Ratan Tata Birth Anniversary: रतन टाटा को कितना जानते हैं आप? जो बिजनेस को छुआ सोना बनाया, जानें उनसे जुड़ीं खास बातें

Ratan Tata 88th Birth Anniversary: दिवंगत रतन टाटा की जयंती पर उन्हें देश भर में याद किया जा रहा है. Tata Sons के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने एक भाविक पोस्ट में लिखा, 'जन्मदिन मुबारक हो, श्री टाटा, आपकी कमी महसूस हो रही है आज और हमेशा.'

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रतन टाटा को देश कर रहा याद (File Photo: ITG) रतन टाटा को देश कर रहा याद (File Photo: ITG)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST

रविवार 28 दिसंबर को दिवंगत भारतीय उद्योगपति रतन टाटा को देश याद कर रहा है, उनकी 88वीं जयंती (Ratan Tata 88th Birth Anniversary) है. बिजनेस जगत से लेकर राजनीतिक जगत तक ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. बिजनेस सेक्टर में कदम रखने वालों के लिए वे हमेशा से ही एक प्रेरणा श्रोत बने रहे. रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को पारसी फैमिली में हुआ था. वहीं उनका निधन 86 साल की उम्र में बीते 9 अक्तूबर 2024 को हुआ था. आइए जानते हैं उनसे जुड़े 10 बड़े फैक्ट...

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ऐसे किया गया रतन टाटा को याद
Ratan Tata न सिर्फ भारत के एक बड़े उद्योगपति थे, बल्कि बड़े परोपकारी और दरियादिल इंसान भी थे. उनकी जयंती पर टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने बॉम्बे हाउस में रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए एक भावुक संदेश लिखा, जिसमें उन्होंने कहा, 'जन्मदिन मुबारक हो, श्री टाटा, आपकी कमी महसूस हो रही है आज और हमेशा.'

राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी उन्हें याद किया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा, 'उन्होंने ईमानदारी और करुणा के साथ भारतीय उद्यम को नया रूप दिया. स्वदेशी उद्योग के निर्माण से लेकर निस्वार्थ परोपकार तक, उन्होंने दिखाया कि सच्ची सफलता राष्ट्र की सेवा में निहित है. उनकी विरासत आत्मनिर्भर भारत को प्रेरित करेगी.'

देश के इतने बड़े बिजनेसमैन होने के बावजूद दिखावे से दूर और सादगी भरा जीवन जीने वाले रतन टाटा ने जहां अपनी ही कंपनी में कर्मचारी के रूप में काम किया, तो वहीं अपने तमाम कारोबारों से होने वाली इनकम का बड़ा हिस्सा हमेशा दान करते हुए जरूरतमंदों की मदद की. उनकी करियर जर्नी ऐसी थी कि जिस बिजनेस को Ratan Tata ने छुआ, उसे सोना (Gold) बनाने का काम किया. उनके जीवन से जुड़े कुछ ऐसे फैक्ट्स हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है और ये उनके जीवन की पूरी कहानी बयां करते हैं.

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  • 28 दिसंबर 1937 को पारसी फैमिली में जन्मे रतन टाटा का बचपन अच्छा नहीं बीता था, क्योंकि साल 1948 में उनके माता-पिता अलग हो गए थे और Ratan Tata की परवरिश उनकी उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की थी.
  • शुरुआती शिक्षा के बाद रतन टाटा आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी गए थे, जबां से बी.आर्क की डिग्री हासिल की. पारिवारिक बिजनेस होने के बाद भी उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटने के बजाय अमेरिका के लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स में 2 साल नौकरी की थी. 1962 में रतन टाटा इसे छोड़कर भारत लौटे थे और इसका कारण दादी की तबीयत खराब होना था.
  • रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की, लेकिन ऐसा नहीं कि उन्हें प्यार नहीं हुआ था. उन्हें विदेश में प्यार हुआ था, लेकिन ये शादी तक नहीं पहुंच सका. खुद रतन टाटा ने कुछ इंटरव्यू में इसके बारे में बताया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें US में रहने के दौरान प्यार हुआ था, लेकिन जब दादी की तबीयत खराब हुई और उन्हें भारत लौटना था, तो उनकी प्रेमिका ने यहां आने से मना कर दिया था.
  • रतन टाटा ने भारत लौटने के बाद सीधा अपना पारिवारिक कारोबार नहीं संभला, बल्कि अपनी ही कंपनी Tata Steel में एक कर्मचारी के रूप में काम करते हुए बारिकियों को सीखा. टाटा स्टील में जहां उनके परिवारिक सदस्य मालिक थे, तो उसी फैक्ट्रियों में रतन टाटा ने चूना पत्थर को भट्ठियों में डालने जैसे काम भी किए थे. 1991 में उन्होंने अपने फैमिली बिजनेस Tata Group की कमान संभाली थी.
  • रतन टाटा ने टाटा ग्रुप में एंट्री लेने के बाद इसकी कंपनियों के बिजनेस को नए आयाम दिए और बुलंदियों पर पहुंचाया. ऐसा कहा जाता है कि जिस बिजनेस को Ratan Tata ने छुआ, उसे सोना बनाने का काम किया. उनके नेतृत्व में टाटा Tata Tea, Tata Motors समेत अन्य कंपनियां ग्लोबली हिट हो गईं. उन्होंने ग्रुप की बागडोर संभालने के बाद खुद को साबित किया.
  • Ratan Tata ने अपनी मेहनत और काबीलियत की दम पर टाटा ग्रुप के बिजनेस को बुलंदियों पर पहुंचाया और देश ही नहीं विदेशों ने भी उन्हें सलाम किया. भारत सरकार की ओर से 2000 में उन्हें पद्म भूषण और फिर 2008 में पद्म विभूषण सम्मान दिया गया. तो विदेशों में भी वे सम्मानित हुए. ऑस्ट्रेलिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान Order of Australia से, जबकि फ्रांस में भी उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया.

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डॉग लवर, देश के लखटकिया कार
दिवंगत रतन टाटा को डॉग लवर के तौर पर भी पहचाना जाता था. Social Media पर वे हमेशा आवारा कुत्तों की सेफ्टी को जागरूक करते रहते थे. रतन टाटा के ड्रीम प्रोजेक्ट 98,000 वर्ग फीट में फैला और 5 मंजिला पशु अस्पताल साउथ मुंबई के महालक्ष्मी क्षेत्र में है.

रतन टाटा ही थे, जिन्होंने देश के लखटकिया कार दी. देश का हर शख्स कार की सवारी करे, इस सपने को पूरा करते हुए उन्होंने साल 2008 में Tata Nano लॉन्च की. इससे आम आदमी को महज 1 लाख रुपये में कार खरीदने का मौका मिला.

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