सीमा पर तनाव, भारत में 3560 कंपनियों में चीन के डायरेक्टर, फिर ड्रैगन से दूरी कैसे?

सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच भारत की कारोबारी रणनीतियां भी सबके फोकस में रहेंगी क्योंकि यहां पर चीन की दखलंदाजी को भी घटाना है और भारत के उद्योग जगत को भी इससे बेअसर रखना होगा.

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चीन की कंपनियों और डायरेक्टर्स का भारत के कारोबार जगत में बड़ा दखल चीन की कंपनियों और डायरेक्टर्स का भारत के कारोबार जगत में बड़ा दखल

आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST

करीब 2 साल पहले गलवान में भारत (India) और चीन (China) के फौजियों के बीच हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी बनी हुई है. गलवान के बाद तो भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए कारोबार जगत में भी चीन की कंपनियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे. अब एक बार फिर से अरूणाचल में तवांग बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प सरकार को नए प्रतिबंध लागू करने का फैसला लेने के लिए मजबूर कर सकती है. 

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दरअसल, पहले से ही भारत में चीन के सामान के बहिष्कार की मुहिम भी लोगों के बीच चल रही है. ऐसे में चीन को भारत के कारोबार जगत से बेदखल करना कितना आसान है और कितना मुश्किल इसकी बानगी सरकारी आंकड़ों में ही साफ नजर आ जाती है.

3560 कंपनियों में चीन के निदेशक
सरकार ने संसद के सामने चीन से जुड़े आंकड़ों को पेश किया वो ये वाकई हैरान करने वाले हैं. संसद में कंपनी मामलों के मंत्रालय के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया है कि देश में 174 चीनी कंपनियां विदेशी कंपनियों के तौर पर रजिस्टर्ड हैं और देश की 3560 कंपनियों में चीनी डायरेक्टर्स हैं. 

इन आंकड़ों से ये साफ जाहिर हो जाता है कि देश की कंपनियों में चीन की दखलअंदाजी किस हद तक बढ़ चुकी है. लेकिन ये वो आंकड़े हैं जिनका लेखा जोखा सरकार रखती है. इसके अलावा भी सरकार ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक चीनी निवेशकों या शेयरधारकों वाली कंपनियों की संख्या बताना मुमकिन नहीं है, क्योंकि ये डाटा कॉर्पोरेट मंत्रालय में अलग से नहीं रखा जाता है. कॉरपोरेट डाटा मैनेजमेंट पोर्टल को मंत्रालय ने इन-हाउस डाटा एनालिटिक्स और बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट के तौर पर तैयार किया है.

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चीन पर बढ़ रही है भारत की निर्भरता
चीन की कंपनियों और डायरेक्टर्स की भारत में घुसपैठ के अलावा भी कई और तरीकों से भारत की चीन पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) के मुताबिक 2003-2004 में चीन से भारत का आयात करीब 4.34 अरब डॉलर का था जो 2013-14 में बढ़कर 51.03 अरब डॉलर पर पहुंच गया. वहीं 2021-2022 में भारत ने चीन से 94.2 अरब डॉलर का आयात किया जो भारत के कुल आयात का 15 फीसदी रहा है. अगर ये ऐसे ही बढ़ता रहा तो फिर UPA के 10 साल और फिर NDA के 10 साल में ये दो बार दोगुना हो जाएगा.

चीन से भारत का व्यापार घाटा बढ़ा
2004-05 में भारत और चीन के बीच 1.48 अरब डॉलर का व्यापार घाटा था, जो 10 साल में यानी 2013-14 में बढ़कर 36.21 अरब डॉलर पर पहुंच गया. वहीं 2020-21 के दौरान भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा बढ़कर 44.33 अरब डॉलर पर पहुंच गया. मौजूदा कारोबारी साल के दौरान तो ये बढ़कर करीब 73 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. यहीं नहीं सीमा पर तनाव के बावजूद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय करोबार में 43.3 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

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2020-21 में चीन ने भारत को 65.21 अरब डॉलर के मूल्य का सामान निर्यात किया था. लेकिन 2021-22 में ये बढ़कर 94.57 अरब डॉलर तक पहुंच गया. ऐसे में सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच भारत की कारोबारी रणनीतियां भी सबके फोकस में रहेंगी क्योंकि यहां पर चीन की दखलंदाजी को भी घटाना है और भारत के उद्योग जगत को भी इससे बेअसर रखना होगा.
 

 

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