भारत सरकार की 'भारतमाला परियोजना' के तहत देश के अलग-अलग राज्यों में ऐसी हाई-टेक एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो रहे हैं, जो न केवल शहरों को जोड़ेंगे बल्कि तरक्की के बंद दरवाजे भी खोल देंगे. जो सफर आज घंटों में तय होता है, 2026 के बाद वह मिनटों में सिमट जाएगा. कई रूट पर यात्रा का समय घटकर आधा या उससे भी कम होने वाला है.
ये एक्सप्रेसवे सिर्फ बड़े महानगरों को नहीं जोड़ रहे, बल्कि उत्तर प्रदेश, गुजरात और दक्षिण भारत के उन छोटे जिलों से होकर गुजरेंगे, जिन्हें अब तक 'पिछड़ा' माना जाता था. इन रास्तों के किनारे नए कारखाने, वेयरहाउस और उद्योग लगेंगे, जिससे वहां रहने वाले लोगों को अपने घर के पास ही रोजगार मिलेगा.
चाहे उत्तर भारत को दक्षिण से जोड़ना हो या औद्योगिक केंद्रों को बंदरगाहों से, ये एक्सप्रेसवे अलग-अलग राज्यों के बीच व्यापार और पर्यटन को कई गुना तेज कर देंगे. कुल मिलाकर, 2026 में जब ये एक्सप्रेसवे पूरी तरह शुरू होंगे, तो यह सिर्फ सड़क निर्माण नहीं बल्कि आम आदमी की जेब और देश की रफ्तार, दोनों के लिए 'गेम-चेंजर' साबित होगा.
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गंगा एक्सप्रेसवे (Ganga Expressway)
उत्तर प्रदेश का यह ड्रीम प्रोजेक्ट 2026 की शुरुआत में पूरी तरह चालू होने की उम्मीद है. यह 594 किमी लंबा एक्सप्रेसवे मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा, वर्तमान में मेरठ से प्रयागराज जाने में करीब 12-13 घंटे लगते हैं, जो इस एक्सप्रेसवे के बनने के बाद घटकर मात्र 6-7 घंटे रह जाएंगे. यह एक्सप्रेसवे हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और प्रतापगढ़ जैसे जिलों से होकर गुजरेगा. इन क्षेत्रों में नए औद्योगिक क्लस्टर और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स लगने की प्रबल संभावना है.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway)
दुनिया के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे में से एक, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का बड़ा हिस्सा पहले ही खुल चुका है, लेकिन 2026 तक इसके अंतिम महत्वपूर्ण खंड जैसे दिल्ली का DND-जैतपुर स्ट्रेच और गुजरात के कुछ हिस्सों के पूरा होने की उम्मीद है.
1,350 किमी लंबा यह मार्ग दिल्ली और मुंबई के बीच की दूरी को 12 घंटे में समेट देगा. यह एक्सप्रेसवे हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों को सीधे देश की दो बड़ी राजधानियों से जोड़ेगा, जिससे लॉजिस्टिक्स हब और वेयरहाउसिंग को बढ़ावा मिलेगा.
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बेगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे (Bengaluru-Chennai Expressway)
चेन्नई-बेंगलुरु एक्सप्रेसवे दक्षिण भारत के दो बड़े शहरों को आपस में जोड़ने वाला एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है. यह एक्सप्रेसवे दक्षिण भारत के तीन राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से होकर गुजरेगा, वर्तमान 6-7 घंटे के सफर को कम करके यह मात्र 2.5 से 3 घंटे कर देगा, यह एक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे है, यानी यह बिल्कुल नए रूट पर बना है.
इस एक्सप्रेसवे के बनने से बेंगलुरु और चेन्नई के बीच लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा. फिलहाल एक शहर से दूसरे शहर पहुंचने में 5 से 6 घंटे का वक्त लगता है, वहीं इस एक्सप्रेसवे के पूरी तरह तैयार हो जाने के बाद यह सफर घटकर मात्र 2 घंटे 15 मिनट का रह जाएगा. यानी यात्रियों के कीमती समय की बड़ी बचत होगी और दोनों शहरों के बीच आना-जाना बेहद तेज और आसान हो जाएगा. इस प्रोजेक्ट से होसुर, मालुर और श्रीपेरंबुदूर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों को इससे सीधा लाभ मिलेगा, जिससे ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण की लागत कम होगी.
दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे (Delhi-Amritsar-Katra Expressway)
धार्मिक पर्यटन और सामरिक दृष्टिकोण से यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे है, 670 किमी लंबा यह मार्ग 2026 में पूरी तरह चालू होने के लिए तैयार है. दिल्ली से कटरा की दूरी 14 घंटे से घटकर 6-7 घंटे रह जाएगी, अमृतसर के लिए यात्रा का समय मात्र 4 घंटे होगा. इस एक्सप्रेसवे से अमृतसर, लुधियाना, जालंधर और जम्मू के पर्यटन उद्योग में भारी उछाल आएगा, साथ ही, पंजाब के कृषि उत्पादों के लिए दिल्ली का बाज़ार और करीब हो जाएगा.
अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे (Ahmedabad-Dholera Expressway)
अहमदाबाद के सरदार पटेल रिंग रोड को भावनगर के पास अधेलाई गांव से जोड़ने वाला 108 किलोमीटर लंबा अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे अब लगभग तैयार है. इसका 98 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद अहमदाबाद और धोलेरा के बीच का सफर मात्र 40 से 45 मिनट में पूरा हो जाएगा.
इससे उभरते हुए 'धोलेरा स्मार्ट सिटी' तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा. धोलेरा (SIR), जो कि भारत का पहला 'ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी' है, अब बड़े निवेश का केंद्र बन चुका है. यहां टाटा ग्रुप का 91,000 करोड़ रुपये की लागत वाला विशाल सेमीकंडक्टर प्लांट भी बन रहा है, जिसे इस एक्सप्रेसवे से बहुत मजबूती मिलेगी. धोलेरा में बन रहे नए हवाई अड्डे और औद्योगिक गलियारे को इस एक्सप्रेसवे से संजीवनी मिलेगी, यह क्षेत्र भारत का 'सेमीकंडक्टर हब' बनने की राह पर है.
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