भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. आर्थिक सुधार से जुड़े कदम लगातार उठाए जा रहे हैं, वो दिन दूर नहीं है, जब भारत एक विकसित राष्ट्र कहलाएगा. विकसित राष्ट्र बनाने में हर एक भारतीय का योगदान होगा. हर किसी को अपने स्तर पर देश को आगे बढ़ाने के लिए काम करना होगा.
इस बीच भारत की तरक्की को कई देश पचा नहीं पा रहे हैं, भारत को रोकने के लिए साजिशें रची जा रही हैं. लेकिन यह नए दौर का भारत है, आत्मनिर्भर भारत है. ऐसे में जब 140 करोड़ लोग मिलकर देश को संवारने का काम करेंगे, तो विदेशी ताकतें भी टिक नहीं पाएंगी. 22 सितंबर से देश GST रिफॉर्म लागू हो गया है, जो कि आर्थिक तौर पर एक बड़ा कदम है. दिनचर्या की 90 फीसदी से ज्यादा चीजें सस्ती होने वाली हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 सितंबर को देश को संबोधित करते हुए सभी से स्वदेशी अपनाने की अपील की है.
स्वदेशी के साथ चलें...
दरअसल, स्वदेशी उत्पादों को अपनाना केवल देशभक्ति का संकेत नहीं है, बल्कि यह हमारी स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का तरीका भी है. जब हम भारतीय उत्पाद खरीदते हैं, तो छोटे और बड़े व्यवसायों को मदद मिलती है, नौकरियों के अवसर बढ़ते हैं.
पीएम मोदी ने भी कहा कि जाने-अनजाने हमारे घर में कई चीजें ऐसी होती हैं जो विदेशी मूल की होती हैं. लेकिन अब उन्होंने देश से Made In India के साथ चलने का आह्वान किया है. घर में विदेशी सामान को पहचान कर उसे देशी विकल्पों से बदलना, स्थानीय दुकानों और कारीगरों का समर्थन करना, और खरीदारी करते समय सचेत रहना, ये छोटे‑छोटे कदम हमारे देश की आर्थिक और सांस्कृतिक मजबूती में बड़ा योगदान देते हैं.
भारत एक त्योहारों का देश है, हर महीने कोई-न-कोई त्योहार होता है. लोग त्योहार पर जमकर खरीदारी करते हैं, इस खरीदारी असर देश की इकोनॉमी पर भी होता है. हर त्योहार पर बाजार में स्वदेशी और विदेशी सामान होते हैं, अधिकतर लोग सस्ते के चक्कर में विदेशी सामान खरीद लेते हैं. हालांकि अधिकतर मोबाइल समेत इलेक्ट्रॉनिक्स सामान अभी भी भारत में Assemble होकर बिकता है, ऐसे प्रोडक्ट्स Made In India कैटेगरी में आते हैं.
लक्ष्मी-गणेश मूर्तियां
अभी सामने दिवाली है, आप यहीं से बदलाव की शुरुआत कर सकते हैं. धार्मिक भावनाओं से जुड़े होने के कारण मूर्तियों का चीनी आयात व्यापक विरोध का विषय रहा है. दावा किया जा रहा है कि मूर्तियों में चीनी हिस्सेदारी 70-80% से घटकर 10% रह गई. लेकिन अभी भी लक्ष्मी-गणेश की चाइनीज मूर्तियां खूब बिकती हैं, खरीददार आप-हम जैसे लोग ही हैं.
सजावटी झालरें (दिवाली/क्रिसमस)
दिवाली और बाकी त्याहारों पर चाइनीज झालरें खूब बिकती हैं, क्योंकि ये सस्ती होती हैं. लेकिन इसकी क्वालिटी बेहद खराब होती है. कैट ने 500+ चीनी सामानों की बहिष्कार सूची में इसे भी रखा है. एक अनुमान के मुताबिक साल 2024 में दिवाली पर सजावटी सामानों (जैसे LED झालरें, लाइट्स, और गिफ्ट आइटम्स) का चीन से आयात करीब 10,000-15,000 करोड़ रुपये का रहा था.
इसके अलावा होली पर चाइनीज पिचकारी और रंग से भारतीय पटा पड़ा रहता है, सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ रंगों में हानिकारक रसायनों का उपयोग चिंता का विषय है. स्वदेशी रंगों को बढ़ावा देने की मुहिम चल रही है. लेकिन सस्ते दामों के कारण चीनी पिचकारी अभी भी लोकप्रिय है.
अब करें क्या?
अब आप जब बाजार जाएं, या ऑनलाइन सामान खरीदें तो मिट्टी और क्ले के दीये, हस्तनिर्मित रंगोली पाउडर और स्थानीय कागज/कपड़े से बनी सजावट चुनें. फुलझड़ियां और पटाखों में भी Imported Crackers की जगह लोकल और इको-फ्रेंडली विकल्प चुनें. इसकी शुरुआत आप दिवाली से कर सकते हैं.
आप जब अपने घर के लिए LED बल्ब खरीदते हैं तो 30 सेकंड में पता करते कर सकते हैं कि कहीं वो विदेशी तो नहीं है. आप सीधे दुकानदार से इंडियन बल्ब मांग सकते हैं.
प्लास्टिक खिलौने
खिलौनों के आयात में चीन की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा है. खिलौने खरीदते समय ब्रांड जरूर पता करें. Generic Chinese brands का सामान खरीदने से बचें. सरकार ने स्वदेशी खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं.
मोबाइल फोन
स्मार्टफोन बाजार में अभी भी विदेशी कंपनियों का दबदबा है. आप किसी भी विदेशी ब्रांड का फोन खरीदें, लेकिन ये जरूर देखें कि वो 'मेड इन इंडिया' है या नहीं. इसी तरह से पावर बैंक, स्पीकर, हेडफोन खरीदते समय कहां बना है, देख सकते हैं.
इसके अलावा खेल का सामान (बैडमिंटन रैकेट, फुटबॉल) बडे़ पैमाने पर चीन से आयात होते हैं. 75% खेल सामान चीन से आयातित है. प्लास्टिक के घरेलू सामान (मग, कंटेनर) तक लोग चाइनीज खरीद रहे हैं. साथ ही महिलाएं आर्टिफिशियल ज्वेलरी खरीदते समय ध्यान रखें कि वो चाइनीज न हो.
इन चीजों को खरीदते समय ध्यान में रखें 'स्वदेशी'
खाद्य और पेय पदार्थ: कोल्ड ड्रिंक्स, चॉकलेट्स, पिज्जा सॉस, पेस्ट्री, इंस्टेंट नूडल्स और कुछ स्नैक्स.
कपड़े और फैशन आइटम: जूते, जॉकेट्स, डेनिम और ब्रांडेड कपड़े जो अधिकतर विदेशी होते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक्स: मोबाइल, लैपटॉप, टीवी, कैमरा और कुछ उपकरण जिनके पुर्जे विदेश से इम्पोर्ट होते हैं.
घरेलू सामान: प्लास्टिक, रसोई के उपकरण, फर्नीचर और किचन वेयर.
कॉस्मैटिक: शैम्पू, क्रीम, साबुन और मेकअप उत्पाद जो विदेशी ब्रांड के होते हैं.
आप चाहें तो इनमें से कई चीजों को घरेलू विकल्पों से आसानी से बदली जा सकती हैं. स्वदेशी अपनाते ही चीन-अमेरिका समेत वो देश सकते में आ जाएंगे, जिनके लिए भारत एक बड़ा बाजार है.
स्थानीय ब्रांड की कैसे करें पहचान?
मार्केट में कोई भी सामान खरीदते समय 'Made in India' की लेबलिंग देखें. बड़े मल्टीनेशनल रिटेल स्टोर के बजाय स्थानीय होलसेल और छोटे व्यवसाय से सामान खरीदें. आज कई वेबसाइट और ऐप्स हैं जो सिर्फ स्वदेशी उत्पाद बेचते हैं, जैसे FabIndia, IndiaMART या स्थानीय हाटबाजार प्लेटफॉर्म. हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित सामान अपनाएं. घरेलू कारीगरों का सामान खरीदने से न केवल स्थानीय उद्योग को मदद मिलती है, बल्कि गुणवत्ता भी अच्छी मिलती है. आप दुकानदार से सीधे मेड इन इंडिया सामान मांग सकते हैं.
अमित कुमार दुबे