / सुप्रतिम बनर्जी