अमेरिका के रियल एस्टेट सेक्टर में पिछले कुछ सालों से हलचल जारी है. बढ़ती महंगाई और उच्च ब्याज दरें खरीदारों के लिए घर खरीदना मुश्किल बना रही हैं, जबकि मांग और आपूर्ति का असंतुलन कीमतों को लगातार बढ़ा रहा है. इन चुनौतियों के बीच, आयातित सामानों पर लगाए गए टैरिफ एक और बड़ी समस्या बनकर उभरे हैं.
जब अमेरिका स्टील, लकड़ी, और अन्य निर्माण सामग्री जैसे आयातित सामानों पर टैरिफ लगाता है, तो इनकी लागत सीधे बढ़ जाती है. यह बढ़ा हुआ खर्च घर बनाने की लागत में जुड़ जाता है. नतीजतन, नए मकानों की कीमतें बढ़ रही हैं, जिसका बोझ आखिरकार अमेरिकी उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है. इस तरह, टैरिफ ने रियल एस्टेट सेक्टर में महंगाई की आग में घी डालने का काम किया है, जिससे घर खरीदना और भी महंगा हो गया है.
पिछले कुछ सालों में, अमेरिकी रियल एस्टेट मार्केट में सबसे बड़ी चुनौती मांग और आपूर्ति के बीच का असंतुलन रही है. एक ओर, घर खरीदने की इच्छा रखने वाले लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है, वहीं दूसरी ओर, बाज़ार में उपलब्ध मकानों की संख्या सीमित बनी हुई है.
इसका मुख्य कारण महामारी के बाद से निर्माण गतिविधियों में आई कमी और मौजूदा घर मालिकों का कम ब्याज दरों वाले पुराने मॉर्गेज लोन से बंधे रहना है. वे अपने घरों को बेचने में हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि नए घर खरीदने पर उन्हें बहुत अधिक ब्याज दर पर लोन लेना पड़ेगा. इस वजह से, घरों की कीमतें ऐतिहासिक रूप से ऊंचे स्तर पर पहुंच गई हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 सालों में घरों की औसत कीमतों में करीब 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, 2023 और 2024 की शुरुआत में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण बिक्री की गति थोड़ी धीमी हुई है, लेकिन घरों की कीमतें अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, जो इसे ख़रीदारों के लिए और भी मुश्किल बना रहा है.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए की गई लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सीधा असर होम लोन की दरों पर पड़ा है. 2022 की शुरुआत में, 30-साल के फिक्स्ड मॉर्गेज की दर 3-4% के आसपास थी, जो अब बढ़कर य 6.9 तक पहुंच गई है. इस बढ़ोतरी ने घर खरीदने की सामर्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है.
उच्च ब्याज दरें संभावित खरीदारों को बाज़ार से दूर कर रही हैं, एक ही घर के लिए, अब उन्हें हर महीने अधिक ईएमआई (EMI) चुकानी पड़ती है. इससे लाखों लोग, खासकर पहली बार घर खरीदने वाले अपने सपनों का घर खरीदने में असमर्थ हो गए हैं. इसका असर सिर्फ़ आवासीय बाज़ार पर ही नहीं, बल्कि कमर्शियल रियल एस्टेट पर भी पड़ा है. ऑफिस, खुदरा दुकानों और गोदामों के लिए भी उच्च ब्याज दरों के कारण निवेश कम हो रहा है, हालांकि कुछ क्षेत्रों, जैसे डेटा सेंटर और लॉजिस्टिक्स, में अभी भी मजबूत मांग बनी हुई है.
अमेरिकी रियल एस्टेट बाज़ार को कई दीर्घकालिक कारक भी प्रभावित कर रहे हैं. मिलेनियल्स और ज़ूमर्स अब बाज़ार में सबसे बड़े खरीदारों के रूप में उभर रहे हैं. उनकी पसंद और प्राथमिकताएं. पुराने खरीदारों से अलग हैं. वे सिर्फ घर नहीं, बल्कि एक जीवनशैली की तलाश में हैं, जो उन्हें शहरी क्षेत्रों के पास या उपनगरीय इलाक़ों में मिल सके. कोविड-19 महामारी के बाद रिमोट वर्क संस्कृति में हुई बढ़ोतरी ने रियल एस्टेट बाज़ार के भूगोल को बदल दिया है. अब लोग महानगरों के महंगे केंद्रों में रहने के बजाय, शांत और कम भीड़-भाड़ वाले उपनगरीय या ग्रामीण इलाकों में घर खरीदना पसंद कर रहे हैं, जहां उन्हें अधिक जगह और बेहतर जीवनशैली मिल सके.
रियल एस्टेट निवेशकों का रुझान भी बदल रहा है. अब वे सिर्फ शहरों में ही नहीं, बल्कि उन क्षेत्रों में भी निवेश कर रहे हैं, जहां भविष्य में विकास की संभावनाएं हैं. छोटे शहरों में भी नए-नए आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं, जो पूरे देश में रियल एस्टेट बाज़ार को गति दे रहे हैं.
लंबे समय से चली आ रही आवास की कमी को दूर करने के लिए नए निर्माण में तेजी आने की उम्मीद है. सरकार और निजी डेवलपर्स, दोनों ही इस दिशा में काम कर रहे हैं. हालांकि, निर्माण लागत और श्रम की कमी अभी भी बड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं. कमर्शियल रियल एस्टेट के कुछ क्षेत्रों, जैसे कार्यालयों में अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है, क्योंकि कई कंपनियां हाइब्रिड मॉडल को अपना रही हैं, इसके अलावा, महंगाई, आर्थिक मंदी का जोखिम और भू-राजनीतिक तनाव भी बाज़ार को प्रभावित कर सकते हैं.
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