India-US Trade Deal: ट्रेड डील के लिए US गई टीम भारत लौटी... इन मुद्दों पर नहीं बनी बात, अमेरिका की है ये डिमांड

टैरिफ और व्‍यापार समझौता के लिए अमेरिका गई भारतीय टीम वाशिंगटन से वापस आ चुकी है. एक अधिकारी ने जानकारी दी कि अभी कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है, जिस कारण चर्चा जारी है.

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अमेरिका से वापस लौटी भारतीय टीम अमेरिका से वापस लौटी भारतीय टीम

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 04 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:08 PM IST

भारत और अमेरिका के बीच व्‍यापार समझौता (India-US Trade Deal) को लेकर अमेरिका गई भारत की टीम वापस आ चुकी है. मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय दल अंतरिम व्यापार समझौते पर वार्ता का एक और दौर पूरा करने के बाद वाशिंगटन से वापस आई है, लेकिन चर्चा अभी जारी रहेगी. अधिकारी ने कहा कि अभी कई मुद्दों जैसे- एग्रीकल्‍चर और ऑटो पर सहमति नहीं बन पाई है, इसलिए अभी चर्चा आगे जारी रहेगी. 

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अधिकारी ने कहा कि वार्ता अंतिम चरण में है और इसके फैसले का ऐलान 9 जुलाई से पहले होने की उम्मीद है. उन्‍होंने कहा कि हालांकि अभी कृषि और ऑटो सेक्‍टर्स को लेकर अभी मुद्दे सुलझाने की आवश्‍यकता है. भारतीय टीम 26 जून से 2 जुलाई तक अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते पर वार्ता के लिए अमेरिका गई थी. 

ये चर्चाएं महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ट्रंप के पारस्परिक टैरिफ का निलंबन (Tariff Deadline)  9 जुलाई को समाप्त हो रहा है. दोनों पक्ष उससे पहले वार्ता को अंतिम रूप देने पर विचार कर रहे हैं. भारत ने अमेरिकी कृषि और डेयरी उत्पादों को शुल्क रियायत देने पर अपना रुख कड़ा कर लिया है और इसपर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहता है, क्‍योंकि यह रणनीतिक तौर पर संवेदनशील क्षेत्र है, जो भारत के डील करने पर एक बड़ा झटका जैसा हो सकता है.

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भारत का सख्‍त रुख
भारतीय व्‍यापार समझौता करने वाला दल वापस ऐसे समय में आया है, जब कुछ दिन पहले ही ट्रंप ने ऐलान किया था कि भारत टैरिफ में बहुत बड़ी कटौती करने जा रहा है और अमेरिका के लिए अपना मार्केट खोल रहा है. वहीं यह भी खबर आई थी कि भारत 48 घंटे के अंदर डील कर सकता है. हालांकि अब भारत का ये कदम, इसके सख्‍त रुख को दर्शाता है. भारत कई चीजों पर सहमत नहीं है और अमेरिका की मांग को नकार रहा है. 

भारत ने टैरिफ को लेकर WTO को भेजा संदेश 
भारत ने ऑटो सेक्टर में 25 प्रतिशत शुल्क को लेकर मुद्दा उठाया है. इसने विश्व व्यापार संगठन (WTO) की सुरक्षा समिति में इस मामले को उठाया है. भारत ने WTO को यह भी बताया है कि उसने स्टील और एल्युमीनियम पर अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने का अधिकार सुरक्षित रखा है. भारत द्वारा WTO को भेजे गए एक संदेश में कहा गया है कि 26 मार्च, 2025 को अमेरिका ने यात्री वाहनों और हल्के ट्रकों के आयात पर और भारत में या वहां से आने वाले कुछ ऑटोमोबाइल पार्ट्स पर 25 प्रतिशत की टैरिफ ग्रोथ के रूप में एक उपाय किया है. 

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भारत से क्‍या चाहता है अमेरिका? 
अमेरिका कुछ टेक्‍नोलॉजीज प्रोडक्‍ट्स, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, पेट्रोकेमिकल प्रोडक्‍ट्स और सेब, ट्री नट्स और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों जैसी कृषि वस्तुओं पर शुल्क रियायतें भी चाहता है. वहीं डेयरी को लेकर भी भारत से डील करना चाहता है, लेकिन भारत ने अभी तक इसपर डील नहीं की है. 

भारत अमेरिका से क्‍या रियायत चाहता है? 
भारत प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़े के सामान, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले जैसे सेक्‍टर्स के लिए शुल्क रियायतें चाहता है.

अगर नहीं बनी सहमति तो... 
जिस प्रकार से दोनों देश एग्री, ऑटो और अन्‍य सेक्‍टर्स को लेकर किसी रास्‍ते पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इन दोनों देशों के लिए फिर क्‍या विकल्‍प बचेगा. कुछ एक्‍सपर्ट्स कह रहे हैं कि अगर सहमति नहीं बनती है तो हो सकता है कि इन दोनों देशों के बीच एक मिनी ट्रेड डील हो, जिसमें विवादित क्षेत्रों को छोड़कर बाकी पर डील पूरी की जा सकती है. 

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