200% जुर्माना, 7 साल की कैद... ITR में छोटी सी गलती पड़ेगी भारी, AI पहचान रहा फर्जी क्‍लेम!

अगर आप भी फेक क्‍लेम करते हैं और आयकर विभाग के एआई सिस्‍टम से पकड़े जाते हैं तो आयकर अधिनियम कटौतियों की गलत जानकारी देने पर कड़े दंड का प्रावधान है. इसमें टैक्‍स देनदारी का 200% तक का जुर्माना और सालाना 24% तक की ब्याज दरें लागू हो सकती हैं.

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ITR में फेक क्‍लेम करने पर भारी जुर्माना लग सकता है. ITR में फेक क्‍लेम करने पर भारी जुर्माना लग सकता है.

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 17 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:14 PM IST

इनकम टैक्‍स भरने का सीजन चल रहा है. सैलरीड से लेकर बिजनेसमैन तक आईटीआर भर रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी आयकर विभाग टैक्‍स कटौती के फर्जी क्‍लेम करते हैं तो आपको भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है. दरअसल, आयकर विभाग टैक्‍स कटौती के फर्जी क्‍लेम की जांच के लिए AI और डेटा एनालिटिक्‍स का इस्‍तेमाल कर रहा है. 

आयकर विभाग की ओर से यह बदलाव व्‍यापक रणनीति का हिस्‍सा है, जिसका उद्देश्‍य धोखाधड़ी की प्रथाओं को खत्‍म करना है. खासकर उन धोखाधड़ी प्रथाओं को जो 'गारंटीड रिफंड' का दावा करने वाले एजेंटों द्वारा संचालित की जाती हैं. 

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अधिकारियों ने धारा 10(13A) के तहत मकान किराया भत्ता (HRA), धारा 80G के तहत दान और 80 की विभिन्न धाराओं के तहत लोन ब्याज समेत लोकप्रिय कटौती धाराओं के व्यापक दुरुपयोग का पर्दाफाश किया है. 

टैक्सबडी ने बताया, 'धारा 10(13A) के तहत HRA, धारा 80G के तहत दान और 80 की विभिन्न धाराओं के तहत चिकित्सा या शैक्षिक लोन ब्याज जैसी कटौती धाराओं का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ है. विभाग का AI अब इन दावों का टीडीएस डेटा, बैंक रिकॉर्ड और अन्य थर्ड सोर्स से वेरीफाई कर रहा है. 

भारी जुर्माना लग सकता है
अगर आप भी फेक क्‍लेम करते हैं और आयकर विभाग के एआई सिस्‍टम से पकड़े जाते हैं तो आयकर अधिनियम कटौतियों की गलत जानकारी देने पर कड़े दंड का प्रावधान है. इसमें टैक्‍स देनदारी का 200% तक का जुर्माना और सालाना 24% तक की ब्याज दरें लागू हो सकती हैं. गंभीर उल्लंघन करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सकता है, जिसमें जानबूझकर टैक्‍स चोरी करने पर धारा 276C के तहत सात साल तक की कैद भी हो सकती है. 

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तुरंत पहचान रहा एआई सिस्‍टम
टैक्‍सबडी के मुताबिक, आयकर के एआई स‍िस्‍टम ने कई टैक्‍सपेयर्स का पर्दाफाश भी कर रहा है. विभाग के एआई-संचालित सिस्टम आयकर रिटर्न और AIS व फॉर्म 26AS से मिले इनकम के आंकड़ों के बीच विसंगतियों का तुरंत पता लगा लेता है. साथ ही इन गलतियों की पहचान कर बता भी रहा है. 

थोड़ी सी भी गलती पड़ सकती है भारी
टैक्सबडी ने कहा कि इस डेटा में थोड़ी सी भी गड़बड़ी नोटिस भेज सकता है. उन्होंने आगे कहा कि अब केवल फॉर्म भरना ही पर्याप्त नहीं है. आपके पास हर दावे के सपोर्ट में ठोस दस्तावेज होने चाहिए. टैक्‍सपेयर्स को संदिग्ध रिफंड एजेंटों पर भरोसा करने से सावधान किया जाता है और उन्हें अपने दावों को वेरीफाई करने के लिए विस्तृत रिकॉर्ड रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. 

क्‍या करना चाहिए? 
टैक्सबडी के मुताबिक, किसी भी गलती दूर करने और संभावित जुर्माने से बचने के लिए तुरंत ITR-U दाखिल करना चाहिए. अभी ITR-U दाखिल करने से आप बाद में कठोर जुर्माने और मुकदमे से बच सकते हैं.

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