ट्रंप टैरिफ की नो-टेंशन! आ गई खबर... 2038 तक भारत कर देगा ये कमाल, अमेरिका का होगा बुरा हाल!

Good News For Indian Economy: अमेरिकी टैरिफ की टेंशन की बीच भारत के लिए अच्छी खबर आई है. ईवाई इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में तमाम चुनौतियों के बावजूद 2038 तक भारत के दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने का अनुमान जताया है.

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दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही इंडियन इकोनॉमी (File Photo: ITG) दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही इंडियन इकोनॉमी (File Photo: ITG)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

भारत पर भले ही अमेरिका ने 50 फीसदी का टैरिफ लगा दिया है, लेकिन इंडियन इकोनॉमी की रफ्तार पर ऐसी किसी भी बाधाओं का असर नहीं होगा. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि ईवाई इंडिया की रिपोर्ट में ऐसा अनुमान जताया गया है. इसमें कहा गया है कि भारत 2038 तक 34.2 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. EY इकोनॉमी वॉट अगस्त 2025 में कहा गया है कि भारत टैरिफ दबाव और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद ये कमाल करेगा.  

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टैरिफ टेंशन के बावजूद इकोनॉमी में दम

ईवाई इंडिया की ओर से कहा गया है कि तमाम चुनौतियों से उबरते हुए भारत दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना है. मजबूत आर्थिक बुनियाद के साथ देश तेजी से आगे बढ़ रहा है. टैरिफ दबाव और धीमे व्यापार जैसी वैश्विक अनिश्चितताओं के बाद भी इंडियन इकोनॉमी घरेलू डिमांड पर उसकी निर्भरता और आधुनिक तकनीकों में बढ़ती क्षमताओं से मजबूत बनी हुई है. रिपोर्ट में अनुमान जाहिर करते हुए कहा गया कि आने वाले पांच साल में यानी 2030 तक भारत की इकोनॉमी 20.7 ट्रिलियन डॉलर (पीपीपी) तक पहुंच सकती है.

भारत में क्यों दिख रहा इतना दम? 

रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान की तुलना में भारत की स्थिति अच्छी है, हालांकि चीन 2030 तक अनुमानित 42.2 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी (पीपीपी) के साथ इकोनॉमी की रेस में सबसे आगे रह सकता है. लेकिन दूसरी ओर उसकी बूढ़ी होती आबादी और लगातार बढ़ता कर्ज चुनौतियां पेश कर सकता है. अमेरिका हालांकि, फिलहाल मजबूत बना हुआ है, लेकिन उसे सकल घरेलू उत्पाद के 120% से अधिक के कर्ज और विकास दर की सुस्त रफ्तार का सामना करना पड़ रहा है. 

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जर्मनी और जापान भी उन्नत लेकिन इनकी वैश्विक व्यापार पर भारी निर्भरता है, जिसका असर इकोनॉमी पर देखने को मिल सकती है. इसके विपरीत रिपोर्ट में भारत की क्षमता को प्रदर्शित करते हुए कहा गया है कि भारत में युवा आबादी, बढ़ती घरेलू डिमांड और एक टिकाऊ राजकोषीय आउटलुक का जो कॉम्बिनेशन है, वो इसे लॉन्गटर्म ग्रोथ के लिए सबसे अनुकूल राह मुहैया कराता है. 

भारत की स्थिति पर बात करते हुए ईवाई इंडिया के चीफ स्ट्रेटिजिट एडवाइजर डीके श्रीवास्तव ने कहा कि भारत की तुलनात्मक क्षमताएं, युवा आबादी और कुशल कार्यबल के साथ ही मजबूत बचत और निवेश देश की हाई ग्रोथ को बनाए रखने में मदद करेंगे. तकनीक के बेहतर उपयोग और उन्नत क्षमताओं का निर्माण करते हुए भारत 2047 तक अपनी विकसित भारत की आकांक्षाओं के करीब पहुंचने की अच्छी स्थिति में है.

ये आंकड़े दे रही तेज रफ्तार की गवाही
रिपोर्ट में आंकड़ों के साथ बताया गया है कि आखिर कैसे भारत 13 साल में ये बड़ा कमाल करने वाला है. इसमें कहा गया है कि सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत 2025 में 28.8 वर्ष की औसत आयु, दूसरी सबसे हाई सेविंग रेट और सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात के साथ 2024 के 81.3% से घटकर 2030 तक 75.8% होने का अनुमान है, जबकि टॉप इकोनॉमी की लिस्ट में शामिल अन्य देशों में ऋण का स्तर लगातार बढ़ रहा है.

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ईवाई की रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय मुद्रो कोष यानी आईएमएफ द्वारा अनुमानित 2028-2030 की औसत विकास दर का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत 2038 तक पीपीपी के संदर्भ में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, जिसका अनुमानित जीडीपी साइज 34.2 ट्रिलियन डॉलर होगा. यहां ये समझ लेना भी जरूरी है कि आखिर जीडीपी (पीपीपी) होती क्या है? तो बता दें इसका मतलब क्रय शक्ति समता पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद है. पीपीपी का इस्तेमाल करते हुए देशों के बीच आर्थिक उत्पादन की अधिक निष्पक्ष तुलना की जाती है, क्योंकि यह प्रदर्शित करता है कि अमेरिकी डॉलर में किसी देश का कितनी परचेजिंग वैल्यू है.  

तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने की ओर भारत
बता दें कि हाल में आईं तमाम रिपोर्ट्स पर नजर डालें, तो उनमें भी भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को सराहा गया है और इसके सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई इकोनॉमी होने का दावा किया गया है. मौजूदा समय दुनिया की सबसे बड़ी 5 आर्थिक ताकतों की बात करें तो अमेरिका, चीन, जापान, भारत और जर्मनी है. भारत चौथे पायदान पर मौजूद है. अगले 3 से 4 साल में तीसरी सबसे बड़ी भारतीय इकोनॉमी होगी. हालांकि अमेरिका आज भी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

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टेक्नोलॉजी, वित्त, रक्षा और उपभोक्ता बाजार में इसकी पकड़ सबसे मजबूत है. चीन तेजी से उभरकर अमेरिका को टक्कर दे रहा है. मैन्युफैक्चरिंग, निर्यात और इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश में इसकी ताकत मजबूत है, और इसी के बल पर आने वाले वर्षों में चीन दुनिया की नंबर-1 आर्थिक ताकत बन सकता है.

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