पिछले दिनों गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) काउंसिल की बैठक हुई थी. जिसमें जीएसटी की दरों को लेकर कोई भी फैसला नहीं लिया गया था. लेकिन सूत्रों की मानें तो सरकार हर हाल में जीएसटी कलेक्शन को बढ़ाना चाहती है. इसके लिए फिलहाल जीएसटी दरों में बढ़ोतरी ही एक मात्र रास्ता है.
दरअसल, केंद्र सरकार जल्द ही गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) की दरों में बड़े बदलाव कर सकती है. ये बदलाव चार स्लैब के बदले दो स्लैब हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक GST कमेटी ने टैक्स की दो दरें रखने का प्रस्ताव दिया है. इसके अलावा कई प्रोडक्ट्स पर दरें बढ़ाने की सिफारिश भी की गई है.
GST दरें बढ़ाने पर बनी कमेटी की कई अहम सिफारिशें की हैं. कमेटी की इन सिफारिशों पर विचार किया जा सकता है. हालांकि अभी तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है.
कमेटी के मुताबिक 10 फीसदी और 20 फीसदी के दो जीएसटी स्लैब होने चाहिए. SIN और लग्जरी गुड्स पर स्पेशल हाई रेट लगाए जाएं. वहीं कॉस्मैटिक्स, गैंबलिंग जैसे आइटम्स पर सेस लगाया जाए. साथ ही सेस की मौजूदा दरों में बढ़ोतरी की जाए. महंगाई दर से सेस की दरों को जोड़ दिया जाए. इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए कंपोजिशन रेट बढ़ाया जाए. कंपोजिशन स्कीम के तहत आने वाले कारोबार की समीक्षा की जाए.
इसके अलावा जीएसटी काउंसिल को सुझाव में कहा गया है कि कुछ GST मुक्त प्रोडक्ट्स पर GST लगाना चाहिए. वहीं हेल्थ, एजुकेशन की चुनिंदा सेवाओं जीएसटी की दरें बढ़ाई जाएं. जबकि सोना और चांदी पर GST की दरें 3 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी कर देना चाहिए. कमेटी की सिफारिश के मुताबिक मोबाइल पर GST की दरें 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी किया जाए.
वहीं कुछ जीएसटी स्टेकहोल्डर्स की ओर सुझाव है कि कुछ 5 फीसदी वाले आइटम को 12 फीसदी स्लैब में कर देना चाहिए. जबकि कुछ 12 फीसदी वाले आइटम पर 18 फीसदी जीएसटी वसूला जाना चाहिए.
इसके अलावा सुझाव दिया गया है कि पिछले दिनों 28 फीसदी से घटकर 18 फीसदी में आने वाले कुछ प्रोडक्ट्स पर वापस 28 फीसदी जीएसटी लगाया जाए. इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को ठीक करते हुए 23 आइटम पर ड्यूटी की दरें बढ़ाई जानी चाहिए. फर्टिलाइजर, फुटवियर, ट्रैक्टर, फैब्रिक, फॉर्मा पर ड्यूटी में इजाफा किया जाए. इनवर्टर्स, एग्री मशीनरी, LED लाईट पर ड्यूटी बढ़ना चाहिए.
इस बीच वित्त मंत्रालय ने जीएसटी कलेक्शन के लक्ष्य में बदलाव किया है. पीटीआई के मुताबिक 2019-20 के बचे चार महीनों में हर माह 1.1 लाख करोड़ रुपये जीएसटी कलेक्शन का लक्ष्य रखा है.
वर्तमान में जीएसटी के चार स्लैब हैं- 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी. 28 फीसदी टैक्स स्लैब में आने वाली वस्तुओं पर सेस भी लगाया जाता है जो कि 1 से 25 फीसदी के बीच हो सकता है. दरअसल जीएसटी कलेक्शन में गिरावट की वजह केंद्र सरकार को हर महीने करीब 13,750 करोड़ रुपये राज्यों को बतौर मुआवजा देना पड़ रहा है.
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य रखा है. लेकिन इकोनॉमी में रफ्तार नहीं पकड़ रही है. वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ पांच फीसदी से नीचे पहुंच गई है. कई सेक्टर्स को मुआवजे की जरूरत है, ऐसे में सरकार पर बोझ बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए जीएसटी कलेक्शन को बढ़ाना बेहद जरूरी हो गया है.