IPO Apply Tricks: क्या आप भी थक गए? नहीं निकलता है बढ़िया वाला IPO? फिर अपनाएं ये ट्रिक्स

आप कई अकाउंट से IPO अप्लाई करते हैं तो शेयर आवंटन की संभवानाएं बढ़ जाती हैं. आवेदन के लिए केवल डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है, ओवरसब्सक्रिप्शन की स्थिति में अलॉटमेंट खास तरीके से होता है. उदाहरण के लिए अगर M कंपनी का आईपीओ तीन गुना ओवरसब्सक्राइब हो गया.

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कैसे होता है आईपीओ का अलॉटमेंट. (Photo: ITG) कैसे होता है आईपीओ का अलॉटमेंट. (Photo: ITG)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

LG इलेक्ट्रॉनिक्स का आईपीओ आया, Groww का आईपीओ आया... इसके अलावा कई और कंपनियों के IPO में अप्लाई किए, लेकिन निकला एक भी नहीं, अधिकतर रिटेल निवेशकों की यही शिकायत होती है. उनकी शिकायत तब और बढ़ जाती है, जब उस अप्लाई की बंपर लिस्टिंग होती है, जिसमें उन्होंने अप्लाई किए थे, लेकिन ऑलटमेंट में हाथ खाली रहा.  

दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में रिटेल निवेशकों (Retail Investor) की आईपीओ में तेजी से भागीदारी बढ़ी है. लोग एक दूसरे को देखकर आईपीओ में दांव लगा रहे हैं. ऐसे में अगर किसी परिचित को आईपीओ में शेयर अलॉट हो जाते हैं तो फिर मन में सवाल उठता है कि कैसे अप्लाई करें ताकि हमें भी शेयर अलॉट हो.

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साथ ही मन में ये सवाल उठने लगता है कि कहीं अलॉटमेंट में गड़बड़ी तो नहीं की जाती है. क्योंकि कुछ लोगों की हमेशा शिकायत होती है कि बढ़िया वाला आईपीओ तो उन्हें कभी मिलता ही नहीं. कुछ तो गड़बड़ है, लेकिन हकीकत ये है कि अगर किसी को मिल रहा है, तो नियम के तहत मिल रहा है, और किसी को नहीं मिल रहा है तो उसे भी नियम के तहत ही अलॉटमेंट नहीं हुआ. 
 
आज हम आपको कुछ ट्रिक्स बताएंगे, जिससे आईपीओ में अलॉटमेंट की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. केवल अप्लाई से जुड़े कुछ नियम को फॉलो कर आप अपनी दावेदारी को मजबूत कर सकते हैं.

 1. दूसरे दिन ही कर दें अप्लाई
अगर आप IPO के लिए अप्लाई करने का फैसला कर चुके हैं, तो पहले दिन या दूसरे दिन जरूर अप्लाई कर दें, आखिरी दिन आवेदन करने से कई दिक्कतें आ जाती हैं. आईपीओ आवेदन के लिए UPI आईडी का भी इस्तेमाल किया जाता है. आखिरी दिन यूपीआई में तकनीकी दिक्कतें आ सकती हैं, और पेमेंट अटक सकता है. इसलिए दूसरे दिन अप्लाई करना सही रहता है.    
  
2. परिवार के अलग-अलग सदस्यों के नाम से करें अप्लाई
अगर आईपीओ ओवरसब्सक्राइब हो तो फिर एक पैन कार्ड से अधिक से अधिक लॉट अप्लाई से कोई फायदा नहीं मिलता है. ऐसे में आईपीओ का आवंटन लकी ड्रॉ के जरिये किया जाता है, रजिस्ट्रार इस प्रक्रिया की निगरानी करता है. इसलिए रिटेल निवेशक अपने परिजनों के नाम से अलग-अलग डीमैट अकाउंट से बोली लगाना चाहिए. ताकि किसी के नाम पर निकल जाए.

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जब आप कई अकाउंट से IPO अप्लाई करते हैं तो शेयर आवंटन की संभवानाएं बढ़ जाती हैं. आवेदन के लिए केवल डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है, जो एक बैंक या UPI से कनेक्ट होता है. इसलिए आप भी परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम से डीमैट अकाउंट खुलवाएं और फिर उनके नाम से अप्लाई करें. 

अलॉटमेंट की ये प्रक्रिया
ओवरसब्सक्रिप्शन की स्थिति में अलॉटमेंट खास तरीके से होता है. उदाहरण के लिए अगर M कंपनी का आईपीओ तीन गुना ओवरसब्सक्राइब हो गया. यानी जितने शेयर ऑफर किए गए थे, उसके तिगुने अप्लीकेशन मिल गए. आसान शब्दों में कहें तो एक शेयर के तीन दावेदार हो गए. ऐसे मामलों में आईपीओ का आवंटन कम्प्यूटरीकृत ड्रा के माध्यम से किया जाता है.

आपको आईपीओ अलॉटमेंट (IPO Allotment) की प्रक्रिया को बारीकी से समझाते हैं, जो कंपनी अच्छी होती है, उसका आईपीओ हमेशा ओवरसब्सक्राइब होता है, यानी आईपीओ में मौजूद शेयर से कई गुने ज्यादा निवेशकों के आवेदन मिल जाते हैं, फिर सबको शेयर अलॉट नहीं हो पाते. 

लेकिन अगर IPO में जितने शेयर ऑफर किए जाते, उतने ही आवेदन मिलने पर सभी निवेशकों को IPO में शेयर अलॉट हो जाते. जब आईपीओ ओवरसब्सक्राइब हो जाता है तो अलॉटमेंट थोड़ा जटिल हो जाता है. ऐसी स्थिति में अलॉटमेंट प्रक्रिया के लिए कुछ नियम हैं.

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आईपीओ ओवरसब्सक्राइब का सीधा मतलब है कि उपलब्ध शेयर्स के मुकाबले आवदेन ज्यादा मिलना. ऐसी स्थिति में जिन रिटेल निवेशकों को शेयर अलॉट किए जाते हैं. उनकी संख्या, अलॉटमेंट के लिए उपलब्ध इक्विटी शेयर्स की संख्या से विभाजित कर निकाली जाती है. यानी निवेशकों को अनुपातिक आधार पर ही शेयरों का आवंटन किया जाता है.

जिन रिटेल निवेशकों को आईपीओ में अलॉटमेंट मिलता है, उसे कम से कम एक लॉट जरूर मिलता है. इसलिए अलग-अलग नाम से अप्लाई करने का फायदा मिलता है.

क्या होता है आईपीओ?
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है तो उसे आईपीओ कहते हैं. आईपीओ के जरिए कंपनी फंड इकट्ठा करती है और उस फंड को कंपनी की तरक्की में खर्च करती है. बदले में आईपीओ खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है. IPO में जो शेयर अलॉट होते हैं, वो आमतौर पर BSE या NSE जैसे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं. जहां लोग इन शेयरों की आराम से खरीद बिक्री कर सकते हैं. 

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