देश के लिए आज एक बड़ा दिन हैं, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट को लेकर फैसला ले सकता है. कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में राहत दे सकता है. जबकि कुछ का मानना है कि रेपो रेट को अभी होल्ड किया जाएगा. ऐसे में लोन लेने वालों को ब्याज दर में राहत नहीं मिलेगी. हालांकि इसका फैसला थोड़ी देर में हो जाएगा.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास कुछ ही देर बाद आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में लिए गए फैसले का ऐलान करेंगे. अभी RBI रेपो रेट 6.50 फीसदी पर होल्ड है. अगर रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करता है तो आपके होम लोन की ईएमआई कम हो जाएगी.
क्यों कटौती की हो रही उम्मीद?
अभी कुछ दिन पहले ही देश की जीडीपी के आंकड़े आए थे, जिसमें देश की इकोनॉमिक ग्रोथ की रफ्तार कम होती दिखाई दी. देश की मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी 5.4 फीसदी रही. जबकि उम्मीद 6 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ की थी. इसके अलावा, देश की महंगाई भी आरबीआई के अनुमानित सीमा से ऊपर है. साथ रुपया भी कमजोर होकर अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. ऐसे में कहा जा रहा है कि आरबीआई इन सभी चीजों को फिर से पटरी पर लाने के लिए बड़ा फैसला ले सकती है.
शक्तिकांत दास की आखिरी अध्यक्षता
भारतीय रिजर्व गवर्नर के तौर पर शक्तिकांत दास आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी बैठक की आखिरी अध्यक्षता कर रहे हैं. उनका कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म हो रहा है. इस बीच यह भी चर्चा चल रही है कि शक्तिकांत दास का कार्यकाल बढ़ सकता है.
फरवरी 2023 में हुआ था रेपो रेट में बदलाव
शक्तिकांत दास के कार्यकाल का ये आखिरी MPC Meeting है और फिलहाल रेपो रेट 6.50 फीसदी पर स्थिर है. रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेटो रेट बदला था और इसे 25 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया था. इसके बाद से इसे चेंज नहीं किया गया है.
Repo Rate का EMI पर असर
RBI की MPC की बैठक हर दो महीने में होती है और इसमें शामिल रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास समेत छह सदस्य महंगाई समेत अन्य मुद्दों और बदलावों (Rule Changes) पर चर्चा करते हैं. यहां बता दें कि रेपो रेट का सीधा कनेक्शन बैंक लोन लेने वाले ग्राहकों से होता है. इसके कम होने से लोन की ईएमआई घट जाती है और इसमें इजाफा होने से ये बढ़ जाती है. दरअसल, रेपो रेट (Repo Rate) वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक धन की किसी भी कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है. रेपो रेट का उपयोग मौद्रिक अधिकारियों द्वारा इंफ्लेशन को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
शेयर बाजार पर रहेगी नजर
रेपो रेट में कटौती का असर शेयर बाजार में देखने को मिल सकता है. रेपो रेट में कटौती का असर शेयर बाजार पॉजिटिव ले सकता है और इसमें शानदार तेजी आ सकती है. हालांकि अगर बाजार स्थिर रहता है तो निवेशक दबाव झेल सकते हैं.
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