यस बैंक स्पेशल ऑडिट में ₹518 करोड़ के लोन घोटाले का खुलासा, नियम तोड़कर बेचा गया एनपीए

यस बैंक की पुरानी डील्स की जांच में एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ है. एचडीआईएल के ₹500 करोड़ से ज्यादा के लोन को सुरक्षा एआरसी को बेचने में गड़बड़ी पाई गई है. बैंक पर आरोप है कि उसने खुद ही खरीदार को पैसा देकर अपना नॉन-परफॉर्मिंग लोन बेचा, जो नियमों के खिलाफ है.

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यस बैंक में घोटाले का खुलासा (File Photo: ITG) यस बैंक में घोटाले का खुलासा (File Photo: ITG)

दीपेश त्रिपाठी

  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

यस बैंक की पुरानी डील्स की जांच में एक बड़ा घोटाला सामने आया है. यह मामला मुंबई में एचडीआईएल (HDIL) के एक लोन को सुरक्षा एआरसी (सुरक्षा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी) को बेचने से जुड़ा है. इस स्पेशल ऑडिट में पता चला कि यस बैंक ने 518 करोड़ रुपये का लोन अप्रत्यक्ष रूप से खरीदार कंपनी को पैसा देकर बेचा. यह सौदा 31 मार्च 2017 को हुआ था और इसमें फंड की हेराफेरी (राउंड-ट्रिपिंग) पाई गई.

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स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यस बैंक ने एचडीआईएल के नॉन-परफॉर्मिंग लोन को बेचने के लिए एक धोखाधड़ी वाला तरीका अपनाया. बैंक ने अप्रत्यक्ष रूप से खरीदार कंपनी सुरक्षा एआरसी को ही लोन दिया, जिससे उसने एचडीआईएल का एनपीए खरीदा. 

ऑडिट में पता चला कि बैंक ने डील से कुछ हफ्ते पहले सुरक्षा ग्रुप से जुड़ी एक कंपनी को 199 करोड़ रुपये का लोन दिया था, जिसका एक हिस्सा सीधे सुरक्षा एआरसी के खाते में गया और उसी से एचडीआईएल का लोन खरीदा गया.

नियमों का उल्लंघन किया गया...

ऑडिट रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस डील में नियमों का उल्लंघन हुआ है. बैंक ने ना तो प्रतिस्पर्धी बोली लगाई और ना ही स्वतंत्र मूल्यांकन कराया.

इसके अलावा, बैंक ने कुछ ऐसे अकाउंट्स को भी बेच दिया, जो एनपीए बनने वाले थे, बिना किसी बाजार परीक्षण के. यह आरोप लगाया गया है कि सुरक्षा एआरसी 2016-2018 के बीच यस बैंक की नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स खरीदने वाला सबसे बड़ा खिलाड़ी बन गया था, जिससे पक्षपात के सवाल उठे हैं. यह मामला अब नियामक और जांच एजेंसियों के रडार पर है.

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यह भी पढ़ें: यस बैंक घोटाला: एक मई तक CBI हिरासत में भेजे गए DHFL के प्रमोटर वधावन बंधु

एचडीआईएल के गारंटर ग्रुप के लिए प्रस्तावित समाधान योजना के तहत, सुरक्षा एआरसी करीब 150 करोड़ रुपये ही वसूल कर सकती है, जो 75 फीसदी से ज्यादा की राइट-डाउन राशि को दर्शाता है. ऑडिट से जुड़ा यह नतीजा 2020 से पहले यस बैंक के लोन और लिए गए फैसलों की नए सिरे से जांच के बीच आया है. यह मामला अब नियामक और जांच एजेंसियों की नज़र में है, जिसका बैंक, सुरक्षा एआरसी और व्यापक परिसंपत्ति वसूली क्षेत्र पर संभावित प्रभाव पड़ सकता है,

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