भारत के रियल एस्टेट बाजार में पिछले कुछ वक्त से बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. जहां पहले लोग टियर 1 शहरों में अपार्टमेंट में घर लेना पसंद कर रहे थे, वहीं अब लोगों का फोकस छोटे शहरों में प्लॉट में निवेश करने पर ज्यादा नजर आ रहा है. अब टियर-2 शहरों में प्लॉटेड डेवलपमेंट तेजी से बढ़ रहा है. यह प्रवृत्ति न केवल निवेशकों को आकर्षित कर रही है, बल्कि घर खरीदारों की प्राथमिकताओं में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है. टियर-2 शहरों में प्लॉटेड डेवलपमेंट की बढ़ती लोकप्रियता के पीछे कई वजह मानी जा रही है.
मैजिकब्रिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार निवेश करने वाले लोग प्लॉट खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्लॉट की कीमत बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है और उनसे लंबे समय में अच्छा रिटर्न मिल सकता है. मैजिकब्रिक्स ने कुछ महीने पहले 2,200 घर खरीदारों पर एक सर्वे किया था. इस सर्वे के मुताबिक, 58% लोगों ने प्लॉट में निवेश करना पसंद किया. इसके बाद 17.1% लोगों ने कमर्शियल स्पेस को चुना.
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टियर-1 शहरों की तुलना में, टियर-2 शहरों में जमीन की कीमतें अब भी काफी कम हैं. यह कम कीमत एक बड़े वर्ग के लिए जमीन खरीदना आसान बनाती है. इसके अलावा, जमीन की कीमत में वृद्धि की संभावना अपार्टमेंट की तुलना में कहीं अधिक होती है, जिससे यह एक आकर्षक निवेश विकल्प बन जाता है.
अपार्टमेंट में फ्लैट लेने पर लोगों को अपने मन के मुताबिक घर का इंटीरियर कराने की सुविधा नहीं होती वहीं प्लॉट खरीदने वाले लोगों को अपने घर को अपनी पसंद और जरूरतों के अनुसार डिजाइन करने और बनाने की पूरी आजादी रहती है. लोग अपने लाइफस्टाइल हिसाब से घर को बना सकते हैं. यह विकल्प उन लोगों को बहुत आकर्षित करता है जो भीड़-भाड़ वाले अपार्टमेंट जीवन के बजाय एक स्वतंत्र और खुली जगह चाहते हैं.
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टियर-2 शहरों में बुनियादी ढांचा तेजी से सुधर रहा है. बेहतर सड़कें, मेट्रो कनेक्टिविटी और अन्य नागरिक सुविधाएं इन शहरों को रहने के लिए अधिक सुविधाजनक बना रही हैं. दिल्ली-एनसीआर के पास के शहर, जैसे सोनीपत और भिवाड़ी, इस तरह के विकास का सबसे अच्छा उदाहरण हैं, जहां बेहतर कनेक्टिविटी ने प्लॉट की मांग को बढ़ा दिया है.
भारत के छोटे शहरों में मध्यमवर्गीय आबादी की आय में वृद्धि हुई है. इसके साथ ही, महामारी के बाद लोग एक बेहतर और शांत जीवनशैली की तलाश में हैं. टियर-2 शहर कम प्रदूषण, कम भीड़ और एक बेहतर सामुदायिक माहौल देते हैं, जो लोगों को आकर्षित करता है. इसके अलावा, वर्क-फ्रॉम-होम कल्चर ने भी लोगों को इन शहरों में स्थायी निवास बनाने के लिए प्रेरित किया है.
बड़े रियल एस्टेट डेवलपर्स भी अब इन उभरते बाजारों में निवेश कर रहे हैं. प्लॉटेड डेवलपमेंट में अपार्टमेंट की तुलना में शुरुआती लागत कम होती है और नकदी प्रवाह तेजी से होता है, जिससे यह डेवलपर्स के लिए भी एक आकर्षक मॉडल बन गया है.
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पारंपरिक अपार्टमेंट और प्लॉटेड डेवलपमेंट के बीच का चुनाव व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर करता है., हालांकि, प्लॉटेड डेवलपमेंट के कई फायदे हैं जो इसे खास बनाते हैं
प्लॉट खरीदने पर व्यक्ति उस जमीन का एकमात्र मालिक बन जाता है. अपार्टमेंट में मासिक मेंटनेंस चार्ज देना पड़ता है, जबकि प्लॉट पर यह लागत बहुत कम होती है. जमीन की कीमत समय के साथ बढ़ती है, जिससे यह एक मजबूत निवेश बन जाता है. आप अपनी सुविधा के अनुसार निर्माण कार्य शुरू कर सकते हैं और उसे अपनी पसंद से पूरा कर सकते हैं.
यह सब मिलकर टियर-2 शहरों को रियल एस्टेट के लिए एक नया केंद्र बना रहे हैं, जहां प्लॉटेड डेवलपमेंट की मांग लगातार बढ़ रही है और लोगों को एक बेहतर, स्वतंत्र और अनुकूलित जीवनशैली का अवसर मिल रहा है.
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