इजरायल-ईरान जंग में कूदा अमेरिका... अगर बंद हुआ 'Strait Of Hormuz', तो दुनिया के सामने होगी ये मुसीबत

'Strait Of Hormuz' का बंद होना दुनिया के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है, क्योंकि इसी रूट के जरिए अमेरिका, यूरोप समेत कई देशों में 26 फीसदी कच्चे तेल का बिजनेस किया जाता है. ईरान पहले से ही इसे ब्लॉक करने की चेतावनी दे रहा है और अमेरिकी हमले के बाद इसकी आशंका बढ़ गई है.

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अमेरिका की जंग में एंट्री से 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' बंद होने की आशंका बढ़ी अमेरिका की जंग में एंट्री से 'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' बंद होने की आशंका बढ़ी

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2025,
  • अपडेटेड 10:04 AM IST

ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष (Iran-Israel Conflict) थम नहीं रहा था औऱ अब इसमें अमेरिका की भी एंट्री हो गई है. अमेरिका ने ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर एयर स्ट्राइक (America Air Strikes In Iran) की है, जिससे ग्लोबल हालात और भी चिंताजनक हो गए हैं. इस बीच उन अटकलों के सच साबित होने का खतरा भी मंडराने लगा है, जिनमें कहा जा रहा है कि ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (Strait Of Hormuz) को बंद कर सकता है, जो कि पूरी दुनिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण तेल मार्गों में से एक है और इस कदम से दुनिया के सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. आइए जानते हैं क्यों जरूरी है होर्मुज और बंद हुआ तो कैसे होगा इसका असर? 

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US की ईरान पर एयर स्ट्राइक से बढ़ी चिंता
सबसे पहले बात कर लेते हैं Iran-Israel के बीच जारी जंग में अमेरिकी एंट्री से बिगड़े हालातों के बारे में, तो बता दें कि US इस जंग में अब खुलकर ईरान के खिलाफ नजर आ रहा है और उसकी तीन बड़ी परमाणु साइट्स पर एयर स्ट्राइक की है. इनमें फोर्डो, नतांज और इस्फहान शामिल हैं और इसके बारे में खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने बयान दिया है.

हालांकि, उन्होंने इस कदम को अमेरिकी सैन्य बल की ताकत करार देते हुए ये भी कहा है कि अब शांति का समय है. लेकिन, ये जंग अब थमती नजर नहीं आ रही है और इससे दुनिया की चिंता बढ़ गई है. UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, 'अमेरिकी सैन्य कार्रवाई पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि यह पहले से तनावग्रस्त माहौल में US Strike अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है.'

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'स्ट्रेट ऑफ होर्मुज' से 26% तेल व्यापार
इजरायल के साथ जंग के बीच ईरान पहले से ही होर्मुज जलडमरुमध्य या Strait of Hormuz को बंद करने की चेतावनी देता आ रहा है. हालांकि, एक्सपर्ट्स इस कदम को आसान नहीं बता रहे थे, लेकिन अब इजरायल के साथ ही अमेरिका के हमले के बाद ये आशंका बढ़ गई है कि Iran होर्मुज को बंद कर सकता है. बता दें ये एक प्रमुख समुद्री तेल मार्ग है, जिस पर ईरान का नियंत्रण है और यही एक मात्र वो रास्ता भी है, जिससे होकर खाड़ी देशों से तेल की सप्लाई होती है. रिपोर्ट्स की मानें तो इस रास्ते के जरिए ही दुनिया का 26 फीसदी कच्चे तेल व्यापार होता है और अगर इसमें रुकावट आती है या फिर इसे बंद किया जाता है, तो इसका असर अमेरिका समेत तमाम यूरोपीय देशों के साथ ही भारत पर भी साफ देखने को मिल सकता है. 

जैसा कि बताया कि होर्मुज जलडमरूमध्य वैश्विक क्रूड ऑयल बिजनेस के एक बड़े हिस्से के ट्रांपोर्टेशन के लिए अहम है, जो इसे दुनिया में रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण समुद्री तेल मार्गों में से एक बनाता है. इस रूट में किसी भी तरह की बाधा विश्व तेल बाजारों में खलबली मचाने वाली साबित हो सकती है और Crude Oil Price में जोरदार इजाफा हो सकता है. बीते दिनों एक ईरानी सांसद अली याज्दिखाह ने खुले शब्दों में कहा था कि अगर अमेरिका इजरायल के समर्थन में ईरान से जंग में शामिल होता है, तो फिर दबाव डालने के लिए कच्चे तेल के व्यापार को बाधित करने के लिए होर्मुज बंद कर सकता है. 

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कैसे असर डालेगा होर्मुज?  
अब बात करते हैं कि कैसे होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait Of Hormuz) ग्लोबली संकट का सबब बन सकता है, तो दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शिपिंग रूट में शामिल यह तेल मार्ग करीब 96 मील लंबा है और अपने सबसे संकीर्ण स्थान पर 21 मील चौड़ा है. इसके दोनों दिशाओं में दो मील चौड़ी दो शिपिंग लेन हैं, जहां ईरान रोक लगा सकता है. ये होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. अगर Iran ये कदम उठाता है, तो फिर कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार इजाफा देखने को मिलेगा, क्योंकि जहाजरानी कंपनियों की परिचालन लागत में बढ़ोतरी होगी.

इसकी वजह है कि इस रूट के बंद होने से जहाजों का अपना मार्ग बदलना होगा, जो अधिक लंबा और महंगा होगा, इसके चलते माल ढुलाई कॉस्ट से लेकर डिलीवरी टाइम तक में वृद्धि होगी. पिछले हफ्ते आई एक रिपोर्ट में जूलियस बेयर के इकोनॉमिस्ट और रिसर्च हेड नॉर्बर्ट रूकर ने भी कहा था कि भू-राजनीतिक टेंशन की वापसी हो चुकी है और कच्चे तेल की कीमतों में भी उछाल आया है. इस बीच तेल सप्लाई की चिंताएं निश्चित रूप से चरम पर पहुंच रही हैं.

हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स और इकोनॉमिस्ट इस बात से सरोकार नहीं रखते हैं कि ईरान Strait of Hormuz को बंद करने का कदम उठा सकता है. हालांकि, इन आशंकाओं को अमेरिकी अटैक के बाद बल जरूर मिला है. अगर कच्चे तेल के दामों को देखें, तो Bren Crude Oil Price 77 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है, जबकि WTI Crude Price 75 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास ट्रेड कर रहा है. बीते दिनों जेपी मॉर्गन ने कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ने का अनुमान जाहिर किया था, तो वहीं अब जंग गहराने के बाद कई सिटी और ड्यूश बैंक समेत कई प्रमुख बैंकों और एनालिस्ट्स ने इसके 120-130 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने की आशंका जताई है. 

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भारत में महंगाई का जोखिम  
रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में हर रोज तकरीबन 37 लाख बैरल क्रूड की खपत होती है और देश अपनी जरूरत का लगभग 80 फीसदी Crude Oil आयात करता है और 40% सिर्फ खाड़ी देशों से आयात करता है. ऐसे में अगर कच्चे तेल की सप्लाई में किसी भी तरह की बाधा आती है, तो फिर ये अन्य देशों के साथ ही भारत के लिए बड़ी मुसीबत खड़ा करने वाला साबित हो सकता है. ऐसे इसलिए क्योंकि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां Crude Price, फ्रेट चार्ज, रिफाइनरी कॉस्ट के आधार पर ही पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol-Diesel Rate) तय करती हैं.

इसके अलावा आम ग्राहक तक पहुंचने तक इसकी कीमतों में एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन भी जुड़ता है. कच्चा तेल महंगा होने से अगर पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते हैं, तो फिर इससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ेगी और इसके चलते जरूरी सामानों की कीमतों में इजाफा होने से आम जनता के लिए महंगाई का जोखिम बढ़ सकता है.

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