महाराष्ट्र में इंटरनेशनल ट्रांसप्लांट सिंडिकेट का भंडाफोड़, 30 किडनी बेचे जाने का खुलासा, 80 लाख में होता था सौदा

महाराष्ट्र में किसान द्वारा कर्ज चुकाने के लिए किडनी बेचने के मामले ने देशभर में फैले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश कर दिया है. पुलिस जांच में दिल्ली और तमिलनाडु से जुड़े तार सामने आए हैं. शुरुआती जानकारी में भारत में 25 से 30 किडनी बेचे जाने का खुलासा हुआ है.

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चंद्रपुर में किसान के किडनी बेचने जाने के मामले के सामने आने बाद रैकेट का पर्दाफाश. (Photo: ITG) चंद्रपुर में किसान के किडनी बेचने जाने के मामले के सामने आने बाद रैकेट का पर्दाफाश. (Photo: ITG)

विकास राजूरकर

  • चंद्रपुर,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:14 PM IST

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में कर्ज चुकाने के लिए किसान द्वारा किडनी बेचने के सनसनीखेज मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. चंद्रपुर पुलिस ने दावा किया है कि यह मामला सिर्फ एक किसान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार देशभर में फैले एक बड़े किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट से जुड़े हैं, जिसमें दिल्ली और तमिलनाडु की अहम भूमिका सामने आई है.

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पुलिस अधीक्षक सुदर्शन मुमक्का ने बताया कि शुरुआती जांच में भारत में 25 से 30 किडनी बेचे जाने की जानकारी सामने आई है. यह रैकेट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय रहा है. इसका कंबोडिया कनेक्शन पहले ही सामने आ चुका था. यह पूरा मामला नागभीड़ तहसील के 36 वर्षीय किसान रोशन कूड़े की शिकायत के बाद उजागर हुआ था. 

पीड़ित किसान ने बताया कि उसने साहूकारों से ऊंचे ब्याज पर कर्ज लिया था. कर्ज के बोझ से बाहर निकलने के लिए उसे यह कदम उठाना पड़ा. इस मामले में ब्रह्मपुरी पुलिस स्टेशन में अपराध क्रमांक 654/2025 के तहत भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं और महाराष्ट्र सावकारी नियमन अधिनियम 2014 के तहत केस दर्ज किया गया था.

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एसआईटी का गठन किया. जांच के दौरान यह साफ हुआ कि मामला मानव अंग प्रत्यारोपण से जुड़ा है, जिसके बाद मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 की धाराएं 18 और 19 भी जोड़ी गईं. इस केस में अब तक छह साहूकारों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इसके साथ ही अन्य की तलाश है.

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एसआईटी की जांच में सामने आया कि शिकायतकर्ता किडनी प्रत्यारोपण के लिए कंबोडिया गया था. इस एंगल से जांच आगे बढ़ने पर कृष्णा उर्फ रामकृष्ण सुंचू और हिमांशु भारद्वाज को गिरफ्तार किया गया. तकनीकी विश्लेषण और पूछताछ में यह स्पष्ट हुआ कि इस रैकेट के भारत में भी गहरे और संगठित संबंध हैं.

पूछताछ में आरोपी हिमांशु भारद्वाज ने कबूल किया कि जुलाई 2022 में आर्थिक तंगी के चलते उसने अपनी किडनी बेची थी. यह अवैध प्रत्यारोपण तमिलनाडु के त्रिची स्थित स्टॉर किम्स हॉस्पिटल में किया गया, जिसमें अस्पताल संचालक डॉ. राजरत्नम गोविंदस्वामी और दिल्ली के डॉ. रविंद्रपाल सिंह की भूमिका सामने आई है.

पुलिस के मुताबिक, किडनी लेने वाले मरीज से 50 से 80 लाख रुपए तक वसूले जाते थे. इसमें से डॉक्टरों, अस्पताल और एजेंटों को मोटी रकम मिलती थी, जबकि किडनी दान करने वाले को सिर्फ 5 से 8 लाख रुपए दिए जाते थे. LCB चंद्रपुर की एक टीम तमिलनाडु के त्रिची में स्टॉर किम्स हॉस्पिटल पहुंच चुकी है. अस्पताल संचालक की तलाश जारी है. 

वहीं, दूसरी टीम ने दिल्ली से डॉ. रविंद्रपाल सिंह को हिरासत में लिया है. उन्हें ट्रांजिट रिमांड के लिए दिल्ली की अदालत में पेश किया गया, जहां से 2 जनवरी 2026 को चंद्रपुर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है. कंबोडिया कनेक्शन के बाद अब भारत के नामी अस्पतालों से जुड़े इस बड़े किडनी ट्रांसप्लांट घोटाले ने सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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