रियल एस्टेट टोकनाइजेशन क्या है? दुबई में कैसे 1.75 मिलियन दिरहम का विला 5 मिनट में बिका

टोकनाइजेशन के माध्यम से छोटी सी प्रॉपर्टी लेना आसान हो जाएगा. भारत में रियल सेक्टर काफी महंगा है, लोग बड़ी मुश्किल से जमीन खरीद पाते हैं और अगर उसे बेचने की जरूरत पड़ी तो और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है.

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कम पैसे में कैसे खरीदें प्रॉपर्टी? (Photo-Getty Image) कम पैसे में कैसे खरीदें प्रॉपर्टी? (Photo-Getty Image)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:20 AM IST

दुबई की एक रियल एस्टेट कंपनी प्राईपको ने एक विला को टोकनाइज्ड करके बेच दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस विला की कीमत 1.75 मिलियन दिरहम थी और इसे मात्र 5 मिनट से कम समय में बेच दिया गया. रियल एस्टेट टोकनाइजेशन एक क्रांतिकारी अवधारणा है, प्रॉपर्टी के स्वामित्व को छोटे-छोटे डिजिटल हिस्सों (टोकन) में विभाजित किया जाता है. प्रत्येक टोकन संपत्ति के मूल्य का एक हिस्सा दर्शाता है, जिसे डिजिटल मार्केटप्लेस पर आसानी से खरीदा या बेचा जा सकता है.  

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क्या है रियल एस्टेट टोकनाइजेशन ?

रियल एस्टेट टोकनाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी अचल संपत्ति (जमीन, मकान, विला, या कमर्शियल बिल्डिंग) को डिजिटल टोकन में बदला जाता है. ये टोकन ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है और संपत्ति के स्वामित्व के एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसका मतलब है कि एक महंगी संपत्ति को छोटे-छोटे हिस्सों (टोकन) में बांटा जा सकता है, जिससे आम निवेशक भी उसमें निवेश कर सकते हैं, बिना पूरी संपत्ति खरीदे. प्रत्येक टोकन संपत्ति के मूल्य का एक अंश दर्शाता है और इसे डिजिटल मार्केटप्लेस पर खरीदा-बेचा जा सकता है.

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टोकनाइजेशन का क्या फायदा है?

लिक्विडिटी बढ़ाना: टोकनाइजेशन से रियल एस्टेट निवेश में लिक्विडिटी बढ़ जाती है, यानी आप अपने निवेश को आसानी से और जल्दी बेच सकते हैं.
कम निवेश लागत: छोटे निवेशक भी महंगी संपत्तियों में हिस्सेदारी खरीद सकते हैं.
पारदर्शिता: ब्लॉकचेन तकनीक के कारण लेन-देन पारदर्शी और सुरक्षित होते हैं.
वैश्विक पहुंच: टोकन के माध्यम से दुनिया भर के निवेशक संपत्ति में निवेश कर सकते हैं.

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भारत में भी उठी मांग 

बता दें कि कुछ महीने पहले इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि ने एक आइडिया शेयर करते हुए कहा था कि देश के लाखों ऐसे भू स्वामी है जो अपने जमीन को बेच नहीं पाते हैं या गिरवी नही रख सकते हैं. ऐसे में अगर जमीन का टोकनाइजेशन कर दिया जाए तो उसकी कैपिटल वैल्यू को बढ़ाया जा सकता है. उनके मुताबिक भारतीयों की 50 फीसदी संपत्ति जमीन के रुप में है. जिसका इस्तेमाल भी नहीं होता है, लेकिन अगर इसे टोकन में बदल दिया जाए तो इसकी क्षमता को बढाया जा सकता है. टोकन बनाने से जमीन के पेपर डिजिटल हो जाएंगे फिर उसे शेयर या बॉन्ड की तरह बेचा जा सकता है. हालांकि उनके इस आइडिया का विरोध भी हुआ था.   

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घर बैठे बन सकते हैं प्रॉपर्टी के हिस्सेदार

एक्सपर्ट बताते हैं टोकनाइजेशन के माध्यम से छोटी सी प्रॉपर्टी लेना आसान हो जाएगा. भारत में रियल सेक्टर काफी महंगा है, लोग बड़ी मुश्किल से जमीन खरीद पाते हैं और अगर उसे बेचने की जरूरत पड़ी तो और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है. खासतौर पर अगर आप उस जगह पर नहीं रहते हैं, लेकिन टोकनाइजेशन से सबसे बड़ा फायदा ये है कि अगर आप दिल्ली में रहते हैं और बेंगलुरु में एयरपोर्ट के आसपास जमीन बिक रहा है, जिसकी कीमत भविष्य में बढ़ने की उम्मीद है. अगर आपको आज की डेट में निवेश करना है तो कम से कम 70-80 लाख का निवेश करना होगा, जो हर इंसान के लिए मुश्किल है, लेकिन अगर जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा लेना हो तो ये आसान हो सकता है. इससे आपको वहां जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी और घर बैठे आप उस प्रॉपर्टी के हिस्सेदार बन जाएंगे.

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रियल एस्टेट टोकनाइजेशन संपत्ति निवेश को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह तकनीक न केवल निवेश को सुलभ और लचीला बनाती है, बल्कि रियल एस्टेट बाजार को अधिक पारदर्शी और वैश्विक भी बनाती है.

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