पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन आज केवल बंदूक या मानव बम तक सीमित नहीं रहे. वे फिदायीन तैयार कर रहे हैं, ड्रोन और छोटे रॉकेट से हमला करने की तैयारी कर रहे हैं, और सबसे खतरनाक बात है कि वे व्हाट्सऐप चैनल के जरिए हजारों लोगों को रेडिकलाइज कर रहे हैं. दूसरी तरफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की सुस्त समन्वय व्यवस्था ऐसे हमलों को रोकने में कमजोर पड़ती दिख रही है. दिल्ली धमाके में यही चूक सबसे साफ दिखी.
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का मास्टरमाइंड डॉक्टर उमर नबी 100 किलोमीटर से ज्यादा दिल्ली में घूमता रहा. पुलिस रोज उसके 50 से ज्यादा लोकेशन वाले वीडियो जारी करती रही. लेकिन जब वो सड़कों पर घूम रहा था, किसी एजेंसी को कानोंकान खबर नहीं लगी. न उसे रोका गया, न पकड़ा गया. इतनी विफलता के बीच सवाल सिर्फ दिल्ली धमाके का नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा का है. 18 नवंबर दोपहर करीब 11 बजे धमाके के आठ दिन अफरा-तफरी मची हुई है.
कहीं बम स्क्वॉड जांच कर रहा, कहीं डॉग स्क्वॉड हर कोना खंगाल रहा है. दिल्ली में ये हड़कंप उस वक्त मचा, जब दावा हुआ कि अदालतों में नया धमाका करने की धमकी भेजी गई है. ये धमकी उस समय आई, जब पटियाला हाउस कोर्ट में कुछ देर बाद ही दिल्ली ब्लास्ट केस के आरोपी जसीर बिलाल वानी की पेशी थी. वही जसीर, जो उमर के मॉड्यूल का दूसरा अहम चेहरा है. इस धमकी की जांच के दौरान बम तो नहीं मिला, लेकिन इस चेतावनी ने एक बड़ा सवाल उठाया.
क्या दिल्ली पर दूसरा हमला करने की साजिश भी जिंदा है? क्यों ये खतरा पहले से ज्यादा गंभीर है? इसलिए नहीं कि दिल्ली में फिदायीन हमला हो चुका है. इसलिए भी नहीं कि बार-बार धमाके की धमकी मिलती रही है. बल्कि इसलिए कि आतंकी संगठन अब बिल्कुल नए तरीके अपना रहे हैं. दिल्ली में फिदायीन हमला हो चुका है. ड्रोन-रॉकेट से बड़े हमले की तैयारी के सबूत मिल चुके हैं. व्हाट्सऐप चैनल से हजारों को रेडिकलाइज करने का मॉडल पकड़ा जा चुका है.
दिल्ली पर ड्रोन अटैक और शू-बम धमाके की थी साजिश
शू-बम तक की तैयारी का इनपुट मिला है. दूसरी तरफ, उमर नबी जैसा फिदायीन 100 घंटे तक घूमता रहा, लेकिन किसी एजेंसी ने उसे पकड़ना तो दूर, रोकना तक नहीं किया. उमर का आखिरी वीडियो ने सारे नैरेटिव उधेड़कर रख दिए हैं. अब सवाल सिर्फ यह नहीं है कि डॉक्टर उमर कश्मीर का पढ़ा लिखा लड़का था. सवाल यह है कि क्या वह भटका हुआ था? उसका ताजा वीडियो इसका जवाब देता है कि नहीं. ऐसा बिल्कुल नहीं था. यह वीडियो ब्लास्ट से पहले का है.
इस वीडियो में उमर सुसाइड बम को 'शहादत' बताता है. वो खुद को मौत के लिए तैयार बताता है. वो कहता है कि "मरना क्या है, किसको पता". यह वीडियो दिखाता है कि उमर किसी हड़बड़ी में नहीं था, पूरी तरह तैयार था. उसका मकसद खुद के साथ दूसरों को भी फिदायीन बनाना था. वो डिजिटल कंटेंट बनाकर ब्रेनवॉश करने की कोशिश कर रहा था. यह पूरा वीडियो जैश मॉड्यूल के प्रचार का हिस्सा लगता है. यानी जो लोग उसे भटका बताते हैं, उनकी सोच गलत साबित होती है.
ब्रेनवॉश करने वाला मास्टरमाइंड निकला 'भटका जवान'
एक तरफ उमर नबी लाल किले के पास धमाका करता है. देश की राजधानी हिल जाती है. दूसरी तरफ पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती कहती हैं, "कश्मीर की समस्या लालकिले के सामने बोल पड़ी." कांग्रेस नेता राशिद अल्वी कहते हैं, "किन हालात ने मजबूर किया जो वो बमों से खेलने लगे." कांग्रेस सांसद इमरान मसूद कहते हैं, "ये भटके हुए लोग हैं." लेकिन उमर का वीडियो साफ बताता है कि
वो भटका नहीं था, बल्कि ब्रेनवॉश करने वाला मास्टरमाइंड था.
इसके बाद कहानी का दूसरा चेहरा सामने आता है, जसीर बिलाल वानी. काले कपड़े से ढका चेहरा. पॉलिटिकल साइंस का छात्र. कुलगाम की एक मस्जिद में अक्टूबर 2023 में उमर से पहली मुलाकात. इसके बाद
उमर ने ही जसीर के लिए अल फलाह यूनिवर्सिटी के पास किराए का कमरा लिया. उमर चाहता था कि जसीर फिदायीन बने. लेकिन इस साल अप्रैल में उसने आत्मघाती हमला करने से इनकार कर दिया. अंदेशा है कि इसके बाद उमर ने वीडियो बनाकर भड़काने का रास्ता चुना.
अल फलाह यूनिवर्सिटी: व्हाइट कॉलर टेरर की फैक्ट्री
यहां सबसे चौंकाने वाली बात आती है, डॉ. उमर, डॉ. शाहीन, डॉ. मुजम्मिल, शकील, ये सभी एक ही जगह से जुड़े थे. वो है अल फलाह यूनिवर्सिटी. मंगलवार से ED यहां छापेमारी कर रही है. जांच इस बात पर केंद्रित है कि क्या यूनिवर्सिटी का टेरर मॉड्यूल से सीधा रिश्ता है? क्या डॉक्टरों की अलग टीम फिदायीन मॉड्यूल तैयार कर रही थी? क्या यहां से 'व्हाइट कॉलर टेरर सिंडिकेट' चलाया जा रहा था? उधर जम्मू-कश्मीर में NIA औलगातार छापेमारी कर रही है.
इससे साबित होता है कि ये टेरर मॉड्यूल बहुत बड़ा था. अब कहानी एक खतरनाक मोड़ लेती है. NIA ने दावा किया है कि उमर का मॉड्यूल भारत में हमास की तर्ज पर ड्रोन और रॉकेट से हमला करना चाहता था.
जैसे 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल में किया था. मोटर से चलने वाले हैंग ग्लाइडर से घुसपैठ की थी. ड्रोन से सैन्य ठिकानों को उड़ाया था. भीड़भाड़ वाले इलाकों में कत्लेआम मचाया था. उसी तरह की प्लानिंग भारत में की जा रही थी, जो कि नाकाम कर दी गई.
बहुत पुरानी है हमास और पाकिस्तान की दोस्ती
सबसे चिंताजनक बात यह है कि हमास और पाकिस्तान की दोस्ती पुरानी है. PoK में हमास के आतंकी दिख चुके हैं. पाकिस्तान के नेता और हमास प्रतिनिधि खुलेआम मीटिंग कर चुके हैं. 7 अक्टूबर 2023 के बाद हमास के नेता पाकिस्तान की रैलियों से वीडियो लिंक पर जुड़े थे. संभव है कि दानिश और उमर जैसे युवक इन हमलों को देखकर प्रभावित हुए हों. उसी मॉडल को भारत में दोहराना चाहते हों. ऐसे बड़ा सवाल ये है कि क्या उमर नबी और उसके साथी सीधे हमास से संपर्क में थे?
सवाल ये भी है कि क्या उन्हें हमास से ट्रेनिंग मिली थी? क्या जैश अब हमास स्टाइल हमले का 'फ्रेंचाइज़ मॉडल' भारत में एक्टिव कर चुका है? इन सवालों का जवाब बताता है कि भारत किस नए दौर के आतंकवाद का सामना कर रहा है. क्योंकि इस बार दुश्मन न सिर्फ बंदूकधारी हैं. वे डॉक्टर हैं. डिजिटल क्रिएटर हैं. ड्रोन इंजीनियर हैं. व्हाट्सऐप से 13 हजार लोगों को रेडिकलाइज करने वाले मॉडरेटर हैं. भारत को आतंक की इस प्रयोगशाला से सावधान रहना होगा. वरन अंजाम बुरा हो सकता है.
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