अमेरिका की ओर से भारत पर हाल ही में 25 फीसदी का टैरिफ (US 25% Tariff On India) लगाया गया है और इसके साथ ही रूस से क्रूड ऑयल और हथियारों की खरीद पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए जुर्माने की धमकी दी गई है. लेकिन आंकड़ों को देखें, तो भारत ने जहां रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है, तो वहीं अमेरिका से भी खूब ऑयल खरीद (US Crude Oil Import) रहा है, क्रूड ही नहीं, बल्कि एलपीजी (LPG) और एलएनजी (LNG) भी, ये हम नहीं कह रहे, बल्कि खरीदारी के आंकड़े तस्वीर साफ कर रहे हैं. इसके बावजूद ट्रंप का रुख हैरान करने वाला है. हालांकि, इसके बावजूद भारत सरकार द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती पर ज़ोर दे रही है.
अप्रैल-जून में 114% बढ़ा तेल आयात
बिजनेस टुडे पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, Donald Trump के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से भारत ने अमेरिका से अपने कच्चे तेल के आयात में जोरदार इजाफा किया है, जो कि देश की ऊर्जा खरीद रणनीति में एक उल्लेखनीय बदलाव का संकेत है. सरकारी आंकड़ों को देखें, तो जनवरी और जून 2025 के बीच अमेरिका से कच्चे तेल का आयात इससे पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 51% बढ़कर 0.18 मिलियन बैरल प्रति दिन (mb/d) से 0.271 mb/d हो गया है. अप्रैल-जून तिमाही में तो ये वृद्धि और भी तेज रफ्तार से हुई, जो सालाना आधार पर 114% है.
वैल्यू के हिसाब से आंकड़ों को समझें, तो इस साल अमेरिका से आयात (US Crude Oil Import) दोगुने से भी ज्यादा हो गया, जो वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही के 1.73 अरब डॉलर रहा था और वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में 3.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. अमेरिकी आयात में यह तेजी जुलाई महीने में भी जारी रही. जून 2025 के आंकड़ों की तुलना में जुलाई में 23% की वृद्धि हुई, जिससे भारत के कुल कच्चे तेल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी 3% से बढ़कर अब 8% हो गई है.
LPG-एलएनजी की खरीद में इजाफा
Crude Oil ही नहीं, बल्कि भारत का अमेरिकी लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) और लिक्विड प्राकृतिक गैस (LNG) का आयात भी तेजी से बढ़ा है. FY2025 में एलएनजी आयात लगभग दोगुना होकर 2.46 अरब डॉलर हो गया, जो FY2024 में 1.41 अरब डॉलर था. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि एक लॉन्गटर्म एलएनजी डील को लेकर भी चर्चा चल रही है, जिसकी कीमत संभवतः अरबों डॉलर होगी.
तनाव के बीच भी खरीद में इजाफा
सबसे खास बात ये है कि एनर्जी सेक्टर में बीते कुछ समय में जोरदार टेंशन देखने को मिली है और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता नजर आया है. भारत ने जहां रूस के साथ-साथ अमेरिका से तेल आयात बढ़ाया है, इसके बाद भी बीते दिनों राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत की व्यापारिक नीतियों की तीखी आलोचना करते हुए 1 अगस्त से सभी भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगा दिया है. लेकिन भारतीय कंपनियां अमेरिका के साथ अपनी ऊर्जा साझेदारी का विस्तार करती दिख रही हैं. सूत्रों की मानें, तो वित्त वर्ष (2025-26) में भारतीय रिफाइनरीज अपने कच्चे तेल के आयात में 150% की वृद्धि करेंगी.
अब बात करते हैं कि आखिर US Crude Oil की जमकर खरीदारी के बावजूद ऐसा क्या कारण है जिसके चलते भारत पर भारी टैरिफ लगाया गया है. तो इसका जवाब भी ट्रंप के टैरिफ ऐलान में ही नजर आता है. दरअसल, 25 फीसदी टैरिफ के साथ ही अमेरिका ने साफ किया है कि रूस से तेल और हथियार खरीदारी करने पर भारत को जुर्माना भी देना होगा. मतलब साफ है कि रूस से यारी अमेरिका को मंजूर नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति BRICS देशों पर पहले से ही निशाना साधते नजर आए हैं और अतिरिक्त 10 फीसदी टैरिफ की धमकी दे चुके हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्राजील पर ट्रंप ने 50 फीसदी टैरिफ लगाया है. भारत पर Tariff का ऐलान करने के बाद ट्रंप India-Russia दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को 'Dead Economy' कहकर भी भड़ास निकाल चुके हैं.
इससे पहले भी नाटो महासचिव के साथ बैठक के बाद ट्रंप और मार्क रूट दोनों ने रूस से व्यापारिक संबंध रखने को लेकर भारत, चीन समेत अन्य को चेतावनी दी. NATO महासचिव ने तो यहां तक कह दिया था कि मास्को में बैठा व्यक्ति अगर यूक्रेन के साथ युद्ध रोकने की सलाह को गंभीरता से नहीं लेता है, तो फिर उसे आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के लिए कड़े टैरिफ लगाए जाएंगे. उन्होंने कहा था कि आप बीजिंग या दिल्ली में रहते हैं और या फिर चाहे ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको इस पर विशेष रूप से ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा आप तीन इससे प्रभावित हो सकते हैं.
भारत का संबंध मजबूत करने पर जोर
अमेरिका की ओर से की गई हालिया बयानबाजी के बावजूद, भारत सरकार US के साथ द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती पर लगातार जोर दे रही है. बीते शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि भारत और अमेरिका साझा हितों, लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी साझा करते हैं. इस साझेदारी ने कई बदलावों और चुनौतियों का सामना किया है. उन्होंने कहा कि हम उस ठोस एजेंडे पर केंद्रित हैं जिसके लिए दोनों देशों ने प्रतिबद्धता जताई है और हमें विश्वास है कि ये रिश्ते आगे भी बढ़ते रहेंगे.
आजतक बिजनेस डेस्क