Aryan Mishra Murder Case: पीछा, हमला और कानून का मजाक... दहला देगी आर्यन मिश्रा के कत्ल की ये खौफनाक कहानी

पलवल के टोल नाके से आगे कुछ दूर जा कर लाल रंग की डस्टर कार में बैठे 12वीं के एक स्टूडेंट आर्यन मिश्रा को कुछ लोग शूट कर देते हैं. गोली उसी सफेद रंग की स्विफ्ट कार से चलाई गई थी, जो इस लाल रंग की डस्टर कार का पीछा कर रही थी.

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गौ रक्षा दल के सदस्यों ने आर्यन को दो गोली मारी थी गौ रक्षा दल के सदस्यों ने आर्यन को दो गोली मारी थी

aajtak.in

  • फरीदाबाद,
  • 05 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:14 PM IST

Aryan Mishra Murder Case: गौ तस्करी या फिर गौ मांस रखने के नाम पर अब तक कितने ही लोगों पर हमला किया गया और कितनों की जान ले ली गई. लेकिन इस बार ये कहानी उससे बिल्कुल जुदा है. कुछ लोगों को खबर मिलती है कि एक कार में कुछ गौ तस्कर जा रहे हैं. वो लोग उस कार का पीछा करते हैं. और फिर गोली चला देते हैं. इस गोलीबारी में एक छात्र की मौत हो जाती है. और जब इस वारदात का सच सामने आता है, तो हर कोई सन्न रह जाता है.

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24 अगस्त 2024, रात 2 बजे, पलवल
आम तौर पर किसी भी टोल नाके पर गाड़ियां या तो रुकती हैं या फिर धीमी होती हैं. लेकिन दिल्ली के करीब फरीदाबाद के पलवल के टोल नाके की तस्वीरें अलग हैं. 24 अगस्त की रात 2 बजे एक तेज रफ्तार लाल रंग की डस्टर कार टोल नाके के बैरियर को तोड़ती हुई पूरी रफ्तार से आगे निकल जाती है और उसके पीछे-पीछे सफेद रंग की ये स्विफ्ट कार भी कुछ वैसे ही टोल नाके को क्रॉस कर जाती है. तब तो टोल पर तैनात कर्मचारियों को ये मामला पूरी तरह समझ में नहीं आता. उन्हें बात मारपीट या फिर दुश्मनी जैसी लगती है.

ऐसे किया गया आर्यन का कत्ल 
लेकिन अगले चंद घंटों के बाद जो कुछ होता है, उसकी कहानी जब 5 दिनों के बाद सामने आती है, तो वो टोल नाके पर तैनात मुलाजिमों के साथ-साथ पूरे देश को हैरान कर देती है. इस टोल नाके से आगे बढ़ते ही कुछ दूर जा कर लाल रंग की डस्टर कार में बैठे 12वीं के एक स्टूडेंट आर्यन मिश्रा को कुछ लोग शूट कर देते हैं. गोली उसी सफेद रंग की स्विफ्ट कार से चलाई गई थी, जो इस लाल रंग की डस्टर कार का पीछा कर रही थी. पीछे से चली पहली गोली डस्टर के विंडशील्ड को तोड़ती हुई आर्यन के गर्दन में जाकर लगती है, लेकिन इससे पहले कि डस्टर में बैठे बाकी लोग कुछ समझ पाते, जाम की वजह से बीच रास्ते पर रुकी डस्टर कार के पास स्विफ्ट से उतर कर एक शख्स पहुंचता है और गोली लगने से लहूलुहान आसूम आर्यन को बिल्कुल करीब से फिर से एक गोली उसके सीने में मार देता है.

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लोग सन्न, कातिल फरार
तब डस्टर कार में और कम से कम चार से पांच लोग बैठे हुए थे. यानी इतने लोगों की आंखों के सामने उन्हीं की गाड़ी में बैठे एक स्टूडेंट का कत्ल हो जाता है. और किसी को कुछ समझ में नहीं आता कि आखिर ये मामला क्या है? इधर, आंखों के सामने आर्यन के कत्ल से उसके साथ मौजूद सारे लोग सन्न रह जाते हैं, उधर स्विफ्ट में आए क़ातिल वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं और एक बच्चे के कत्ल का ये मामला मिस्ट्री बन कर रह जाता है.

सामने थे कई अनसुलझे सवाल
लेकिन आखिर ये माजरा क्या है? स्विफ्ट कार में आए वो क़ातिल कौन थे? उनकी महज 12वीं में पढ़ने वाले एक स्टूडेंट से क्या दुश्मनी हो सकती है? और आखिर बीच रास्ते पर कई किलोमीटर तक पीछा कर इतने बेख़ौफ तरीके से किसी की जान कैसे ले सकता है? ये सवाल अभी अनसुलझे थे. खैर बात फरीदाबाद पुलिस तक पहुंचती है और पुलिस मामले की जांच शुरू करती है.

आईसक्रीम खाने के लिए निकला था आर्यन 
पता चलता है कि उस रात आर्यन मिश्रा को उसके मकान मालिक ने अपने परिवार के साथ बाहर चल कर आईसक्रीम खाने के लिए बुलाया था. इसके बाद आर्यन मकान मालिक के बेटों हर्षित, सैंकी, उनकी मां और बहनों के साथ इसी लाल रंग की डस्टर कार में आईसक्रीम खाने के लिए निकल जाता है, लेकिन रास्ते में कुछ दूर आगे बढ़ते ही एक सफेद रंग की स्विफ्ट कार उनकी कार का पीछा करने लगती है. 

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आर्यन की कार का पीछा कर रही थी स्विफ्ट
स्विफ्ट में सवार लड़के डस्टर में बैठे आर्यन और उसके मकान मालिक के परिवारवालों को रुकने का ईशारा करते हैं, लेकिन अनजान कार के पीछा करने और रुकने के इशारे से डस्टर चला रहा हर्षित घबरा जाता है और वो डस्टर की रफ्तार बढ़ा देता है. लेकिन स्विफ्ट कार अब उस डस्टर का और भी तेजी से पीछा करने लगती है. और आखिरकार जब डस्टर पलवल के रास्ते पर सर्विस लेन में लगे जाम में फंस जाती है, तो एक-एक कर चली दो गोलियां आर्यन की जान ले लेती है.

सीसीटीवी से कार की पहचान
अब चूंकि मामला क़त्ल का है, तो फरीदाबाद की पुलिस ने तफ्तीश शुरू की. सौ से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की स्कैनिंग करने के बाद 29 अगस्त को आखिरकार पुलिस मौके से फरार स्विफ्ट कार की पहचान करने में कामयाब हो जाती है और फिर शिकंजे में आता है अनिल कौशिक नाम का एक शख्स और उसके चार गुर्गे, जो फरीदाबाद और आस-पास के इलाकों में गौ-रक्षा दल चलाते हैं. लेकिन सवाल ये है कि आखिर कौशिक और उसके गुंडों की मासूम आर्यन से क्या दुश्मनी थी? 

गौ रक्षा दल की बात गोल कर गए ACP
फरीदाबाद के एसीपी क्राइम अमन यादव का कहना था कि आरोपी अनिल कौशिक और उसके गुर्गों की आर्यन से कोई दुश्मनी नहीं थी. बल्कि वो तो डस्टर में सवार लोगों को जानते तक नहीं थे. उनके बीच कोई रोड रेज जैसा मामला भी नहीं था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कानून तोड़ने की गलतफहमी में आर्यन को गोली मार दी. लेकिन इस पूरे बयान में एसीपी साहब जो बात गोल कर गए, वो है गौ-रक्षा दल की गलतफहमी की. 

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छात्र को समझा गौ तस्कर
वैसे पुलिस बताए या न बताए, सच्चाई यही है कि अनिल कौशिक और उसके लोगों को उस रात ये लगा था कि लाल रंग की उस डस्टर कार में कुछ गौ तस्कर सवार हैं, जो कहीं जा रहे हैं. ऐसी आशंका पर उन्होंने उस कार का पीछा किया, उन्हें रुकने का ईशारा किया और जब इसके बावजूद डस्टर नहीं रुकी, तो उन्होंने कार को इंटरसेप्ट कर आखिरकार उसमें बैठे स्कूली बच्चे को ही गौ तस्कर समझ कर मार डाला. 

गौ रक्षा दल के बारे में बोलने से बच रही पुलिस
धन्य है फरीदाबाद पुलिस जिसकी आंखों के सामने एक बेगुनाह बच्चे का क़त्ल हो गया और वही पुलिस इस सच्चाई को खुल कर कबूल करने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. ये और बात है कि उसने दबी जुबान में यही कहानी आर्यन के पिता को जरूर बताई है.

आर्यन के पिता ने उठाया सवाल
वैसे इस कहानी का एक और पहलू ये भी है कि लाल डस्टर में सवार आर्यन के मकान मालिक के लड़के शैंकी के साथ चंद रोज पहले कुछ लोगों का झगड़ा हुआ था. ऐसे में शायद शैंकी इस बात से भी डरा था कि वही लोग उस पर हमले के लिए सफेद रंग की स्विफ्ट कार में उसका पीछा कर रहे हैं. शायद इसलिए भी हर्षित और शैंकी ने डस्टर की रफ्तार बढ़ा दी थी. लेकिन शैंकी के साथ पहले हुई मारपीट का आर्यन के क़त्ल से कोई रिश्ता है या नहीं, इस बात की तस्दीक होनी अभी बाकी है. हालांकि आर्यन के पिता सियानंद मिश्र ने सवाल उठाया है कि उस गाड़ी में कई और लोग थे, क़ातिलों ने सिर्फ उन्हीं के बेटे को कैसे टारगेट किया.

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हरियाणा में कानून का जिम्मा गुंडों के हवाले!
अब सवाल ये है कि क्या फरीदाबाद में या फिर हरियाणा में कायदे कानून की रखवाली का जिम्मा गुंडों के हवाले है? जो कहीं भी, किसी का भी, पीछा करते हुए उसे संदिग्ध पाने पर उसे गोली से उड़ा सकते हैं? इतना बेअंदाज तो खुद वो पुलिस भी नहीं होती, जिसके पास वाकई कायदे कानून की हिफाजत की जिम्मेदारी है. जो वर्दी में है. ऐसे में अगर कोई गौ रक्षा दल के लोग किसी बेगुनाह को गौ तस्कर समझ कर बीच सड़क पर गोली से उड़ा देते हैं, तो सवाल सूबे के कायदे कानून के साथ-साथ पुलिस के ईमान और इकबाल पर भी उठता है. अब देखना ये है कि आखिर पुलिस इस सच्चाई को कब तक छुपाने की कोशिश करती है और आखिर ऐसे खून खराबे के दोषी गुनहगारों को कब तक और कैसी सज़ा होती है.

(फरीदाबाद से सचिन गौड़ के साथ हिमांशु मिश्र की रिपोर्ट)

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