NCR में ऑफिस का किराया आसमान पर, आखिर क्यों बढ़ रहे हैं कमर्शियल प्रॉपर्टी के दाम

एनसीआर में घर के दाम और किराया तो तेजी से बढ़े ही हैं साथ ही ऑफिस का किराया और कमर्शियल स्पेस के रेट भी बढ़ रहे हैं और आने वाले समय में इनके दामों में और तेजी आने की उम्मीद है.

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NCR में रिकॉर्ड तोड़ रहे कमर्शियल रियल एस्टेट के दाम (Photo-ITG) NCR में रिकॉर्ड तोड़ रहे कमर्शियल रियल एस्टेट के दाम (Photo-ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

NCR भारत के सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाले रियल एस्टेट बाजारों में से एक बन गया है. लगातार बन रहे एक्सप्रेसवे, मेट्रो लाइन और नोएडा में जल्द शुरू होने वाले एयरपोर्ट जैसे बड़े बुनियादी ढांचे के विकास की वजह से NCR में न केवल आवाजाही आसान हो रही है, बल्कि तमाम रोजगार के विकल्प भी खुल रहे हैं. विकास की वजह से लोगों के रहने, काम करने और निवेश करने के तरीके भी बदल रहे हैं. अब कमर्शियल कॉरिडोर और लॉजिस्टिक्स हब जैसे इलाकों की मांग में भी भारी तेजी देखी जा रही है.

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शहरीकरण का यह ट्रेंड इस क्षेत्र में लगातार जारी है. विकास का पैटर्न अब दिल्ली के मुख्य हिस्सों से हटकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद जैसे नए शहरों की ओर शिफ्ट हो चुका है. 

कनेक्टिविटी विकास को कैसे गति दे रही है?

NCR में तेज़ी से नए एक्सप्रेसवे और सामान ढोने के लिए खास रास्ते बने हैं, तब से यह इलाका लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग का बहुत बड़ा अड्डा बन गया है. जो कंपनियां इन सड़कों के किनारे अपनी बड़ी-बड़ी सुविधाएं लगाती हैं, उनका सामान लाना और ले जाना बहुत आसान हो जाता है, इससे समय की बचत होती है और काम जल्दी होता है. यही वजह है कि जो जगहें पहले खाली पड़ी रहती थीं, वे अब बिजनेस का एक्टिव ज़ोन बन गई हैं. यहां अब कारखाने, रिटेल की दुकानें और ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनियां आ रही हैं.

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अब कोई भी इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाया जाता है, तो उसके बीच में सड़क और यातायात सबसे जरूरी होता है, ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि रोजगार बढ़े, इलाके की कमाई बढ़े और लंबी अवधि के लिए एक मजबूत आर्थिक विकास की नींव रखी जा सके.

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ऑफिस और रिटेल स्पेस की मांग

बेहतर कनेक्टिविटी ने NCR में काम करने की जगह का नक्शा ही बदल दिया है. मेट्रो और RRTS (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) के विस्तार से अब व्यावसायिक क्षेत्रों का दायरा बढ़ गया है. अब कनॉट प्लेस या साइबर सिटी जैसे पुराने और मुख्य व्यावसायिक क्षेत्रों से दूर भी नए शहरी केंद्र बन रहे हैं. इन नए गलियारों में मॉडर्न ऑफिस, को-वर्किंग स्पेस और रिटेल दुकानों की मांग बढ़ गई है. स्टार्टअप्स और बड़ी कंपनियां यहां आसानी और कम खर्च को देखते हुए आ रही हैं. इस तरह, ऐसे आत्मनिर्भर छोटे बाज़ार  बन गए हैं, जहां व्यापार करने की सुविधा के साथ-साथ रहने की अच्छी व्यवस्था भी मिल जाती है.

नए गलियारों में वैल्यू का बढ़ना

बुनियादी ढांचे का विकास अब सीधे तौर पर प्रॉपर्टी की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण बन रहा है. नए एक्सप्रेसवे, मेट्रो लाइन और आने वाले अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के पास की जमीन और प्रॉपर्टी की कीमतों में लगातार वृद्धि देखी गई है.  वाणिज्यिक और आवासीय परियोजनाओं के एक साथ विकास ने मांग को बढ़ाया है, जिसके चलते पिछले कुछ सालों में कई गलियारों में दोहरे अंकों में कीमतों में उछाल दर्ज किया गया है. यह रियल एस्टेट में लंबी अवधि की स्थिरता का संकेत है.

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मेट्रो लाइनों के विस्तार और नए सड़क नेटवर्कों ने NCR के अलग-अलग हिस्सों के बीच कनेक्टिविटी के पुराने अंतर को पाट दिया है. इससे निवासियों को यह सुविधा मिल गई है कि वे अब मुख्य व्यावसायिक क्षेत्रों से दूर भी रह सकते हैं, और पहुंच पर कोई समझौता नहीं करना पड़ेगा. भविष्य में, ऐसे मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट हब आने की उम्मीद है जो मेट्रो, सड़क और रेल यात्रा को एक साथ जोड़ देंगे, जिससे यात्रा का समय और भी कम हो जाएगा. ऐसी पहलें न केवल शहरी आवाजाही को बढ़ाती हैं, बल्कि शहर के रहने Liveability Index को भी बेहतर बनाती हैं. इसी वजह से NCR कारोबारी और परिवारों दोनों के लिए एक आकर्षक लोकेशन बन रहा है.

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बढ़ा निवेश और प्रीमियम प्रोजेक्ट्स

बेहतर बुनियादी ढांचे ने संस्थागत निवेशकों और पैसे वालों दोनों के बीच समान रूप से गहरी रुचि पैदा की है. बेहतर कनेक्टिविटी के कारण, डेवलपर्स अब एक्सप्रेसवे गलियारों और मेट्रो से जुड़े ज़ोन के पास प्रीमियम और मिश्रित-उपयोग वाले प्रोजेक्ट्स ला रहे हैं. यह चलन ग्रेड-ए ऑफिस, रिटेल हब और अच्छी गुणवत्ता वाले आवासों की मांग से मेल खाता है, क्योंकि ये सभी मेजर ट्रांजिट रूट्स के पास स्थित होते हैं.
 

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NCR के उप-बाजारों में, ग्रेटर नोएडा इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे बुनियादी ढांचा किसी शहरी क्षेत्र को बना या फिर से नया स्वरूप दे सकता है. यमुना एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से जुड़ने के बाद, यह शहर एक उच्च-क्षमता वाला वाणिज्यिक और आवासीय डेस्टिनेशन बनकर उभरा है. 

जेवर एयरपोर्ट से बदल जाएगा ग्रेटर नोएडा का भविष्य

ऊपर बताए गए एक्सप्रेसवे न केवल यात्रा का समय कम करते हैं, बल्कि उद्योगों, शिक्षण संस्थानों और टेक्नोलॉजी पार्कों को भी सुविधा देते हैं, जिससे यह क्षेत्र आत्मनिर्भर बन रहा है. जेवर में बनने वाला एयरपोर्ट इस जगह के लिए गेम-चेंजर साबित होगा. इससे व्यापार बढ़ने की उम्मीद है, जिससे पर्यटन और लॉजिस्टिक्स की दक्षता बढ़ेगी और ग्रेटर नोएडा ग्लोबल बिजनेस हब बन जाएगा.

हवाई अड्डे की मौजूदगी अभी से ही जमीन की कीमतें तय कर रही है और हॉस्पिटैलिटी, वेयरहाउसिंग और रिटेल क्षेत्रों में नया निवेश आकर्षित कर रही है, जिससे इस शहर की लंबी अवधि की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है. मेट्रो कनेक्टिविटी इस विकास गाथा को और भी मजबूत करती है. नोएडा मेट्रो की एक्वा लाइन हर दिन हजारों यात्रियों को तेज और भरोसेमंद आवाजाही प्रदान करके नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच यात्रा के अंतर को पाट चुकी है.

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नॉलेज पार्क, बोराकी और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों तक मेट्रो के प्रस्तावित विस्तार से यह जुड़ाव और मजबूत होगा, जिससे आवासीय क्षेत्रों, औद्योगिक क्षेत्रों और भविष्य के वाणिज्यिक केंद्रों के बीच यात्रा सुगम होगी. क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर किए गए प्रयासों ने NCR क्षेत्र के लिए बुनियादी ढांचे के नेतृत्व वाले इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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NCR को ग्लोबल हब बनाने की तैयारी

शहरी नियोजन एजेंसियों (Urban planning agencies) ने एक तालमेल वाली प्लानिंग अपनाई है, जो परिवहन योजना को रियल एस्टेट और औद्योगिक विकास के साथ जोड़ता है. मेट्रो विस्तार, औद्योगिक गलियारे और सड़कों का अपग्रेडेशन जैसी पहलों को रणनीतिक रूप से लागू किया गया है, ताकि इस क्षेत्र की बाज़ार में टिके रहने की क्षमता को बढ़ाया जा सके और इसे घरेलू और विदेशी निवेश के लिए अधिक आकर्षक बनाया जा सके.

कनेक्टिविटी सिर्फ आवाजाही को आसान बनाने के बारे में नहीं है, बल्कि यह NCR के शहरी और आर्थिक विकास की रूपरेखा तैयार कर रही है, हर नया एक्सप्रेसवे, हर नई मेट्रो लाइन, और हवाई अड्डे का हर विस्तार एनसीआर की क्षमता को एक बिजनेस हब और एक जीवंत रियल एस्टेट डेस्टिनेशन के रूप में मजबूत करता है.

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(रिपोर्ट- वीरेन मेहता)

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