कर्नाटक: कोरोना की दूसरी लहर की आशंका, न्यू ईयर सेलिब्रेशन पर रोक की सिफारिश

कोरोना संकट को देखते हुए न्यू ईयर सेलिब्रेशन पर रोक लगाने की सिफारिश की गई है. कर्नाटक सरकार की एक कमेटी ने न्यू ईयर के आसपास नाइट कर्फ्यू लगाने को कहा है.

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कोरोना फिर बढ़ा रहा है चिंता (फाइल) कोरोना फिर बढ़ा रहा है चिंता (फाइल)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST
  • नए साल को देखते हुए कोरोना के संकट से चिंता
  • कर्नाटक में नए साल के सेलिब्रेशन पर रोक की मांग

देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन अब एक बार फिर केसों में बढ़ोतरी की आशंका है. वो इसलिए क्योंकि अब नया साल आने वाला है और ऐसे में लोग जश्न मनाने के लिए बाहर निकलेंगे और इकट्ठा होंगे. इसी डर के कारण कर्नाटक सरकार की एक कमेटी ने मांग की है कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन पर रोक लगा देनी चाहिए. 

कमेटी का कहना है कि 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लगना चाहिए और न्यू ईयर सेलिब्रेशन बंद होने चाहिए. कमेटी की ओर से बीते कुछ वक्त में सामने आए केस और उनकी बढ़ोतरी के हिसाब से ये निर्णय किया गया है. 

इसके मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर जनवरी या फरवरी में सामने आ सकती है. ऐसे में कर्नाटक में RT-PCR टेस्ट की संख्या बढ़नी चाहिए और कुल करीब डेढ़ लाख टेस्ट हर रोज किए जाने चाहिए. फरवरी तक टेस्टिंग को आक्रामक तौर से करना होगा. 

सर्दी के बढ़ने, लोगों की मूवमेंट बढ़ जाने और त्योहार-जश्न के कारण कोरोना का खतरा बढ़ रहा है और कोरोना पीड़ित को ढूंढने में परेशानी हो रही है. ऐसा ही पहले अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य कुछ यूरोपीय देशों में देखा गा है. 

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भारत में भी हाल ही में जब दीवाली समेत अन्य त्योहारों का वक्त आया था, उसके तुरंत बाद दिल्ली जैसे बड़े मेट्रो शहरों में अचानक ही कोरोना के केस बढ़ने लगे थे. यही कारण है कि अब कई राज्य सतर्कता बरत रहे हैं. बीते दिनों जब केस बढ़ने लगे थे, तो कई राज्यों में रात के कर्फ्यू की वापसी हुई थी.

कर्नाटक में 8 मार्च, 2020 को कोरोना का पहला मामला सामने आया था और अब कुल केस की संख्या नौ लाख के करीब है. जबकि 11 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. जुलाई में कर्नाटक में करीब हर रोज दस हजार मामले आ रहे थे, जो अब 1500 केस के करीब रुक गए हैं. अब कमेटी का कहना है कि जनवरी, फरवरी के लिए अस्पतालों को अभी से तैयार करना होगा.

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