SpiceJet को मद्रास हाईकोर्ट से बड़ा झटका, कामकाज समेट कर बकाया वसूलने का आदेश

SpiceJet के ख‍िलाफ स्विट्जरलैंड के बैंक Credit Suisse AG ने इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. कोर्ट ने कहा है कि अगर एयरलाइन कर्ज नहीं चुकाती है तो उसका कामकाज बंद कर और उसके एसेट को बेचकर पैसा जुटाया जाए.

Advertisement
SpiceJet को बड़ा झटका (फाइल फोटो) SpiceJet को बड़ा झटका (फाइल फोटो)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली ,
  • 07 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST
  • स्वि‍टजरलैंड की एक कंपनी की अपील
  • स्पाइसजेट पर बकाया न देने का आरोप

देश की दिग्गज एयरलाइन स्पाइसजेट (SpiceJet) के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट ने बेहद सख्त आदेश दिया है. एक विदेशी कंपनी के बकाया मामले में कोर्ट ने कहा है कि अगर एयरलाइन बकाया नहीं चुकाती है तो उसका कामकाज बंद कर और उसके एसेट को बेचकर पैसा जुटाया जाए. 

हालांकि हाईकोर्ट ने एयरलाइन को ऊपरी अदालत में अपील के लिए मोहलत भी दी है. स्विट्जरलैंड के बैंक Credit Suisse AG ने इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी.

Advertisement

क्या है मामला

SpiceJet ने स्विट्जरलैंड की कंपनी SR Technics के साथ 10 साल के लिए मेंटेनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहॉलिंग (MRO) सेवाओं के लिए समझौता किया था, जो नवंबर 2021 में समाप्त हो गया. अब SR Technics का कहना है कि स्पाइसजेट उसका 2.1 करोड़ डॉलर (करीब 158 करोड़ रुपये) बकाया का भुगतान नहीं कर रही. SR Technics ने Credit Suisse AG को यह बकाया वसूलने का अध‍िकार दिया है. 

मद्रास हाईकोर्ट के जस्ट‍िस आर. सुब्रमण्यन ने अपने आदेश में सरकारी लिक्विडेटर को आदेश दिया है कि एयरलाइन की पूरी संपत्ति को वह अपने कब्जे में ले ले. हालांकि कोर्ट ने तत्काल इस आदेश की तामील न कराते हुए स्पाइसजेट को ऊपरी अदालत में अपील करने का मौका दिया है. 

क्या कहा कोर्ट ने 

आदेश में कहा गया है कि यदि स्पाइसजेट नोटिस के तीन हफ्ते के भीतर कर्ज चुकाने में विफल रहती है तो कंपनी एक्ट के सेक्शन 434 का इस्तेमाल करते हुए उसके कामकाज को बंद कर दिया जाए, अगर वह यह नहीं साबित कर पाती कि इस बकाये में वाजिब विवाद है. 

Advertisement

इस बकाया को चुकाने के लिए Credit Suisse AG कई बार SpiceJet को नोटिस दे चुका है. हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि एक तरह से एयरलाइन यह स्वीकार कर चुकी है कि उसके ऊपर बकाया है. हालांकि एयरलाइन नेयह कहते हुए याचिका का विरोध किया है कि स्विस कंपनी ने जो दस्तावेज दिखाए हैं, उनमें भारतीय स्टाम्प एक्ट के मुताबिक स्टाम्प पेपर नहीं हैं. कोर्ट का कहना है कि एयरलाइन ने जो बिलों का आदान-प्रदान किया है, वह यह मानने के लिए काफी है कि एयरलाइन इस बकाये को स्वीकार करती है. 
स्पाइसजेट ने यह भी तर्क दिया था कि Credit Suisse को एयरलाइन के साथ किसी तरह के एग्रीमेंट के लिए डीजीसीए से इजाजत नहीं है. लेकिन कोर्ट ने इसे भी स्वीकार नहीं किया. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement