'अपने दम पर पूरा करेंगे कोलंबो पोर्ट प्रोजेक्ट', Adani Ports ने अमेरिकी फंडिंग को किया मना

अडानी ग्रुप की इस कंपनी ने मंगलवार देर रात एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि कोलंबो प्रोजेक्ट अगले साल की शुरुआत में पूरा होने के लिए ट्रैक पर है और कंपनी अपनी कैपिटल मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी के अनुरूप खुद के संसाधनों से इस प्रोजेक्ट की फंडिंग करेगी. अडानी पोर्ट्स ने यह भी कहा कि उसने यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) से फंडिंग के लिए अपना 2023 का अनुरोध वापस ले लिया है. 

Advertisement
अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड ने कोलंबो पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए अमेरिकी फंडिंग का रिक्वेस्ट वापस लिया. (Photo: X/@AdaniPorts) अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड ने कोलंबो पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए अमेरिकी फंडिंग का रिक्वेस्ट वापस लिया. (Photo: X/@AdaniPorts)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:25 AM IST

​भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी 'अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड लिमिटेड' ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि वह श्रीलंका में कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल प्रोजेक्ट के लिए अमेरिकी फंडिंग पर नहीं निर्भर रहेगी और खुद के बलबूते इस प्रोजेक्ट को फंड करेगी. कंपनी का यह निर्णय अमेरिकी अभियोजकों द्वारा कथित रिश्वत मामले में अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी पर आरोप लगाए जाने  की पृष्ठभूमि में आया है.  

Advertisement

अडानी ग्रुप की इस कंपनी ने मंगलवार देर रात एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि कोलंबो प्रोजेक्ट अगले साल की शुरुआत में पूरा होने के लिए ट्रैक पर है और कंपनी अपनी कैपिटल मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी के अनुरूप खुद के संसाधनों से इस प्रोजेक्ट की फंडिंग करेगी. अडानी पोर्ट्स ने यह भी कहा कि उसने यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (DFC) से फंडिंग के लिए अपना 2023 का अनुरोध वापस ले लिया है. 

यूएस को करनी थी 553 मिलियन डॉलर की फंडिंग

डीएफसी ने पिछले साल नवंबर में, कोलंबो बंदरगाह पर 'कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल' के डेवलपमेंट, कंस्ट्रक्शन और ऑपरेशन के लिए 553 मिलियन अमेरिकी डॉलर का लोन देने पर सहमति व्यक्त की थी. इस टर्मिनल का विकास अडानी पोर्ट्स, श्रीलंकाई कंपनी जॉन कील्स होल्डिंग्स पीएलसी और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (SLPA) द्वारा किया जा रहा है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: एक और एक ग्यारह: अडानी Vs सोरोस पर संसद में सरकार-विपक्ष के बीच तनातनी

कोलंबो प्रोजेक्ट के लिए यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन की फंडिंग हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिकी सरकार के कदम का हिस्सा था. इसे विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए अडानी पोर्ट्स के एंडोर्समेंट के रूप में देखा गया था. हालांकि, लोन प्रोसेस तब रुक गया जब डीएफसी ने कहा कि अडानी और एसएलपीए के बीच समझौते को उनकी शर्तों के अनुरूप संशोधित किया जाए. बाद में श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल ने दोनों कंपनियों के बीच इस कॉन्ट्रैक्ट का रिव्यू भी किया था.

कोलंबो पोर्ट प्रोजेक्ट में अडानी की 51% हिस्सेदारी

प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि यह प्रोजेक्ट पूरा होने के करीब है और अडानी पोर्ट्स के पास इसकी 51 फीसदी हिस्सेदारी है. अडानी ग्रुप की इस कंपनी ने डीएफसी की फंडिंग के बिना प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का फैसला किया है. कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल प्रोजेक्ट सितंबर 2021 में शुरू हुआ था. अडानी पोर्ट्स ने इसके लिए श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी और जॉन कील्स होल्डिंग्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था, जिसके तहत 700 मिलियन अमरीकी डालर के निवेश से कोलंबो पोर्ट की क्षमताओं का विस्तार किया जाना तय हुआ था. 

Advertisement

2025 शुरुआत में पूरा होगा प्रोजेक्ट का फर्स्ट फेज

श्रीलंका भौगिलिक रूप से प्रमुख शिपिंग रूट्स पर स्थित है और महत्वपूर्ण इंटरनेशल मार्केट से नजदीक ​है.  बे ऑफ बंगाल के शिपिंग रूट पर पड़ने वाली उभरती अर्थव्यवस्थाएं कोलंबों पोर्ट पर बन रहे नए टर्मिनल का लाभ उठा सकती हैं. इस प्रोजेक्ट का पहला चरण 2025 के फर्स्ट क्वार्टर तक कर्मशियल एक्टिविटी के लिए चालू होने वाला है. यह टर्मिनल श्रीलंका का सबसे बड़ा और सबसे गहरा कंटेनर टर्मिनल होगा, जिसकी लंबाई 1,400 मीटर और गहराई 20 मीटर होगी. 

यह भी पढ़ें: सरकार नहीं चाहती है कि संसद चले, अडानी के मुद्दे पर प्रियंका गांधी का हमला

प्रोजेक्ट कम्लीट होने पर, टर्मिनल 24,000 टीईयू की क्षमता वाले अल्ट्रा लार्ज कंटेनर वेसल्स (ULCVs) को संभालने में सक्षम होगा और इसकी एनुअल हैंडलिंग क्षमता 32 लाख टीईयू (1 टीईयू = 24000 किलो)  से अधिक होने की उम्मीद है. कोलंबो बंदरगाह हिंद महासागर में सबसे बड़ा और व्यस्ततम ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है. 

अडानी ग्रुप ने US में लगे आरोपों को बताया था गलत

पिछले महीने अमेरिकी न्याय विभाग ने गौतम अडानी, उनके भतीजे समेत छह अन्य लोगों पर सोल एनर्जी सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देने की साजिश रचने का आरोप लगाया था. अमेरिका के आरोपों के मुताबिक इन कॉन्ट्रैक्ट के जरिए अडानी ग्रीन एनर्जी को 20 वर्षों में 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का मुनाफा होने की उम्मीद थी. हालांकि, अदानी ग्रुप ने सभी आरोपों को निराधार बताया था और हर संभव कानूनी रास्ता अपनाने की बात कही थी.

Advertisement

हाल ही में, डीएफसी ने कहा था कि वह अडानी और उनके ग्रुप के अधिकारियों के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की निगरानी कर रहा है. डीएफसी ने अब तक कोलंबो प्रोजेक्ट के लिए अडानी पोर्ट्स को कोई फंडिंग नहीं दी है. अडानी पोर्ट्स के पास 30 सितंबर तक, लगभग 1.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कैश रिजर्व था और कंपनी ने पिछले 12 महीनों में 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऑपरेटिंग प्रॉफिट अर्जित किया है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement