भारत में बोतलबंद पानी का सबसे पॉपुलर ब्रांड बिसलेरी बिक सकता है. टाटा समूह (Tata Group) ने रमेश चौहान के नेतृत्व वाली भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड वाटर कंपनी बिसलेरी इंटरनेशनल में हिस्सेदारी खरीदने की पेशकश की है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी के तीन अधिकारियों ने इस डेवलपमेंट के बारे में जानकारी दी है. उनमें से एक ने बताया कि टाटा समूह ने हिस्सेदारी अधिग्रहण के लिए बिसलेरी को प्रस्ताव दिया है. अगर ये डील हो जाती है, तो टाटा ग्रुप को एंट्री-लेवल, मिड-सेगमेंट और प्रीमियम पैकेज्ड वॉटर कैटेगरी में पैर जमाने का मौका मिलेगा.
अधिग्रहण की तलाश में टाटा कंज्यूमर
ये डील टाटा ग्रुप को रिटेल स्टोर्स, केमिस्ट चैनल्स, इंस्टीट्यूशनल चैनल्स, होटल सहित रेडी गो-टू-मार्केट नेटवर्क देगा. टाटा ग्रुप का टाटा कंज्यूमर बिजनेस एक्टिव होकर रणनीतिक अधिग्रहण की तलाश कर रहा है. टाटा ग्रुप का टाटा कंज्यूमर बिजनेस स्टारबक्स कैफे ऑपरेट करने के अलावा टेटली चाय, Eight O' Clock coffee, सोलफुल सिरियल्स, नमक और दालें बेचता है. NourishCo के तहत टाटा कंज्यूमर का अपना बोतलबंद पानी का कारोबार भी है.
बिसलेरी का बिजनेस नेटवर्क
वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, बिसलेरी के 122 से अधिक ऑपरेशनल प्लांट हैं. पूरे भारत में 5,000 ट्रकों के साथ 4,500 से अधिक इसका डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क है. देश में पैकेज्ड वाटर का मार्केट 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का है. इसमें से 60 फीसदी हिस्सा असंगठित है. बिस्लेरी की संगठित बाजार में हिस्सेदारी करीब 32 फीसदी है. मिनरल वाटर के अलावा बिसलेरी इंटरनेशनल प्रीमियम हिमालयन स्प्रिंग वॉटर भी बेचता है.
क्यों बिक सकती है हिस्सेदारी?
रमेश चौहान ने साल 1993 में थम्स अप, लिम्का और गोल्ड स्पॉट जैसे प्रतिष्ठित शीतल पेय ब्रांडों को कोका-कोला को लगभग 60 मिलियन डॉलर में बेचा था. थम्स अप देश का सबसे अधिक बिकने वाला शीतल पेय ब्रांड बना हुआ है. खबरों की मानें, तो बिसलेरी के मालिक रमेश चौहान की उत्तराधिकारी योजना कंपनी में हिस्सेदारी कम करने की वजह है. हालांकि, अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है.
चौहान पहले ही कर चुके हैं कि अगर वह बिसलेरी में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला करते हैं, तो वो किसी भारतीय को ही इस ब्रांड को आगे बढ़ाने के लिए चुनेंगे.
बिसलेरी का इतिहास
शुरुआत में बिसलेरी एक फार्मास्युटिकल कंपनी थी, जो मलेरिया की दवा बेचती थी. इसके संस्थापक इटली के बिजनेसमैन Felice Bisleri थे. उनकी मौत के बाद उनके फैमिली डॉक्टर रॉसी ने बिसलेरी को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठाई.
भारत में डॉक्टर रॉसी ने वकील खुशरू संतकू के साथ मिलकर बिसलेरी लॉन्च की. उस वक्त बोतल बंद पानी बेचने की बात करना किसी पागलपन से कम नहीं था. क्योंकि लोगों को उस समय लगता होगा कि कौन बोतल बंद पानी खरीद कर पीएगा. लेकिन रॉसी भविष्य को भांप गए थे. 1965 में उन्होंने मुंबई के ठाणे में पहला 'बिसलेरी वॉटर प्लांट' स्थापित किया.
भारत में विस्तार की कहानी
बता दें, बिसलेरी ने इंडियन मार्केट में मिनरल वॉटर और सोडा के साथ एंट्री ली. उन दिनों आम आदमी के लिए पानी की बोतल खरीदना भले ही संभव नहीं था. लेकिन अमीरों के बीच यह लोकप्रिय हो गया. शुरुआत में केवल फाइव स्टार होटल और महंगे रेस्टोरेंट में ही बिसलेरी की बोतल उपलब्ध थी.
उसके बाद एक अहम मोड़ आया और डॉ. रॉसी ने इस बिजनेस को पारले कंपनी के रमेश चौहान के हाथों बेच दिया. साल 1969 में बिसलेरी को भारतीय कंपनी पारले ने खरीद लिया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केवल 4 लाख रुपये में ये सौदा हुआ था. उसके बाद रमेश चौहान बिसलेरी को घर-घर पहुंचाने का प्लान बनाया है. इस कड़ी में सबसे पहले रेलवे स्टेशनों पर इसकी उपलब्धता कराई.
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