पीएम मोदी ने रविवार को 11 हजार करोड़ रुपये की लागत से बने द्वारका एक्सप्रेस वे के दिल्ली स्ट्रेच और अर्बन एक्सटेंशन रोड (UER-2) का उद्घाटन किया. दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या के कारण ट्रैफिक जाम और प्रदूषण जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं.
दिल्ली-एनसीआर का चेहरा बदलने और यहां के ट्रैफिक को सुगम बनाने की दिशा में अर्बन एक्सटेंशन रोड-2 (UER-2) एक महत्वपूर्ण कदम है. यह सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो इस पूरे क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट और लाइफस्टाइल को नया आकार दे रहा है.
इस परियोजना का मकसद दिल्ली के लिए एक तीसरी रिंग रोड बनाना है, जिससे ट्रैफिक कम होगा, इससे रियल एस्टेट, बुनियादी ढांचे और जीवनशैली में बड़ा बदलाव आएगा.
UER-II दिल्ली के मास्टर प्लान 2021 का एक अहम हिस्सा है, जिसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी के लिए तीसरी रिंग रोड बनाना है. इसका लक्ष्य ट्रैफिक की भीड़ को कम करना, कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना और एनसीआर के विकास को गति देना है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के संयुक्त प्रयासों से शुरू किया गया यह प्रोजेक्ट, 142 किलोमीटर लंबा एक रिंग रोड है, जो दिल्ली को उत्तर प्रदेश और हरियाणा से जोड़ता है. 2018 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट, लगभग ₹3600 करोड़ की लागत से बनाया गया है.
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यूईआर-2 का सबसे बड़ा असर रियल एस्टेट सेक्टर पर दिख रहा है. यह सड़क वेस्ट दिल्ली, आउटर दिल्ली, द्वारका, गुड़गांव और नोएडा जैसे क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ा रही है, जिससे इन इलाकों में प्रॉपर्टी की मांग और कीमतों में उछाल आने की उम्मीद है.
द्वारका, नजफगढ़, द्वारका एक्सप्रेसवे से सटे सेक्टरों को इस कनेक्टिविटी का सीधा लाभ मिल रहा है, दिल्ली से इन इलाकों में आवागमन सुगम होने से प्रॉपर्टी के दाम बढ़ सकते हैं. वहीं रोहिणी, पीतमपुरा और आउटर रिंग रोड के आसपास के क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी बेहतर होने से आवासीय और व्यावसायिक प्रॉपर्टी की मांग बढ़ रही है.
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यह एक्सप्रेसवे एनएच-48 पर ट्रैफिक का बोझ कम करेगा और द्वारका एक्सप्रेसवे के साथ बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, इसके अलावा, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से जुड़ने के कारण नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के रियल एस्टेट बाजार में भी हलचल देखी जा रही है.
दिल्ली में रोजाना चलने वाले 1.2 करोड़ वाहनों के कारण ट्रैफिक जाम एक गंभीर समस्या है. रिंग रोड और आउटर रिंग रोड पर पीक आवर्स में वाहनों की गति 10-15 किमी/घंटा तक रह जाती है. यूईआर-2 इस समस्या का एक बड़ा समाधान है. इस सड़क के खुलने से नोएडा से आईजीआई हवाई अड्डे तक का सफर 20-25 मिनट में पूरा किया जा सकेगा, जिसमें पहले डेढ़ से दो घंटे लगते थे. भारी वाहनों को शहर के अंदर से जाने की जरूरत नहीं होगी, जिससे वायु प्रदूषण और भीड़भाड़ दोनों में कमी आएगी.
इस प्रोजेक्ट की एक खास बात यह है कि इसे बनाने में दिल्ली के कूड़े के पहाड़ों से लाखों टन कचरा इस्तेमाल किया गया है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिली है.
रियल एस्टेट के जानकारों का मानना है कि यूईआर-2 के खुलने से निवेश के लिए नए अवसर पैदा हुए हैं. द्वारका एक्सप्रेसवे और उसके आसपास के इलाके, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और यूईआर-2 के जंक्शन पर मौजूद क्षेत्र अगले कुछ सालों में एक बड़ा उछाल देख सकते हैं, वाणिज्यिक हब, लॉजिस्टिक पार्क, वेयरहाउस और आईटी कंपनियों के लिए यह एक नई सिलिकॉन वैली बन सकता है.
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